जयपुर ।भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में मुख्यमंत्री का चयन करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संयोजन में तीन सदस्य कमेटी का गठन किया है। जिसमें सरोज पांडे और को शामिल किया गया है। आपको पता है कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी 115 विधायकों के साथ सत्ता में आई है। लेकिन पार्टी में अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरे पर सहमति नहीं बनी है ,जिसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। वसुंधरा राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी है अभी भी उनके साथ 35-40 विधायकों का एक तरफ समर्थन है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के पर्यवेक्षक पर विधायकों की राय जानेंगे तब कम से कम वसुंधरा राजे को 40 विधायकों का समर्थन एक तरफ मिलने की उम्मीद उम्मीद है। इसलिए माना जा सकता है कि वसुंधरा राजे को कम से कम अपनी बात कहने और उनके समर्थक विधायकों को अपनी बात कहने का अवसर जरूर मिलेगा। वैसे भी वसुंधरा राजे राजनाथ सिंह जी पर सबसे ज्यादा विश्वास करती है और राजनाथ सिंह के होते हुए वसुंधरा राजे के साथ अन्याय भी नहीं हो सकता। यह सब जानते हैं अब तक जब-जब भी वसुंधरा राजे पर संकट आया है तब तक वसुंधरा राजे के लिए राजनाथ सिंह ढाल बनकर तैयार रहे हैं और हमेशा उनको बचाने का काम किया है। अभी राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर कई तरह के नाम सामने आ रहे हैं । लेकिन अब जब पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह को बनाकर भेजा जा रहा है ,तब वसुंधरा राजे को उनकी बात माननी ही पड़ेगी । यदि केंद्रीय नेतृत्व ने उनके नाम पर सहमति दे दी तो कोई बात ही नहीं है । लेकिन यदि पार्टी ने कोई दूसरा नाम तय कर दिया हो और जो शेष विधायकों जो वसुंधरा राजे खेलने में नहीं आते हैं और उन तक किसी एक व्यक्ति का नाम यदि उन्होंने फॉरवर्ड कर दिया तो वसुंधरा राजे के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है । वरना तो यह तय मानकर चले की वसुंधरा राजे की राजस्थान की मुख्यमंत्री होगी। लेकिन यदि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से कोई नाम पार्टी के विधायकों को भेज दिया जाता है और सभी के 75 विधायक उस व्यक्ति का नाम पर्यवेक्षकों के सामने लेंगे तो वसुंधरा राजे को फिर बैक फुट पर आना पड़ेगा और तब राजनाथ सिंह वसुंधरा राजे को विधायकों की राय से अवगत कराते हुए उनको संतुष्ट करेंगे, कि इस बार आपको नहीं किसी दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। तब वसुंधरा राजे राजनाथ सिंह का विरोध नहीं कर सकेगी। क्योंकि वसुंधरा को भरोसा है कि उनके होते हुए राजनाथ सिंह उनके साथ अन्याय नहीं करेंगे और विधायकों की यदि सहमति नहीं मिलेगी तो वसुंधरा राजे भी खुद विरोध करने की स्थिति में नहीं ह जाएगी इसलिए वसुंधरा राजे चाहती है कि अधिकांश विधायक या सभी 115 विधायक उनका ही नाम ले जिसके चलत चलते राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी वसुंधरा राजे के नाम पर मोहर लगा दे लेकिन दूसरे दिन कहना है कि मन की वसुंधरा राजे के पास 40 विधायक है लेकिन 75 विधायक तो विरोध में है और यदि यह सभी 75 विधायक वसुंधरा राजे के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो फिर वसुंधरा राजे का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है फिर केंद्र की तरफ से सजाया गया व्यक्ति का नाम भी मुख्यमंत्री के पद पर आसान किया जाएगा और तब वसुंधरा राजे उसका विरोध भी नहीं कर सकेगी।
राजनाथ सिंह बने राजस्थान के पर्यवेक्षक, राजे ने जीती आधी लड़ाई
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