जयपुर । राजस्थान नाथ समाज जयपुर की ओर से गुरु गोरखनाथ बोर्ड का गठन करने सहित अन्य मांगों को लेकर नाथ समाज ने जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया। नाथ समाज के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश प्रसाद योगी ने बताया कि भूख हड़ताल में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए नाथ समाज के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। इस दौरान राजस्थान घुमंतु अर्ध घुमंतु बोर्ड के अध्यक्ष उर्मिला योगी को नाथ समाज के प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा । योगी ने बताया कि नाथ समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग प्रमुख रूप से उठाई गई है ।इसमें योगी, योगी ,नाथ ,रावल ,सपेरा ,कालबेलिया कापट्टा आदी जाती है । इसके अलावा नाथ, जोगी समाज की सामाजिक ,आर्थिक ,संशोधन कराने की मांग की है। इसके साथ ही बार-बार गोरखधंधा शब्द का उपयोग बंद करने के लिए भी ज्ञापन सौंपा गया है। धरने पर नाथ समाज आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मांगेराम योगी, नाथ समाज युवा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र योगी ,जयपुर जिला ग्रामीण अध्यक्ष विनोद कुमार योगी, प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार योगी आदि भी मौजूद रहे।
वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जाति वर्ग के अलग-अलग संगठनों ने नाथ समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की मांग को सिरे से खारिज किया है। साथ ही कहा कि नाथ समाज का अपना अलग वजूद है । ऐसे में नाथ समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की मांग करने से समाज में वैमनस्य बढ़ेगा। क्योंकि नाथ समाज पहले से ही ओबीसी वर्ग में आता है। ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी लड़ाई ओबीसी में वर्गीकरण की या फिर अन्य विषयों की बात करनी चाहिए। अनुसूचित जाति या दूसरे वर्ग में शामिल करने की बात को हवा देकर सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल सभी जातियों के साथ आज भी भेदभाव, छुआछूत होता है, जबकि नाथ समाज के साथ या योगी समाज के साथ कहीं भी ऐसा नहीं होता है । अनुसूचित जाति वर्ग में वही जाति जातियां आप आती है जिनके साथ आज भी सामाजिक तौर पर भेदभाव होता है सामाजिक तौर पर उनके साथ तिरस्कार होता है जबकि नाथ समाज योगी समाज के साथ कहीं भी पृष्ठ आज्ञ भेदभाव नहीं होता है वैसे भी अनुसूचित जाति वर्ग में पहले से ही लगभग 85 जातियां हैं और आबादी भी 17 से 25% के लगभग है और आरक्षण मात्र 16 पीस दी है ऐसे में यदि दूसरी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया जाता है तो फिर इस आरक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता और यदि ऐसा होगा तो अनुसूचित जाति वर्ग चुप नहीं रहेगा और उसका विरोध करेगा ।