लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
राजसमन्द।( गौतम शर्मा) राजसमन्द जिले में चल रही शारदीय नवरात्रि महोत्सव के तहत झोर गांव के सदर बाजार में बीती रात्रि को सीता स्वयंवर और धनुष भंग की लीला का मंचन किया गया,जिससे दर्शक रोमांचित हो उठे।
भगवान राम ने शिव के धनुष को तोड़कर स्वयंवर जीत लिया, इस दौरान परशुराम-लक्ष्मण संवाद सुनने के लिए लोग देर रात डटे रहे। वही राजा जनक की ओर से आयोजित स्वयंवर में शर्त रखी गई कि जो भी भवगान शिव के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाएगा। उसी के साथ सीता विवाह होगा। स्वयंवर में एक से एक राजा आए, लेकिन कोई भी धनुष को हिला तक सका। भगवान राम गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर जैसे ही धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, धनुष जोर की आवाज के साथ टूट जाता है। जब शिव धनुष टूट गया तो उसकी आवाज को सुनकर समाधि से जागे परशुराम राजा जनक के दरबार आए और वहां अनेक राजाओं की भीड़ देख कर पहले सभी को आशीर्वाद दिया। बाद में अपने प्रिय धनुष के टुकड़े देकर वह क्रोध से भर उठे और जनक से बोले जिस ने धनुष तोड़ा है उसे शीघ्र मेरे सामने कर दो नहीं तो तुम्हारे राज्य को नष्ट कर दूंगा। इस पर भगवान राम ने हाथ जोड़कर कहा कि नाथ शंभु धनु भंजनि हारा, हुइहै कोउ एक दास तुम्हारा। इसी उत्तर प्रतिउत्तर के बीच अचानक लक्ष्मण ने भगवान परशुराम से वाद विवाद करना शुरू कर दिया। परशुराम लक्ष्मण के तीखे वचनों को सुनने के बाद भी क्रोध न आने पर कहने लगे कि न जाने क्यों मेरे मन में दया का भाव है। और यह फरसा जिससे मैंने अनेकों बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया वह कुंठित सा हो गया है। काफी देर वाद विवाद के पश्चात उन्हें संदेह हुआ कि कहीं यह स्वयं भगवान के अवतार तो नहीं हैं। इस संशय को दूर करने के लिए उन्होंने अपना धनुष भगवान राम को दिया और प्रत्यंचा चढ़ाने की बात कही। जिसे लेते ही वह अपने आप चढ़ गया तब वह समझ गए कि भगवान ने राम के रूप में अवतार ले लिया है और उनकी वंदना कर तपस्या के लिए वन को चले गए इस दौरान पांडाल में प्रभु श्री के जयकारे भी गूंज उठे कार्यक्रम में राम का रोल पूनम जाट, लक्ष्मण बने सुभाष सुहालका, सीता बने प्रियासी परसुराम बने हस्ती मल साहू, राजा जनक भेरुदास, विश्वामित्र हिमांषु, सहित अन्य युवाओ टीम ने जोरदार प्रस्तुतियां दी।