प्राचीन भारतीय संस्कृति को करें पुनः प्रतिष्ठित- उपराष्ट्रपति धनखड़

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ज्ञान और कौशल के भरोसे विकसित भारत का संकल्प होगा सार्थक

राज्य के सबसे बड़े कौशल केंद्र का भव्य लोकार्पण संपन्न

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

जयपुर,। (रूपनारायण सांवरिया) ज्ञान और कौशल के भरोसे ही विकसित भारत का संकल्प सार्थक होगा। कौशल से व्यक्ति को सामर्थ्य और सम्मान दोनों ही मिलते हैं। ये कहना है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का। वे जयपुर में अपैरल पार्क रीको औद्योगिक क्षेत्र में लघु उद्योग भारती की ओर से नव निर्मित सोहन सिंह स्मृति कौशल विकास केंद्र के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि विकसित भारत का रास्ता ग्रामीण परिवेश और लघु उद्योग से होकर जाता है, ऐसे कौशल केंद्रों से जाता है। क्योंकि विकसित भारत की जो चुनौती है, वह हमारी प्रति व्यक्ति आय है और  उसमें आठ गुना बढ़ोतरी होना आवश्यक है। यह बात ठीक है, चाहे जल हो, चाहे थल हो, चाहे आकाश हो, चाहे अंतरिक्ष हो भारत बड़ी छलांग लगा रहा है। संस्थागत ढांचा विश्व स्तरीय बन रहा है। पर इन सबके बाद भी एक चीज जो हमारे भीतर है राष्ट्रवाद, राष्ट्र प्रेम, हम भारतीय हैं भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्रवाद से हम कभी समझौता नहीं कर सकते। यह राष्ट्रवाद में निहित है कि देश का हर व्यक्ति अपने आप को समृद्ध और सुखी पाये और यह तभी संभव है, जब हमारा सोच कुटीर और ग्रामीण उद्योगों पर जाए।

धनखड़ ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया गया, उसमें कौशल और नवाचार दोनों पर बहुत ध्यान दिया गया है क्योंकि सिर्फ डिग्री से कुछ हासिल नहीं होता।   यदि आप किसी भी काम में कौशल रखते हैं, तो आप समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश से कच्चा माल बाहर क्यों जाये, क्यों नहीं उसके लिए प्रोसेस यूनिट बने।साथ ही जलवायु परिवर्तन और वोकल फॉर लोकल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने कहा कि किसी विशेष कारण से अगर किसी परिवार के बच्चे दसवीं या बारहवीं से अधिक नहीं पढ़ पाए, तो उनके लिए आगे बढ़ने के सारे रास्ते ही बंद हो जाते हैं। ऐसे बच्चे बहुत ही मामूली से वेतन पर अपने परिवार की आजीविका के लिए संघर्ष करते हैं। आईआईटी और एनआईटी से परे भी बहुत कुछ है जो हमारे युवा संसाधन के लिए सम्बल प्रदान करने वाला है।

उन्होंने कहा कि भारत का वैश्विक जीडीपी में करीब 30 फीसद तक योगदान रहा है लेकिन अंग्रेजों ने हमारे उद्योग धंधों को योजनापूर्वक ख़त्म कर दिया और आज सिर्फ दो फीसद पर आ गए. डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारी प्रकृति, नदियों और भूमिगत जल को षड्यंत्र पूर्वक प्रदूषित किया जा रहा है, उसे रोकना होगा। उन्होंने भारतीय चिंतन पर आधारित आर्थिक विकास पर बल दिया।

लघु उद्योग भारती  के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा ने संगठन की तीस वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह कौशल केंद्र एनएसडीसी के सहयोग से युवाओं की आकांक्षाओं और उद्योग की मांगों के बीच दूरी को मिटाने के लिए तैयार है, जिससे राजस्थान के युवाओं को नवाचार, रोजगार और उद्यमिता के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जा सके।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव नरेश पारीक, प्रदेश अध्यक्ष शांतिलाल बालड़, महासचिव योगेंद्र शर्मा, जोधपुर अंचल अध्यक्ष महावीर चोपड़ा, चित्तोड़ अंचल अध्यक्ष पवन गोयल, प्रदेश कोषाध्यक्ष अरुण जाजोदिया, भवन निर्माण से जुड़े वरिष्ठ उद्यमी नटवरलाल अजमेरा और केंद्र के व्यवस्थापक महेंद्र खुराना और नवरतन नारानिया ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम में उद्योग एवं कौशल विकास मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रकाश चंद्र, राष्ट्रीय महासचिव ओपी गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ताराचंद गोयल, प्रदेश उपाध्यक्ष अंजू सिंह, जोधपुर प्रांत संयुक्त महासचिव सुरेश विश्नोई सहित बड़ी संख्या में प्रदेश के जन प्रतिनिधि और उद्यमी गण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन सीए योगेश गौतम और सुनीता शर्मा ने किया। इससे पहले अतिथियों ने भवन की नाम पट्टिका का अनावरण किया और पौधारोपण भी किया।

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