Home national भगवान के सामने कोई जाति, वर्ण नहीं, श्रेणी पंडितों ने बनाई, जातिवाद...

भगवान के सामने कोई जाति, वर्ण नहीं, श्रेणी पंडितों ने बनाई, जातिवाद पर भागवत का बड़ा बयान

0

दिल्ली। देशभर में मनुस्मृति को लेकर श्री बहस के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। मोहन भागवत ने कहा कि भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक है। उनमें कोई जाति वर्ण नहीं है । लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई है, वह गलत था। भारत देश हमारे हिंदू धर्म के अनुसार चलकर बड़ा बने और वह दुनिया का कल्याण करें। उन्होंने आगे कहा कि हिंदू और मुसलमान सभी एक ही है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका बयान इस समय देश भर में चल रहे हैं ऊंच-नीच की बहस के बीच एक लकीर साबित होगा। क्योंकि कुछ लोग अभी भी अपने आपको दुनिया की श्रेष्ठतम जातियों में से एक मानते हैं। कुछ अन्य प्राणियों को एससी ,एसटी, ओबीसी के नाम से जाना जाता है को नीच और तुच्छ मानते हैं। ऐसे समय में संघ प्रमुख का बयान देश में चल रही जातिवादी बहस पर कुछ तो विराम लगाएगा और अपने आप को बड़ा समझने वाले लोगों को सोचने की समझने का मौका देगा। भागवत ने कहा कि हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया है। इसी का फायदा उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुए और बाहर से आए हुए लोगों ने इसका फायदा उठाया ।हिंदू समाज देश में नष्ट होने का भय दिख रहा है। क्या यह बात आपको कोई ब्राह्मण नहीं बता सकता। आप को समझना होगा हमारे आजीविका का मतलब समाज के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी होती है। जब हर काम समाज के लिए है तो फिर कोई ऊंचा -नीचा और अलग कैसे हो गया?

मनुस्मृति को लेकर देश में छिड़ी बहस से घबराई आरएस एसएस

जाहिर सी बात है कि इस समय देश में पहली बार एससी, एसटी के बाद ओबीसी वर्ग के लोग मनुस्मृति के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रहे हैं । अब तक मनुस्मृति खास तौर पर दलितों के निशाने पर ही रहती थी। दलित ही बहिष्कार करते थे । सबसे पहले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति की होली जलाई थी और इसका विरोध किया था। कई स्थानों पर आदिवासी समुदाय ने भी मनुस्मृति का विरोध किया। लेकिन पहली बार है जब ओबीसी वर्ग की अधिकांश जातियों के नेता मनुस्मृति का खुलकर विरोध कर रहे हैं । वह कह रहे हैं कि जो धर्म ग्रंथ, मनुष्य, मनुष्य में भेद करता है एक को नीच और दूसरे को उच्च बताता है ,वह धर्म ग्रंथ नहीं हो सकता । ऐसी मनुस्मृति को जला देना चाहिए जो मनुष्य को मनुष्य को बांटता हो। पहली बार मनुस्मृति को लेकर जाट, गुर्जर, यादव, अहीर، माली, सैनी, कुशवाहा, प्रजापति, सुनार ,लोहार, लोधी, राजपूत सहित कई जातियों ने मोर्चा खोल दिया है। यहां तक कि वैश्य वर्ग और क्षत्रिय वर्ग कई जातियों के लोग भी मनुस्मृति का खुलकर विरोध कर रहे हैं । उनका कहना है कि यह कैसा धर्म है, जहां पर एक महान और सबसे ऊंचा है, बाकी सारे उसके सेवक। इसीलिए आर एस एस प्रमुख को इस विषय पर अपना बयान जारी करना पड़ा क्योंकि यदि यह विरोध का स्वर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है ,अगर इसकी रफ्तार और ज्यादा तेज हो गई, तो आने वाले समय में हिंदू धर्म के टुकड़े हो सकते हैं। यदि हिंदू धर्म और ज्यादा विभाजित होता है तो फिर आखिरकार एक जाति का आधिपत्य कैसे बचेगा। इसीलिए आरएसएस प्रमुख का यह बयान कि हम कर्म के आधार पर जातियों को ऊंच-नीच में नहीं बांटे। इसके लिए ब्राह्मण समाज को आगे आना चाहिए और वह इस बात का खंडन करें, कि हिंदू धर्म में कोई ऊंच-नीच नहीं है कोई श्रेष्ठ नहीं है सब समान है सबको धर्म में समान माना गया है ईश्वर की नजर में सभी मनुष्य एक जैसे हैं। जिससे कि समाज टूटे नहीं, हिंदू धर्म बना रहे ।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version