मेयर शील धाभाई के विरोध में बीजेपी के 60 पार्षदों ने खोला मोर्चा

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जयपुर। ग्रेटर नगर निगम जयपुर के पार्षदों ने एक बार फिर कार्यवाहक मेयर शील धाभाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्षदों का आरोप है कि उनके वार्ड में विकास कार्य नहीं होने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 60 पार्षदों ने भाजपा के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से भाजपा मुख्यालय में मुलाकात की । यह पार्षद दो-तीन दिन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से भी मुलाकात करेंगे । इससे पूर्व एक होटल में भोज के नाम पर सभी पार्षद एकत्रित हुए और यहीं से पार्षदों ने मेयर शील दवाई के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया ।संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि महापौर भाजपा की है या कांग्रेस की? क्योंकि उनके वार्डो में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। पार्षदो से कहा कि महापौर उनकी सुनती नहीं है और ना ही महापौर बोर्ड की बैठक बुला रही है। इस दौरान पार्षदों ने आयुक्त की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए, कहा कि आयुक्त कमरे में किसी को घुसने नहीं देते। इससे पहले ग्रेटर नगर निगम में मेयर पद की प्रबल दावेदार रही एक अन्य महिला पार्षद ने भोज के नाम पर निजी होटल में पार्षदों की बैठक बुलाई । हालांकि चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने कहा कि यह बैठक और मुलाकात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के जन्मदिन के कार्यक्रम को लेकर हुई है । लेकिन हकीकत यह है जो महिला पूर्व में महापौर पद की दावेदार थी यह सारा खेल उसी का रचा हुआ है और उसीने भाजपा के पार्षदों को विकास कार्य नहीं होने के नाम पर एकजुट करने का प्रयास किया है। भोज की राजनीति के नाम नहीं होने के नाम पर बीजेपी के पार्षदों को एकत्रित कर मेयर शील धाभाई को हटाया जा सके।

जयपुर शहर में हो रहे हैं और सफाई भी चाक-चौबंद है

जयपुर शहर में अभी तक ऐसे हालात नहीं है कि यहां कोई विकास कार्य रुके पड़े हो। सफाई व्यवस्था भी दुरुस्त है। बीजेपी के ही कुछ पार्षदों और कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि शहर में सभी वार्डों में काम हो रहे हैं और सफाई व्यवस्था भी दुरुस्त है । लेकिन कहीं ना कहीं यह महापौर शील धाभाई के खिलाफ एक साजिश रच रहे है । जिससे कि महापौर को बदला जा सके और काम नहीं होने का आरोप लगाकर सरकार को बदनाम किया जा सके। हालांकि बीजेपी के पार्षद भी शील धाभाई को लेकर दो गुटों में बंट गए हैं। कुछ पार्षद शील धाभाई को सही मानते हैं। उनका कहना है कि वे सही काम कर रही है वहीं कुछ का कहना है कि वो किसी की सुनती नहीं है।

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