कमीशन नहीं दिया तो ज्वाॅइनिंग नहीं होने दी – कनिष्ठ लिपिक
बांसवाड़ा। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रविवार रात को कुशलगढ़ क्षेत्र में दो अलग-अलग कार्रवाई कर वीडियो फिरोज खान व ग्राम विकास अधिकारी मलजी गणावा को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। रिश्वत की यह दोनों ही मामले पंचायत समिति कुशलगढ़ के बीडीओ फिरोज खान से जुड़े थे। जिसमें दबाव बनाकर वह रिश्वत ले रहा था। एक मामले में पंचायत समिति परिसर में स्थित अपने सरकारी आवास पर विकास अधिकारी फिरोज खान खुद लोहारिया बड़ा के ग्राम विकास अधिकारी से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया। वहीं, दूसरे मामले में उसी विकास अधिकारी के लिए कनिष्ठ लिपिक से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते ग्राम विकास अधिकारी पकड़ा गया। एएसपी माधोसिंह सौदा ने बताया कि दोनों आरोपियों को एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट उदयपुर में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया। दोनों की गिरफ्तारी के बाद एसीबी की अन्य टीमें विकास अधिकारी फिरोज खान के जोधपुर स्थित निवास, पाली जिले के बीजापुर में स्थित पैतृक निवास पर तलाशी में जुटी है। तलाशी में मिले दस्तावेजों के बारे में एसीबी ने अभी कोई खुलासा नहीं किया है। इन दस्तावेजों की जांच के बाद ही उसकी संपत्ति का ब्योरा जारी होगा। लोहारिया बड़ा के ग्राम विकास अधिकारी गोविंद भाभोर से 50 हजार रुपए लेते विकास अधिकारी फिरोज खान पकड़ा गया था।
कमीशन नहीं दिया तो ज्वाॅइनिंग नहीं होने दी – कनिष्ठ लिपिक
ग्राम विकास अधिकारी मलजी गणावा को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़वाने वाले ग्राम पंचायत टांडी बड़ी के कनिष्ठ लिपिक मुकेश पणदा बताया कि विकास अधिकारी फिरोज खान ज्वाॅइन करने के बाद ही उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। मुकेश पणदा ने बताया कि उसकी पोस्टिंग पंचायत समिति आनंदपुरी में थी। वह वर्ष 2018 में कुशलगढ़ की कोटडा राणगा गांव में था। पद रिक्त होने से उसके पास ग्राम विकास अधिकारी का चार्ज भी था। उस समय विधायक मद से 9 लाख रुपए से दो समुदायिक भवनों का निर्माण हुआ। इन कामों का उपयोगिता व पूर्णता प्रमाण पत्र बकाया था। करीब 2 साल पहले उसका तबादला आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र में हुआ था। उसके बाद आए ग्राम विकास अधिकारी मलजी गणावा ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। फिरोज खान कुशलगढ़ पंचायत समिति के विकास अधिकारी के पद पर कुशलगढ़ आए। उसके बाद मलजी के फोन से ही बात कर धमकाते व प्रताड़ित करते। डेढ़ माह पहले उसका तबादला आनंदपुरी से कुशलगढ़ पंचायत समिति में हो गया। वह रिलीव होकर कुशलगढ़ पहुंचा तो विकास अधिकारी खान ने जॉइनिंग नहीं दी। कहां हाईकमान से परमिशन नहीं है। जब उसने कहा कि एमएलए की डिजायर है। 10 जुलाई के बाद जॉइनिंग दे दूंगा। उसने विरोध किया कि जॉइनिंग के लिए 10 दिन का समय ही मिलता है तो बीडीओ बोले-बात तेरे मेरे बीच रहनी चाहिए। मलजी कहे वैसा कर लेना। दो-तीन दिन बात ही विकास अधिकारी ने उसका कुशलगढ़ का तबादला निरस्त कराते हुए पंचायत समिति सज्जनगढ़ में भिजवा दिया।
पंचायतराज में भ्रष्टाचार की अनकही कहानी….मनरेगा में सालाना 450 करोड़ बजट, जिला परिषद में अफसरों – बीडीओ का 2-2%(9 करोड़) सालाना कमीशन
कुशलगढ़ विकास अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार होने की घटना ने पंचायत राज विभाग में बड़े स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। मनरेगा हो या अन्य काम। स्वीकृत राशि का 2% कमीशन जिला परिषद की अफसरों के लिए। इस राशि का भी नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसर में पूरा बंटवारा होता है। जिला परिषद में मनरेगा का सालाना बजट ही करीब 450 करोड़ रुपए है। जिसकी 2 प्रतिशत राशि यानि 9 करोड़ रुपए कमीशन के नाम पर अफसरों में बट जाता है। इसी तरह पंचायत समितियों में भी उसके बजट की 2 प्रतिशत राशि विकास अधिकारी के लिए निर्धारित है। कुशलगढ़ पंचायत समिति का सालाना बजट करीब 70 करोड़ है। उसकी दो प्रतिशत राशि के रूप में करीब 1.40 करोड़ रुपए कमीशन के तौर पर विकास अधिकारी को देना पड़ता है। इसके अलावा मनरेगा के मस्टररोल में फर्जी हाजिरी से आनी वाली राशि में भी अफसरों का अलग कमीशन हैं। इसके लिए ग्राम विकास अधिकारी अपने स्तर बीडीओ, एईएन,एक्सईएन सहित जिला परिषद के अफसरों की सेवा करता है वह अलग। यही एक बड़ा कारण है कि अधिकांश मामलों में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है।