Home national दिल्ली दरबार ने फेरा उम्मीदों पर पानी!

दिल्ली दरबार ने फेरा उम्मीदों पर पानी!

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वल्लभनगर धरियावद उपचुनावों के बाद बदलाव

चुनाव के बाद भी थोड़ा परिवर्तन

नेताओं से ज्यादा मीडिया ने बनाया बदलाव का माहौल

जयपुर। राजस्थान में सियासी बदलाव को लेकर बहुत सारे नेताओं ,कार्यकर्ताओं ,मीडिया बंधुओं के तर्कस के तीर वापस लौट गए हैं। इनमें बहुत सारे लोगों को ये उम्मीद थी कि दिल्ली दरबार में जाते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छुट्टी तय है। उन्हें दिल्ली से शायद खाली हाथ लौटना पड़ेगा। कई साथियों ने इस बात को लेकर बड़े-बड़े एडवर्टोरियल भी छाप दिए । लंबी चौड़ी बहस कर ली। सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल ली। लगातार मीडिया के माध्यम से कोशिश भी की जा रही थी कि बस अब सब कुछ बदलने वाला है । लेकिन दिल्ली दरबार में सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जयपुर लौटे अशोक गहलोत काफी खुश नजर आ रहे हैं । माना जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई । नहीं सीडब्ल्यूसी की बैठक का राजस्थान की राजनीति को लेकर सीधा वास्ता था । लेकिन जिस तरह का माहौल बनाया गया उससे पाठकों को दर्शकों को लग रहा था कि बस अब सब कुछ बदलने वाला है। चंद घंटों की बात है ,चंद घंटे बीत गए। बैठक भी हो गई और दिल्ली दरबार से सरकार लौट भी आए। लेकिन फिलहाल बदलने वाला कुछ नहीं है ,अभी तो बदलने के लिए इंतजार करना पड़ेगा । जब सबको पता है कि राजस्थान में धरियावद और वल्लभनगर सीट पर उपचुनाव होने हैं, तो ऐसे में कैसे राजस्थान मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है? कैसे मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जा सकता है ?और कैसे राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती है? क्योंकि इन सबको करने का सीधा असर राजस्थान के 2 विधानसभा उपचुनाव पर पड़ने वाला था। इसके बावजूद क्योंकि हमें माहौल बनाना है ,इसलिए सब कुछ जनता के सामने बेसिर पैर परोस दिया गया । अभी रात तक इसी बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल और प्रियंका की साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री को घुड़की मिलेगी और

सब बदलाव हो जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसे गए थे वैसे ही लौट आए । जिन लोगों को बदलाव की उम्मीद थी उनकी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिर गया । हां यह बात और है कि नेताओं को भी इस बात की उम्मीद थी कि राजस्थान में हो रहे विधानसभा उपचुनाव से पहले कुछ बदलने वाला नहीं है लेकिन सब कुछ मीडिया ने इस तरह से करो सा कि नहीं सब कुछ बदलने वाला है तो दुख तो उन लोगों को ज्यादा होगा जिन लोगों ने लगातार ऐसा परोसा। फिलहाल तो राजस्थान में बदलाव के लिए इंतजार ही करना होगा अभी बदलाव के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं!

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