Home rajasthan कुम्हेर हत्याकांड के 9 आरोपियों को आजीवन कारावास

कुम्हेर हत्याकांड के 9 आरोपियों को आजीवन कारावास

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भरतपुर। राजस्थान के वर्ष 1992 के सबसे चर्चित और राजस्थान को शर्मिंदा करने वाले सामूहिक हत्याकांड के 9 आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई ।

क्या है कुम्हेर कांड

31 साल पहले भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे में 6 जून 1992 को पैंघोर गांव में चामुंडा माता के मंदिर में महापंचायत के दौरान जाटव और जाट समाज के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया । विवाद इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते यह बड़ी मारपीट और खूनी संघर्ष में बदल गया । इसके बाद जाट समाज के लोगों ने एकत्रित होकर एक साथ जाटव बस्ती पर सामूहिक हमला किया और पूरी बस्ती को आग के हवाले कर दिया ,जो मिला उसे मार दिया ।इस हत्याकांड में कांड में 17 लोगों की एक साथ मौत होने से पूरे देश भर में इस कांड की चर्चा हुई और सरकार की भी टूटी हुई जाट और जाटव समाज के बीच भी जो वर्षों का सामूहिक सौहार्द का वातावरण था खत्म हो गया था अब जाकर वह हालात सामान्य हुए हैं।

17 लोगों की मौत

सामूहिक आगजनी में 17 लोगों की मौत हो गई इसके बाद पूरे जिले में आकर मच गया क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा इस कांड के विरोध में पुलिस ने 86 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया मुकदमे के दौरान लगभग 32 आरोपियों की मौत हो गई पिछले 31 साल से चल रहे मुकदमे में 283 के करीब गवाहों के बयान हुए । न्यायाधीश गिरजा भारद्वाज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और नौ आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 41 को दोष मुक्त करके बड़ी करने के आदेश दिए हैं वहीं एक आरोपी को भगोड़ा घोषित किया।

जाट समाज के अलावा दूसरे लोग भी थे हमले में शामिल

झगड़ा जाट और जाटव समाज के बीच हुआ था ।जाटव बस्ती पर हमला करने में दूसरी जातियों के लोगों ने भी जाट समाज का साथ दिया था । यह पुलिस की चार्ज शीट और कोर्ट के फैसले से भी साफ हो गया। पुलिस ने हत्याकांड में जिन लोगों को आरोपी बनाकर चार्ज शीट पेश की । कोर्ट ने जिन नौ लोगों को हत्याकांड का दोषी मानकर सजा सुनाई उनमें भी जाट समाज के अलावा दूसरी बिरादरी के लोग शामिल है । कोर्ट ने आज सजा सुनाई उनमें उनमें भी प्रीतम पारस जैन और शिव सिंह गैर जाट बिरादरी से हैं जिससे साफ होता है कि इस कांड को नाम जाट -जाटव विवाद दिया गया था लेकिन इसमें दूसरी जातियों के लोग शामिल थे।

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