जयपुर। भाजपा की सबसे सुरक्षित और अजय सीट मानी जाती थी मालवीय नगर विधानसभा। जब से मालवीय नगर विधानसभा सीट का गठन हुआ है तब से इस सीट पर भाजपा की दिग्गज नेता कालीचरण सराफ का ही कब्जा है। लगातार कालीचरण सराफ ही इस सीट से जीत दर्ज करते रहे हैं। मालवीय नगर विधानसभा इलाके में सभी जाति वर्गों का पूरा दखल है इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य, जैन और अनुसूचित जाति वोटो की भरमार है, सैनी और कुमावत वोट भी है। लेकिन किसी भी जाति वर्ग का वोट एक तरफ नहीं पड़ता है कालिचरण सराफ की इन सभी वोटो में सालों से पेठ है घरों तक अप्रोच है। अलबत्ता पहली बात तो कालीचरण सराफ के सामने कोई लड़ना ही नहीं चाहता था और जिसने भी चुनाव लड़ा वह बुरी तरह ही हारा मालवीय नगर विधानसभा बनने के बाद पहली बार उनके सामने राजीव अरोड़ा चुनाव लड़े थे और लगभग 40000 से ज्यादा वोटो से हारे थे । इसके बाद पार्टी ने अर्चना शर्मा को टिकट दिया और उनकी हर भी लगभग इतने ही वोटो से हुई थी लेकिन पिछले चुनाव में कालीचरण सराफ के सामने अर्चना शर्मा फिर चुनाव लड़ी और मात्र 1700 वोटो से चुनाव हारी । एक बार की तो अर्चना शर्मा के चुनाव जीतने की घोषणा भी हो गई थी लेकिन जब रिकाउंटिंग हुई तो वह 1700 से वोटो से चुनाव हारी। चुनाव हारने के दिन से ही अर्चना शर्मा इलाके में सक्रिय रही। पिछले 5 साल से पहले सक्रिय थी और गहलोत सरकार के 5 सालों में भी ऐसा कोई दिन नहीं रहा, जब अर्चना शर्मा ने मालवीय नगर इलाके में किसी ने किसी कॉलोनी का दौरा नहीं किया हो और किसी ने किसी काम को लेकर मौजूदा विधायक भिड़ंत नहीं हुई हो । अर्चना से पूर्व मालवीय नगर का कांग्रेस कार्यकर्ता यह मान चुका था कि मालवीय नगर इलाके में कांग्रेस को वोट देने का मतलब हारने वाले को वोट देना है। लेकिन पिछले 10 सालों में अर्चना शर्मा ने मालवीय नगर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंक दी और पिछले 5 साल तो वह लगातार ही सीधा कालीचरण सराफ से टक्कर लेती रही । आए दिन मालवीय नगर इलाके में होने वाले उद्घाटन कार्यक्रमों को लेकर भी उनकी लड़ाई कालीचरण शराब से चलती ही रही। अर्चना शर्मा की आक्रामक कार्य शैली ने मालवीय नगर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंक दी और कांग्रेस कार्यकर्ता फिर से लड़ना सीख गए। खास तौर पर यदि पिछले 4 साल का अर्चना शर्मा का रिकॉर्ड देखा जाए तो हर दूसरे -तीसरे दिन उनका नाम कालीचरण सराफ के साथ विवाद में जुड़ा रहा। कुल मिलाकर अर्चना शर्मा लगातार संघर्ष करती रही और इलाके लोग इलाके के लोगों से संपर्क में रही ऐसे में अर्चना शर्मा मालवीय नगर सीट से इस बार भी दावेदार है क्योंकि पिछला चुनाव उन्होंने मात्र 17 से वोटों से हारा था। इस बार कांग्रेस पार्टी ने जितने भी सर्वे कराए हैं उनमें सब में अर्चना शर्मा को ही जीतते हुए दिखाया गया है। भाजपा की तीन सर्वे में अर्चना शर्मा को मजबूत माना गया है और यही कारण कि बार कालीचरण सराफ का टिकट काटने की चर्चा है । इसी बीच पिछले तीन महीने से मालवीय नगर में अचानक राजीव अरोड़ा सक्रिय होते हैं और वह भी ताल ठोक देते हैं ।हालांकि 3 महीने के दौरान वह खूब सक्रिय रहे और कई कार्यक्रम कर दिए लेकिन उनके कार्यकर्ताओं से सीधी पकड़ नहीं है । क्योंकि कार्यकर्ता पिछले 10 साल में उनसे छिटककर अर्चना के साथ चले गए हैं। जाता कृष्ण शर्मा के अलावा टिकट मांग रहे दूसरे नेताओं का सवाल है तो इस मालवीय नगर के स्थानीय लोगों को कहना है कि उनकी तो पूरे इलाके में पहचान तक नहीं है ऐसे में यदि अर्चना शर्मा के अलावा इन नेताओं को टिकट दे दिया गया तो यहां पर इस बार भी बीजेपी 50,000 वोटो से जीतेगी। क्योंकि मालवीय नगर इलाके में अर्चना शर्मा के अलावा कांग्रेस के किसी भी नेता ने पिछले 5 साल में कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं किया । न हीं कोई बड़ा कार्यक्रम किया । लेकिन अब चुनाव से पूर्व कई नेता यहां पर टिकट मांगने को आतुर है और लगातार पार्टी आलाकमान पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि इस बार अर्चना शर्मा का टिकट काटकर उन्हें दे दिया जाए । लेकिन एक बार मालवीय नगर के लोगों से पूछा जाए तो उनका कहना है कि यदि भाजपा से टक्कर लेना है तो यहां पर अर्चना शर्मा को ही टिकट देना ठीक रहेगा। वरना तो दूसरे नेताओं को यदि पार्टी ने टिकट दिया तो एक बार फिर बीजेपी बड़े अंतराल से चुनाव जीतेगी?