बीजेपी पर लगाया हॅार्स ट्रेडिंग का लगाया आरोप
कहा बीजेपी कर रही है माहौल खराब
जयपुर। राजस्थान में चार राज्यसभा सीटों के लिए 5 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। कांग्रेस पार्टी से मुकुल वासनिक रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने नामांकन भरा। वहीं भारतीय जनता पार्टी से घनश्याम तिवारी ने नामांकन भरा तो दूसरी और भारतीय जनता पार्टी ने समर्थन देकर हरियाणा के राज्यसभा सांसद ज़ी न्यूज़ मीडिया के मालिक सुभाष चंद्रा को समर्थन देकर चुनाव मैदान में उतार दिया। अब राजस्थान में 4 सीटों पर 5 प्रत्याशी चुनाव मैदान में होने से मुकाबला रोचक हो गया है। सुभाष चंद्रा अगर चुनाव मैदान में नहीं उतरते तो यह चुनाव इनकी बीजेपी और कांग्रेस दोनों आराम से जीत सकती थी ।लेकिन कहीं ना कहीं अब पांचवा उम्मीदवार आने से चुनाव में पेच फंस गया है । अलग ही कांग्रेस पार्टी के पास अभी भी 127 विधायकों का समर्थन है और भारतीय जनता पार्टी के पास 71 विधायक साथ में है एक दो निर्दलीय और आरएलपी के विधायकों के साथ में आने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी समर्थित सुभाष चंद्रा की जीतने की राह आसान नहीं है। हालांकि सुभाष चंद्र खजाने का मुंह खोल दिया है और बता रहे हैं कि राजस्थान के निर्दलीय विधायकों को कैसे भी करके अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश की जा रही है । इस पर मुख्यमंत्री का कहना है कि बीजेपी राजस्थान हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश कर रही है । गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को उतार दिया है। लेकिन वह वोट कहां से लाएंगे। हमारा कोई विधायक बिकने वाला नहीं है । हमारे विधायकों में बिना किसी प्रलोभन के सरकार बचाई थी जो 35 करोड़ में भी नहीं बिके अब उन्हें यह क्या ऑफर करेंगे ? राजस्थान के विधायक किसी भी कीमत पर बिकने वाले नहीं हैं वह स्वाभिमानी है।
बीजेपी ने खेला खेल
मुख्यमंत्री बीजेपी ने जो खेल खेला है इस खेल में पहले भी फेल हो चुके हैं। 15 साल पहले भी उन्होंने यही खेल खेला था उनके खुद के विधायक साइन करते हैं और इंडिपेंडेंट के नाम से फार्म भर जाते हैं। सुबह कहा गया कि हमारे बीजेपी के दूसरे उम्मीदवार हैं ,फिर बाद में डर से निर्दलीय बता दिया। इंडिपेंडेंट रहेंगे यह शुरुआत से ही हुई है 15 साल पहले भी इस तरह किया था। इस बार बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को खड़ा कर दिया है। जाहिर सी बात है कि जब पूरे नहीं है तो क्या यह राजस्थान में भी हॉर्स ट्रेडिंग की परंपरा शुरू करने जा रहे हैं , फिर माहौल खराब करेंगे। अब तो आपको बता दें कि इससे पहले भी ओंकार सिंह लखावत परिवार चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस दौरान भी बीजेपी को भरोसा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की नाराजगी का फायदा उन्हें मिल सकता है। गहलोत और पायलट से नाराज विधायक ओकार सिंह लखावत का समर्थन कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने निर्दलीय विधायकों से भी समर्थन मांगा था लेकिन ओंकार सिंह लखावत में खजाने का मुंह नहीं खोला था, ऐसे में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार कुबेर के खजाने के मालिक चुनाव मैदान में हैं। एक मीडिया हाऊस के मालिक भी हैं, ऐसे में सुभाष चंद्रा अपने खजाने का मुंह खोल सकते हैं ।इससे प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग की समस्या बढ़ सकती है।