जयपुर। सत्ता के गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व राजस्थान, मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ में अपने अधिकांश सांसदों को टिकट देकर उनकी अर्धवार्षिक परीक्षा ले रहे है ,क्योंकि वार्षिक परीक्षा तो 2024 में लोकसभा चुनाव में होगी। लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी जी यह देखना चाहते हैं कि इनमें से कितने सांसद विधानसभा चुनाव जीत कर वापस लौटते हैं । लोकसभा चुनाव में अधिकांश सांसद रिकार्ड मतों से चुनाव जीते हुए हैं, ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में यदि मोदी जी सांसदों के टिकट काटते तो उससे मैसेज जाता कि मोदी जी डर गए हैं और अपने ही सांसदों पर भरोसा नहीं है। ऐसी स्थिति में वह विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं देना चाहते थे इसीलिए उन्होंने सबसे बड़ा गेम यह चला कि 2023 में हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने 80 फ़ीसदी सांसदों को चुनाव मैदान में उतार दिया । वे देखना चाहते हैं कि कितने सांसद विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करते हैं। यदि अधिकांश सांसद जी चुनाव जीतते हैं तो फिर से लोकसभा चुनाव में मैदान उतारा जा सकता है । यदि चुनाव हारते हैं तो उनके स्थान पर नए चेहरों को लोकसभा चुनाव में मौका दिया जाएगा। जिससे सांसदों के प्रति स्थानीय लोगों की जो नाराजगी है वह भी दूर होगी और मोदी जी लोकसभा चुनाव भी जीत सकेंगे। जिन विधायकों के टिकट कटेंगे उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने का आश्वासन दिया जा रहा है। कई सांसद भी विधानसभा चुनाव लड़ने के पक्षधर बताये जा रहे हैं ,क्योंकि केंद्र में कैबिनेट मंत्रियों की भी नहीं चलती है ,तो ऐसी स्थिति में लोकसभा में सिर्फ मूकदर्शक बनकर बैठे रहने से अच्छा है स्टेट में मंत्री बनना । यदि स्टेट में सरकार बनती है तो वरिष्ठिता के नाते मंत्री बनने की लड़ाई में भी शामिल होंगे ।इसलिए पार्टी की रणनीति भी काम आ गई और सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतार दिया गया। लोग सो रहे हैं कि मोदी जी को विधायकों पर भरोसा नहीं है इसलिए अपनी फौज चुनाव मैदान में उतार दी है जबकि मोदी जी ने एक ही तीर से कई शिकार कर लिए।
मोदी जी सांसदों की विधानसभा चुनाव के बहाने ले रहे हैं परीक्षा !
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