जयपुर। राजस्थान की सियासत में आने वाले कुछ दिन खास है। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन 28 और 29 जुलाई को कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित विधायकों से वन टू वन मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे विधायकों से सत्ता और संगठन को लेकर राय शुमारी करेंगे. लेकिन इस राय शुमारी को लेकर पायलट गुट और गहलोत गुट दोनों की धड़कनें तेज हो गई है। क्योंकि यदि रायशुमारी की बात आएगी तो उसमें नंबर गैम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में है। ऐसे में सचिन पायलट और उनके समर्थकों को लगता है कि यदि पूर्व की तरह ही ये नंबर गैम हुआ तो उनकी फिर से नहीं चलने वाली। जानकार सूत्रों का भी यही कहना है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आत्मविश्वास से लबरेज है उससे लगता है कि इस सारी कवायद में होगा वहीं जो वे चाहेंगे। हां मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में सचिन पायलट के समर्थकों को भी स्थान मिलेगा लेकिन सिर्फ उन्हीं को जिन्हें गहलोत भी थोड़े पसंद करते हों। सचिन पायलट खेमे से उनकी पसंद के नाम मांगे जाएंगे, फिर उनमें से सीएम गहलोत तय करेंगे कि किसे साथ रखना है किसे नहीं। हालांकि पुराने चेहरों में कुछ चेहरों को बदला जा सकता है। नए चेहरों को भी मौका मिलेगा। हालांकि अजय माकन चाहते है कि वे किसी न किसी तरह से इस बार सत्ता और संगठन के बीच की खांई को पाटने का काम करें। लेकिन जिस तरह की तरवारें दोनों गुटों के विधायकों के बीच खिंची हुई है उससे साफ है कि ये तालमेल भले ही बैॆठ जाए लेकिन इनके बीच अविश्वास की खांई को पाटना मुश्किल होगा। क्योंकि गहलोत के पास सबसे बड़ा फंडा ये ही है कि उनके साथ जो विधायक वे है जिन्होंने सरकार गिरने से बचाई और दूसरे वे विधायक है जिन्होंने चलती हुई सरकार को गिराने की कोशिश की। ऐसे में तय आलाकमान को करना है कि गिराने वालों को ईनाम दिया जाए या फिर गिराने वालों को तोहफा दिया जाए। ऐसे में आलाकमान ने साफ तौर प्रभारी को साफ कर दिया है कि वे सभी विधायकों की राय जानेंगे । इसके बाद होगा वहीं जो गहलोत चाहेंगे। जिससे सचिन पायलट का मान- सम्मान भी बच जाए और मंत्रिमंडल में फेरबदल भी हो जाए। सचिन के कुछ वफादारों को सरकार चलाने का अवसर भी मिल जाए। लेकिन इस कवायद को लेकर सभी विधायकों , मंत्रियों की धड़कनें बढ़ गई है। क्योंकि अब सरकार के सामने सभी जिलों और सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व भी देना है। पायलट को भी पार्टी से जोड़कर रखना है । ऐसे में पार्टी को बहुत ही सोच- समझकर निर्णय करना होगा।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विधायकों की धड़कनें तेज, माकन करेंगे विधायकों से वन टू वन
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