Home agriculture सर्दियों का मेवा खजूर-पिंड खजूर

सर्दियों का मेवा खजूर-पिंड खजूर

0

 खजूर-पिंड खजूर  कैसे हैं सर्दियों का मेवा?

खजूर को सर्दियों का मेवा कहा जाता है और इसे इस मौसम में खाने से खास फायदे होते हैं। खजूर या पिंड खजूर कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें आयरन और फ्लोरिन भरपूर मात्रा में होते हैं इसके अलावा यह कई प्रकार के विटामिंस और मिनरल्स का बहुत ही खास स्रोत होता है। शीतकाल में खजूर सबसे अधिक लोकप्रिय मेवा माना जाता है। घर घर में प्रयोग किया जाने वाला यह खाद्य फल है, जिसे अमीर-गरीब बड़े चाव से खाते हैं। खजूर रेगिस्तानी सूखे प्रदेश का फल है। प्रकृति की यह अनुपम देन खास ऐसे प्रदेशों के लिए ही है, जहां जिन्दगी बड़ी कठिन होती है और जहां बरसात या पीने के पानी की कमी होती है। इसके पेड़ हमें जीवन से लड़ना सिखाते हैं, इसीलिए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रेगिस्तानी इलाकों में ही होता है।
*सूखे खजूर को छुहारा कहते हैं, पिंड खजूर भी इसका दूसरा नाम है। खजूर ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदेशों में आम की तरह खजूर भी रस भरे होते हैं, पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं।*
अरब लोगों के लिए खजूर लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है और वे रोज इसे थोड़ा बहुत खाते ही हैं। खाने के अलावा अन्य मिष्ठान्न व बेकरी में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका मुरब्बा, अचार व साग भी बनता है। खजूर से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और यह शहद दस्त, कफ मिटाकर कई शारीरिक पीड़ाओं को दूर करता है। श्वास की बीमारी में इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा यह ठंडे या शीत गुणधर्म वाला फल माना जाता है।
बच्चों से लेकर बूढ़े, बीमार और स्वस्थ सभी इसे खा सकते हैं
सौ ग्राम खजूर में ०४ ग्राम चर्बी, १२ ग्राम प्रोटीन, ३३८ ग्राम कार्बोदित पदार्थ, २२ मिली ग्राम कैल्शियम, ३८ मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होती है। विटामिन ए ,बी, सी, प्रोटीन, लौह तत्व, पोटेशियम और सोडियम जैसे तत्व मौजूद रहते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़े, बीमार और स्वस्थ सभी इसे खा सकते हैं।
खजूर खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, क्योंकि पेड़ पर खुले में पकते हैं तथा बाजार में रेहडी वाले बिना ढके बेचते हैं, जिस पर मक्खी मच्छर बैठने का अंदेशा रहता है। आजकल खजूर छोटी पैकिंगों में भी मिलते है। वे दुकानदार स्वयं पोलीथीन में पैक कर अपनी दुकान का नाम लगा देते हैं। वे इतने साफ नहीं होते। वैज्ञानिक ढंग से पैक किए खजूर ही खाने चाहिए।
ज्यादा खाने से हो सकती है पाचन शक्ति खराब
विशेषज्ञों के अनुसार सौ ग्राम से अधिक खजूर नहीं खाने चाहिए। इससे पाचन शक्ति खराब होने का भय रहता है। अगर कोई बहुत ही दुबला पतला हो, तो खजूर खाकर दूध पीने से उसका वजन भी बढ़ जाता है। यद्यपि खजूर हर प्रकार से गुणकारक है, परन्तु इसमें विरोधाभास भी पाया जाता है। शीतकाल में जो इसे खाते हैं, वे इसे गरम मानते हैं।

खजूर माना जाता है ठंडी का सर का फल

आयुर्वेद ग्रंथों में इसे शीतल गुण वाला माना है, इसलिए गरम तासीर वालों को यह खूब उपयोगी व माफिक आता है। ठंडा आहार जिनके शरीर के अनुरूप नहीं होता, उन्हें खजूर नहीं खाना चाहिए। कुछ लोग घी में रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं। यह अति ठंडा होता है।
जिन्हें खजूर न पचता हो, उन्हें नहीं खाना चाहिए। यह वायु प्रकोप को मिटाता है, पित्तनाशक है। पित्त वालों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है। यह मीठा स्निग्ध होने से थोड़े प्रमाण में पित्त करता है, परन्तु गुड़, शक्कर, केले व अन्य मिठाइयों से कम पित्त करता है।

बच्चों को पूरा खजूर न देकर उसकी गुठली निकाल टुकड़े करके खिलाना चाहिए। खजूर एक तरह से अमृत के समान है। यह आंखों की ज्योति व याददाश्त भी बढ़ाता है। दांतों से लहू निकले या मसूडे खराब हों, तो यह दवा का काम करता है। इसके खाने से बाल कम झड़ते हैं। खजूर व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपम देने है।
खजूर खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है क्योंकि यह घुलनशील और अघुलनशील फायबर से भरपूर होता है साथ ही साथ इसमें अमीनो एसिड भी पाया जाता है। खजूर को रातभर पानी में गलाकर इसे पानी के साथ पीने से पाचनतंत्र में निश्चित तौर पर सुधार आता है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version