रेतीले धोरों में लहलाने लगे अनार और खजूर

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खेती में नवाचार से बदल सकती है किसानों की माली हालत

रेतीले धोरों में होने लगे अनार, सेव और खजूर की खेती

खेती में नवाचार से बदल सकती है हालत

रेतीले धोरों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान का पश्चिमी भूभाग में रेतीले धोरों ने अब अनार और खजूर की खेती ही रही हैं जो किसानों की काया बदल देगी। रेत के धोरों ने एक तरह से सोना उगलना शुरू कर दिया है। बगैर पानी के और कम खर्चे में किसानों को इन फसलों से अच्छी आमदनी होने लगी है जो आने वाले समय में रेगिस्तान के लोगों का कायाकल्प कर देगी, बल्कि दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करेगी। यह काम किया है खेती किसानी में बदलाव का दूसरा नाम बन चुके भंवर सिंह पीलीबंगा ने। भंवर सिंह पीलीबंगा का कहना है यदि किसान परम्परागत खेती के साथ नवाचार करें उसकी आर्थिक स्थिति में बदलाव हो सकता है।

केर ,सांगरी के बीच लहराए खजूर, अनार के पेड़

पश्चिमी राजस्थान की रेगीस्तानी धरती अब सोना उगलने लगी है। सैंकड़ों किलोमीटर दूर तक रेत के धोरों के बीच अब फलों के पौधों की लहलहाती फसलें नजर आ रही है। फलों की खेती को अपना कर प्रगतिशील किसान अब अपनी आमदनी को कई गुना बढा रहे हैं। जैसलमेर जिले के लाठी के पास सोडाकोर स्थित मिरवाना फार्म में अनार के दस हजार पेड़ लगें हैं। साथ ही एप्पल बेर के 500 और खजूर के दो हजार पेड़ लगाए गए हैं।

खेती में नवाचार से ही बढ सकती है किसानों की आमदनी

जैविक गुरू भंवरसिंह पीलीबंगा के मुताबिक परंपरागत खेती के साथ अगर किसान नवाचारों का प्रयोग करते हुए फलों की खेती करे तो लाखों रुपए की आमदनी प्राप्त कर सकता है। पीलिबंगा ने सोडाकोर के मिरवाना फार्म को विकसित किया है। इसका नतीजा यह रहा कि अनार, एप्पल बेर और खजूर के हजारों पेड़ लहरा रहे हैं। ये पेड़ इस साल किसानों को अच्छी आमदनी देंगे। 300 बीघा के इस फार्म में दस हजार अनार के पेड़े हैं। एक एक पेड़ पर 125 से 150 अनार लगे हुए हैं। यहां खेती कर रहे किसान श्रवण चौधरी ने बताया कि अगर जैसलमेर और बाड़मेर के किसान फलों की खेती को अपनाए तो अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

चिलचिलाती धूप में अनार और खजूर की अच्छी पैदावार

रेगीस्तान का तापमान हर वर्ष 45 से 48 डिग्री तक पहुंचता है। इतने तापमान में भी अनार, एप्पल बेर और खजूर की पैदावार आसानी से ली जा सकती है। मिरवाना फार्म में सुपर भगवा किस्म के अनार अच्छी पैदावार देंगे। साथ ही खजूर की मेडजूल, खुनेजी, बरई और खलास की किस्मों के पेड़ लगे हैं। खजूर के एक पेड़ पर डेढ से दो क्विंटल खजूर लगते हैं। ये पैदावार किसानों की किस्मत बदल सकती है। यहां के किसान इन फलों की खेती के साथ सरसों, जीरा, मूंगफली, इशभगोल और सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं।

बूंद बूंद सिंचाई से कम पानी से भी ले सकते हैं अच्छी पैदावार

फंव्वारों के बजाय ड्रिप के जरिए बूंद बूंद से सिंचाई की जाए तो रेगीस्तान के किसान कम पानी में भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। ड्रिप सिस्टम से फलों की खेती करके रेगीस्तान के कुछ किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि जानकारी के अभाव में रेगिस्तानी जिलों के ज्यादातर किसान परंपरागत खेती को ही अपनाए हुए हैं। इन किसानों को जागरूक करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के जरिए मिरवाना फार्म का भ्रमण करवाया जा रहा है ताकि किसान आगे आकर फलों की खेती को अपना सके।

परमाणु परीक्षण ने बदली थार की किस्मत

जैसलमेर जिले के पोकरण में हुए परमाणु परीक्षण ने थार की किस्मत बदल दी है। लाठी ग्राम पंचायत से 25 किलोमीटर दूर मलका गांव में परमाणु परीक्षण किए गए। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पहली बार वर्ष 1974 में परमाणु परीक्षण किया गया और दूसरी बार पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण किया गया। सूखे कुओं में किए गए परमाणु परीक्षण के भीषण धमाकों की वजह से पानी समुंद्र तल से काफी ऊपर आ गया। ऐसे में कई किसान बोरिंग के जरिए रेगीस्तान में खेती करने लगे हैं। रेगीस्तान में हरेभरे खेत अब सुखद अनुभव दे रहे हैं।

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