जयपुर। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और गृहमंत्री कैलाश मेघवाल ने एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व और संघ प्रमुख को राजस्थान बीजेपी में चल रही उटा-पटक को लेकर चिट्टी लिखी है। कटारिया की चिट्टी संघ प्रमुख भागवत जी ने पढ़ी या नहीं नितिन गडकरी जी ने भी पढ़ी या नहीं लेकिन उससे पू्र्व मीडिया के हाथ जरुर लग गई है। जिसमें कैलाश मेघवाल ने नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया की बयानबाजी को पार्टी के लिए घातक बताया है। मेघवाल ने कहा कि कटारिया ने उपचुनाव के दौरान महाराणा प्रताप को लेकर एक बयान दिया था। जिसका राजपूत सहित सभी समाजों ने विरोध किया था। जिसका असर राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि कटारिया के कारण ही पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी के खिलाफ वे व्यक्तिगत दुश्मनी रखते थे। इसलिए उनके निधन के बाद उनकी बेटी को चुनाव जिताने से रोकने के लिए भी उन्होंने बयानबाजी की। जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। उन्होंने बताया कि भिंडर में भी पूर्व महाराज का टिकट कटाकर कांग्रेस के कार्यकर्ता को टिकट दिलवाकर पार्टी को हराने का काम किया। जिससे रणधीर सिंह भिंडर निर्दलीय लड़कर चुनाव जीते। जब – जब भिंडर ने पार्टी से टिकट मांगा कटारिया जी अपने व्यक्तिगत हितों के लिए उनके आडे आजाते है। अभी भी भिंडर में चुनाव होने है रणधीर सिंह भिंडर पूर्व विधायक है पार्टी के कट्टर कार्यकर्ता रहे है। लेकिन कटारिया नहीं चाहते की उन्हें टिकट मिले। यदि पार्टी भिंडर को वहां से टिकट देती है तो वे उपचुनाव जीत सकते है। लेकिन कटारिया अपना वर्चस्व कम नहीं होने देना चाहते। वे अपने हित के लिए पार्टी का और पार्टी हितों का नुकसान करा रहे है। उन्होंने ये भी कहा कि विधानसभा में वे नेता प्रतिपक्ष है लेकिन उनसे वरिष्ठ तो वे खुद है। लेकिन क्योंकि वे एससी वर्ग से आते है। इसलिए उन्हें नहीं नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने दिया गया। यहां तक की कई कमेटियों में भी उन्हें जिम्मेदारी नहीं दी गई। ये ही नहीं पार्टी के वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ, ज्ञान चंद पारख भी है लेकिन उऩ्हें भी किसी तरह की जिम्मेदारी विपक्ष के नाते भी नहीं लेने देते। खुद ही कई पदों पर बने रहना चाहते है। कटारिया के लिए पार्टी से ज्यादा उनका व्यक्तिगत हित ज्यादा मायने रखता है। उऩ्होंने पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से चिट्टी में ये भी कहा कि कटारिया को नेता प्रतिपक्ष से हटा दिया जाए। पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता को इसकी जिम्मेदारी दी जाए। जिससे आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चत हो सके।