जयपुर। राजस्थान में युवाओं के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है । पहले राज्य में भर्तियां निकालने के नाम पर आंदोलन चलाया जाता है । जब भर्तियां निकल जाती है तो उसकी तारीख बढ़ाने के नाम पर आंदोलन चलता है । जब तारीख बढ़ा दी जाती है ,तो परीक्षा तिथि घोषित होने के बाद उनकी तारीख में बदलाव के लिए आंदोलन किया जाता है। बीच बीच मे पर्चा लीक जैसे मामले भी आते रहते है। कई नेताओं ने अपना धंधा बना लिया है और इसमें सबसे बड़ी बात है कि प्रदेश के कोचिंग संचालकों ने युवाओं को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । ये कहना है किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर का। हिम्मत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इसकी जांच करने की मांग की है। गुर्जर का कहना है कि नौकरी की उम्मीद में हज़ारों छात्र किराये के कमरे लेकर रहते हैं। महंगी फीस देकर कोचिंगों में पढ़ाई करते है । लेकिन जॉब का नम्बर आता है तब इस तरह की धांधली सामने आती है। गुर्जर का आरोप है कि जब भर्तियां निकाली जाती है तो युवा कोचिंग में जाते हैं लाखों करोड़ों की कमाई होती है। भर्तियां निकलने के दौरान ही अभ्यर्थी जो अध्ययनरत होते हैं उनसे मोटी फ़ीस वसूली जाती है। ये नहीं जिनकी डिग्री पृरी नहीं होती उन्हें भी परीक्षा में बैठाने के लिए आंदोलन किया हैं। इन सबके बाद जब सरकार परीक्षा की तारीख बढाने के लिए आंदोलन करना पड़ता है। तारीख बदल जाये तो फिर परीक्षा के दौरान पूरा गिरोह परीक्षा में कोई न कोई रोड़ा अटकाने का काम करता है। करने के परीक्षा की तारीख , सिलेक्शन तारीख को आगे पीछे करने के लिए आंदोलन करते है। पेपर होता है तो फिर पेपर लीक के नाम पर आंदोलन ऐसे में इन सब के पीछे आखिरकार कौन है ? क्या सीनियर नेताओं को कोचिंग संचालकों ने गुमराह कर रखा है ?आंदोलन में शामिल होने वाले सिलेक्टेड लोग तो नजर आते हैं। सभी परीक्षाओं को रद्द करने के लिए भी सिलेक्टेड चेहरे ही आंदोलन की लड़ाई में सामने आते हैं। ऐसे में कई संगठनों ने मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। यही नहीं मामला कोर्ट में अटक जाता है ये तमाम लोग इन युवाओं के सगे नहीं है। ऐसे में सरकार को इस पूरे मायाजाल का खुलासा करना चाहिए ? आखिरकार कौन से लोग है जो जो राज्य में युवाओं की भर्तियों को लगातार अटकाने का काम कर रहे हैं ।
जो नकल के मामले में है लिप्त है उनको तो सीधा गिरफ्तार किया जाए। जीवन पर परीक्षा देने पर बैन लगा दिया जाए। सरकारी नौकरी पर हो तो बर्खास्त किया जाए। गिरफ्तारी की जाए तो भविष्य में कोई पेपर नहीं करने की सोच भी नहीं सकते। सरकार को कठोर कानून बनाने पड़ेंगे वरना तो आए दिन कोई न कोई बहाना करके युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे । युवाओं की लंबी कतार राज्य में रोजगार के लग जाएगी तब और भी ज्यादा हालत भयानक होंगे। ऐसा नहीं कि सभी नेता यहां कोचिंग सेंटर के इशारे पर काम करते हैं। लेकिन नेताओं की भलमनसाहत का फायदा कोचिंग सेंटर वाले उठा रहे है।
असली तस्वीर दिखाई नहीं जाती है और आधी अधूरी जानकारी से नेताओं को आंदोलन सोप दिया जाता है। जिससे लाखों लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है। अकेली रीट परीक्षा की बात करें जो 26 लाख 52 हज़ार ने परीक्षा दी है । रीट पेपर लीक और अन्य मामलों की संलिप्तता देखी जाए तो यह 1-2 जिला में इसका असर हो सकता है। सरकार को चाहिए कि उन सेंटरों की परीक्षा रद्द कर दे, और फिर से परीक्षा ले ले । लेकिन सबकी परीक्षा रद्द कर फिर से पुनः परीक्षा कराने की मांग 26 लाख 52 हज़ार अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा। कुछ लोग तो सरकार को बदनाम करने की नीयत से भी जानबूझकर इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहे है। उन्हें ये भी सोचना होगा कि मामला 26 लाख युवाओं के भविष्य का है।
हकीकत में इस आंदोलन मुश्किल से 300 -400 लोग ही कर रहे हैं । यही लोग दूसरी परीक्षा का भी विरोध कर रहे है। सरकार को आंदोलन कर रहे इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश करना चाहिए जो भी दोषी हो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। जिससे और जो भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं हो सके ।