Home national उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने किया पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण

उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने किया पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण

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राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और डिप्टी सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री, डॉ प्रेमचंद बैरवा भी रहे मौजूद

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

सीकर। ( विशेष संवाददाता )उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108 जयंती पर सीकर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय के परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय ज्ञान उद्यान का लोकार्पण किया। वे इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे । इस अवसर पर राज्यपाल ने समारोह को भी संबोधित किया। कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे राजस्थान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि की संसद भवन में जो प्रतिमा लगी हुई है उनको हमने एक जगह रखा और उनका नाम दिया प्रेरणा स्थल । उसका उद्घाटन भी मैंने किया और दो महानुभाव मेरे सामने है । आज के दिन दोनों का जन्मदिन है । पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का भी और चौधरी देवीलाल जी का भी। दोनों अपनी दृष्टि से तपस्वी थे । दोनों ने ही समाज को कुछ देने का सोच के साथ काम किया। चौधरी देवीलाल जी यहां से सांसद रहे हैं । भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं । जब प्रेरणा स्थल में उनकी मूर्ति के पास में गया मुझे अनुभूति हुई कि उन्होंने मुझे राजनीतिक क्षेत्र में उतारा वह पल में कभी नहीं भूल पाऊंगा और यह सहयोग की मेरा भी असली जन्मदिन 25 सितंबर ही है ।

पंडित दीनदयाल जी के बारे में सीखने की आवश्यकता है

पंडित जी के बारे में सबको बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है और आज के दिन उनका दर्शन उनकी सोच कितनी प्रासंगिक है। इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते । उनके दर्शन और विचार ऐसे रहे हैं और महेश जी की कृपा रही कि मेरे जीवन को प्रभावित किया। जब एक गोष्ठी में गया था मेरे पास ऐसी योग्यता नहीं थी कि मैं उस स्थान पर दीनदयाल जी के दर्शन के बारे में कुछ कह पाऊं । एक प्रोफेसर साहब भी आई हुई थी जिन्होंने काफी कुछ कहा। मैंने देखा कि दीनदयाल जी के बारे में चर्चा किए बिना, बगैर अध्ययन के बिना संभव नहीं है । आपने एक वाक्य में सबका समापन कर दिया। आपने एक छात्र की तरह बहुत अच्छा भाषण दिया है । आज के दिन आप देखेंगे तो दीनदयाल जी का अध्ययन करते हुए ध्यान रखना पड़ेगा कि वह कितने दूरदर्शी थे । समय बदल रहा है अपने की सोच आ गई है । सोच बदल रही है ,वह धूमदर्शी थे, विचारक थे,राष्ट्रीयता समर्पित थे।

मोदी जी के कार्यों को बताया अंतोदय, जब आदमी आखिरी आदमी के बारे में सोचे

आप देखेंगे भारत की जो विकास यात्रा है हर घर शौचालय, हर घर नल, हर घर बिजली, आदमी को मकान मिले पक्का ,हाथ में काम मिले, शिक्षा मिले, वह सब सुविधा प्राप्त जो हर किसी को प्राप्त है । इसी को तो कहते हैं अंतोदय आखिरी आदमी की चिंता करने का अर्थ हम सृष्टि की जनता कर रहे हैं । पर पूरे पृथ्वी की चिंता कर रहे हैं । यह सोच बड़ी मुश्किल से आती है क्योंकि जब भी आदमी को अवसर मिलता है खुद के बारे में सोचता है, फिर के नजदीकी बात लोगों के बारे में सोचता है और कुछ हद तक समाज की भी सोच लेता है।

राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचाने बर्दाश्त नहीं

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी का अध्ययन कीजिए उनके आदर्शों को समझाइए उनकी सोच को समझिए उनके दर्शन को समझिए और कोशिश कीजिए कि आप उनका अनुपालन कर पाए। दूसरा राष्ट्र है तो और देश की सेवा को निजी और राजनीति से ऊपर उठा कर रखें । ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि हम राष्ट्रहित को हमारे निजी स्वार्थ और राजनीतिक स्वार्थ से कम आंक सके। जो ऐसा करते हैं वह गलतफहमी में है । हमें कभी ऐसा नहीं करना चाहिए, चाहे देश में हो या देश से बाहर हो ,जो हमारे राष्ट्रीय हित के नुकसान पहुंचाते हैं वह हमारा किसी नहीं हो सकता है ।

भारत का विश्व में बढ़ा मान

उन्होंने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि भारत देश के प्रति दुनिया नतमस्तक है,जो भारत विकसित भारत की और तीव्र गति से बढ़ रहा है। चारों तरफ हम देखते हैं कि जल, थल ,आकाश और अंतरिक्ष हमारी प्रगति अप्रत्याशित और कल्पनीय सोच के परे है। जब मैं 1989 में पहली बार लोकसभा का सदस्य बना ,केंद्र में मंत्री बना हमारी अर्थव्यवस्था लंदन शहर से छोट्टी थी, आज आने वाले 2 साल में हम जापान और जर्मनी से आगे जाकर दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने जा रहे हैं। ऐसा हमारा देश है ,अब यह देश रुकने वाला नहीं है , पर कुछ लोग बाधा उत्पन्न करना चाहते हैं ,आप चुप मत रहिए ,राष्ट्रवाद का ध्यान रखते हुए हर हालत में इस बात पर ध्यान दीजिए कि हम राष्ट्र के प्रति पूरी तरह समर्पित है । हम भारतीय हैं,भारतीयता हमारी पहचान है ,राष्ट्र धर्म हमारा सबसे बड़ा धर्म है और मुझे यहां आकर सबसे ज्यादा प्रसन्नता मिलती है।

कार्यक्रम को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे उच्च शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की वे देश की एक ऐसी शख्सियत थे जो आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति के बारे में सोचते थे। विश्व विद्यालय के कुलपति ने भी विश्वविद्यालय की जानकारी दी। सबसे पहले उपराष्ट्रपति राज्यपाल और उपमुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में एक पेड़ मां के नाम लगाया इससे पूर्व उनका शेखावाटी की धरती पर पहुंचने पर भावपूर्ण स्वागत किया गया। इससे पूर्व उपराष्टपति का एयरपोर्ट पर भी स्वागत किया गया।

उपमुख्यमंत्री डॅा. प्रेमचंद बैरवा उपराष्ट्रपति का स्वागत करते हुए

आज राजस्थान के सीकर में 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व विधायक एवं प्रख्यात समाज सुधारक रणबंका रणमल सिंह जी से मुलाकात की।

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