माँ स्वरूप त्रिवेणी संगम का पूजन सनातन धर्म की परम्परा श्रीसरजूदासजी महाराज

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क 

विजय कपूर की रिपोर्ट
प्रयागराज। नदियों को माँ स्वरूप माना गया है और माँ का पूजन आरती करना सनातन धर्म की परम्परा है। इसी उद्देश्य को पूरित करते हुए परम पूज्य गुरु महाराज 1008 श्रीरामदासजी के सान्निध्य में राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज द्वारा त्रिवेणी संगम को 251 मीटर की चुनरी ओढ़ाई गई। महामंडलेश्वर श्रीभगवानदासजी महाराज ने बताया कि बीकानेर के श्रद्धालुओं के साथ चुनरी के एक छोर को गुरु महाराज श्रीरामदासजी महाराज व दूसरा छोर श्रीसरजूदासजी महाराज ने पकड़ कर नौका के माध्यम से गंगा यमुना सरस्वती के त्रिवेणी संगम को 251 मीटर की लाल चुनरी ओढ़ाई गई। यज्ञाचार्य पं. अशोक आचार्य के सान्निध्य में 21 किलो दूध से रुद्राभिषेक, पूजा-अर्चना विधि-विधान से की गई। उक्त आयोजन में महंत माणकदासजी महाराज, परमेश्वरदासजी महाराज, संत बालकदासजी महाराज, संत सतपालदासजी महाराज, चंदू भाटी, उत्तम भाटी एवं डीसी की सहभागिता रही।एक माह में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं को मिला बीकानेर खालसा का लाभ।

गौरतलब है कि 6 जनवरी से प्रयागराज में रामझरोखा कैलाशधाम द्वारा महात्यागीनगर में बीकानेर खालसा लगाया गया है। श्रीसरजूदासजी महाराज द्वारा आयोजित इस बीकानेर खालसा में विगत एक माह में लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं को भोजन व रहने की सुविधा मिल चुकी है। लगभग 200 से अधिक कार्यकर्ताओं की टीम ने दो चरणों में श्रद्धालुओं को सेवा प्रदान की।

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