जयपुर । प्रशासन शहरों के संग अभियान में राजस्थान सरकार ने 10 लाख लोगों को पट्टे देने का लक्ष्य रखा है ,लेकिन सरकार की बार-बार निर्देश के बावजूद भी नगर पालिका , पंचायत, नगर परिषद ,नगर निगम, जेडीए यह सब मिलकर भी 1000000 पट्टों का आंकड़ा छू नहीं सकी ।
बगैर रिश्वत काम करने की आदत नहीं!
बात करें जयपुर शहर की तो अकेले जयपुर शहर में पृथ्वीराज नगर योजना में ही जेडीए एक लाख से ज्यादा पट्टों का वितरण कर सकता था। खास बात है कि जिन कॉलोनी में पट्टा वितरण करना है उन सबका रिकॉर्ड जेडीए में जमा है। जेडीए द्वारा इनमें से कई कॉलोनियों के नियमन के लिए नियमन शिविर की तारीख भी जारी कर चुकी है। लेकिन यदि जेडीए के अधिकारी प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे जारी करता है तो जेडीए से जुड़े हुए अधिकारी कर्मचारियों की जेब गर्म नहीं होती है, ऐसे में प्रशासन और जोन स्तर पर जेडीए अधिकारी- कर्मचारी पृथ्वीराज नगर योजना में पट्टे देने को महत्व नहीं दे रहे हैं।
लाखों लोग बगैर पट्टे के , पानी बिजली भी नहीं
हालात यह है कि पृथ्वीराज नगर में लाखों लोग आज बगैर पट्टे के निवास कर रहे हैं । इलाके में सपट बिजली की चोरी भी होती है । यहां बिजली चोरी इसलिए नहीं कह सकते क्योंकि जिस तरह से आदमी के जीने के लिए धूप, छांव ,हवा और पानी जरूरी है वैसे ही आज के समय में बिजली भी जरूरी है । पानी तो व्यक्ति टैंकर मंगाकर खरीद लेता है, लेकिन बिजली उसे पड़ोसियों से निर्धारित रेट से दुगने दाम पर खरीदनी पड़ रही है। या फिर सरकारी पोल पर जंपर लगा कर टाइम पास करना पड़ रहा है । आदमी न चाहते हुए भी सिर्फ जीने के लिए पृथ्वीराज नगर में बिजली चोरी कर रहा है । क्योंकि उसे जिंदा रहने शाम को उजाला करने के लिए ये सब करना जरूरी है। सरकार चाहे तो यहां नियमन करके करोड़ो रूपये का राजस्व वसूलकर अपना खजाना भरती, पानी बिजली से भी बड़ा राजस्व मिलता लेकिन ऊर्जा विभाग ने यहां वीसीआर भरने के नाम पर लूट मचा रखी है। पानी माफिया यहां मनमर्जी से पैसे वसूलता ही है। इसलिए दोनों विभाग यहां कुछ करने के पक्ष में नहीं है। पानी के लिए पाइप लाइन डाली जा रही है लेकिन मानसरोवर से सटी हुई कॉलोनियों में ही ये लाइन नहीं डाली जा रही है। जबकि केंद्र सरकार का फ़ंड लेप्स हो रहा है।
हर घर जल योजना का लाभ नहीं
केंद्र सरकार की हर घर जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि सरकार गांवों तक पाइप लाइन तो दाल रही है भले पानी पहुँचे या नहीं पहुचे। लेकिन राजधानी जयपुर के भीतर ही ऐसी सैकड़ों कॉलोनियां हैं जिनमें लाखों लोग निवास करते हैं। जहां पर आज तक पानी की लाइन नहीं पहुंची है। ऐसे में इस योजना का क्या फायदा । पृथ्वीराज नगर की सैकड़ों कॉलोनियों, जगतपुरा , वैशाली नगर, झोटवाड़ा , मुरलीपूरा, सीकर रोड , आगरा रोड या दिल्ली रोड़ ओर अजमेर रोड़ पास कॉलोनियों इनमे इस योजना का कोई फायदा नहीं मिल रहा।
मजबूरी में खरीदता है सोसायटी के प्लॉट
लोगों ने मजबूरी में ही सोसाइटी की जमीनों पर प्लॉट खरीद कर अपना सर ढकने के लिए घर बनाए हैं । क्योंकि सरकार स्कीम कम होती है जो होती है वह बहुत महंगी ओर शहर से दूर होती है एसमे लोग सोसायटी के प्लॉट खरीदकर रहता है। लेकिन इनमें पानी बिजली की सुविधाएं भी उनको नहीं मिल रही है ।
सरकारी जमीन पर कब्जेधारियों को पानी बिजली लेकिन सोसायटी वालों को नहीं
लोक लोक कल्याणकारी सरकार होने के कारण अपनी जनता को पानी ,बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं देने का काम होता है। इसलिए सरकार, सरकारी जमीन पर बसे हुए लोगों को भी पानी ,बिजली के कनेक्शन जारी करती है। यहां तक की बांग्लादेश से आए हुए लाखों लोगों को भी पुनर्स्थापित किया है। उन्हें भी पानी बिजली कनेक्शन दिए है। लेकिन सोसाइटी की जमीनों पर वर्षों से अपने पैसों से खरीदी गई जमीनों पर रहने वाले लोगों को सरकार पानी, बिजली के कनेक्शन तक नहीं देती है । जबकि पानी बिजली के कनेक्शन देने से उनके मानवीय अधिकारों का भी हनन होता है। कारण साफ है कच्ची बस्ती वाले किसी न किसी पार्टी का वोट बैंक होते हैं । लेकिन सोसाइटी में रहने वाले लोग एकजुट नहीं होने के कारण वह किसी भी एक पार्टी का वोट बैंक नहीं होते हैं। इसलिए सरकारों का भी और नेताओं का भी उन पर फोकस नहीं होता है।
यूडीएच मंत्री जी जरा इधर भी देखो
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी प्रदेश का दौरा कर रहे हैं मुख्यमंत्री जी भी लगातार दौरे कर के अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा पट्टे देने के निर्देश दे रहे हैं लेकिन आख़िरकार क्यों नहीं यूडीएच मंत्री जी का ध्यान पृथ्वीराज नगर की तरफ जा रहा है क्यों नहीं यहां पर पट्टे दिए जा रहे हैं जबकि इसके नियमन के आदेश की पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में ही हुए थे लेकिन अभी तक भी पूरे प्रसाद नगर में पट्टों का वितरण नहीं हुआ है।
नेता पार्टियों में बंटे
पृथ्वीराज नगर 3 विधानसभा क्षेत्रों में आता है सांगानेर ,झोटवाड़ा और कुछ इलाका बगरू में । यहां कांग्रेस और बीजेपी के पार्षद भी खूब है लेकिन कोई भी पृथ्वीराज नगर के नियमन को लेकर ज्यादा रुचि नहीं रखता।
वीजेपी के पार्षद और विधायक यह सोचकर काम नहीं होने देना चाहते कि कांग्रेस को श्रेय चल जाएगा। जब हमारी सरकार आएगी ,तब काम करेंगे । कांग्रेस के विधायक सत्ता के नशे में चूर है उनकी अभी नजरें जमीन पर नहीं है बचाते हुए अंजान बने हैं ,पार्षद पृथ्वीराजनगर में रहने के बावजूद भी उनके लिए पार्टी ज्यादा बड़ी है इसलिए वह इन विषय को उठाते ही नहीं है। कांग्रेसी पार्षदों की संख्या कम है वह उन्हें लगता है कि सरकार अपने आप काम कर देगी । वे काम नहीं करना चाहते और जेडीए सोचता है कि यदि प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे दे दिए तो फिर हमारे को पैसे कौन देगा। जो हमारे करोड़ों की ऊपर की आमदनी इसी से तो होनी है। वह कैसे होगी और पानी बिजली का कनेक्शन दे दिया तो फिर बाकी अन्य काम कैसे होंगे। इन्हीं सब बातों के चलते यह काम फंसा हुआ है। लोग इसमें सिर्फ रहे हैं फिस रहे हैं, परेशान है, मजबूर है, लेकिन न सरकार ध्यान दे रही है और जेडीए एवं अन्य विभाग कुछ करने के मूंड में।