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हिन्दुस्तान जिंक ने नवीन तकनीक और नवाचारों से उत्पादन और सुरक्षा को बढ़ाया

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

हिन्दुस्तान जिंक भूमिगत खनन में टेली-रिमोट संचालन अपनाने वाली पहली भारतीय मेटल कंपनी

भीलवाडा। (पंकज पोरवाल) नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक ने नवीन तकनीकों को अपनाने में अपनी अग्रणी स्थिति को और मजबूत किया है। यह कंपनी मेटल और मैन्यूफैक्चािरंग क्षेत्र के भविष्य को नया आकार दे रही है। कंपनी ने हाल ही में टेली-रिमोट और मार्गदर्शन करने वाले लोडर का उपयोग शुरू किया है। इससे सतह पर बैठे ऑपरेटर खदानों में काम करने वाले लोडर को शिफ्ट बदलने के दौरान भी नियंत्रित कर सकते हैं। कंपनी के अपने ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से यह संभव हुआ है। इस नए तरीके से राजस्थान रामपुरा आगुचा माइन में उत्पादन में सुधार हुआ है, जिससे शाफ्ट से अयस्क निकालने की क्षमता 6,500 टन प्रतिदिन से बढ़कर 8,000 टन प्रतिदिन हो गई है।

एक और बड़ी उपलब्धि स्मोक-ऑवर्स ड्रिलिंग तकनीक का इस्तेमाल है। हिन्दुस्तान जिं़क यह स्वचालित तकनीक इस्तेमाल करने वाली पहली भारतीय मेटल कंपनी बन गई है। इससे शिफ्ट बदलने के दौरान भी ड्रिलिंग का काम जारी रखा जा सकता है, और ऑपरेटर सतह से मशीन को चलाता है। औसतन, पिछले तीन वर्षों में इससे सालाना 22 हजार टन अतिरिक्त मेटल प्राप्त हुआ है। यह तकनीक विश्व की सबसे बड़ी भूमिगत जिंक माइन रामपुरा आगुचा और विश्व की शीर्ष पाँच चांदी उत्पादक खदानों में से एक सिंदेसर खुर्द दोनों में संचालित है।

स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में बढ़ते हुए, कंपनी ने एक एआई-आधारित (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), सेंसर-आधारित अनुमान लगाने वाली रखरखाव प्रणाली भी लगाई है। इसे एक नई तकनीक स्टार्टअप इनफिनिट अपटाइम के साथ मिलकर विकसित किया गया है। 1 हजार से अधिक स्मार्ट सेंसर लगाकर, हिन्दुस्तान जिं़क ने मशीनों के खराब होने के खतरे को सफलतापूर्वक कम किया है और अपनी माइंस और स्मेल्टर्स में बिना योजना के होने वाले डाउनटाइन को लगभग 500 घंटे तक कम कर दिया है। हिंदुस्तान जिंक ने जस्ता उत्पादन को कुशलतापूर्वक बढ़ाने के लिए एक एआई-आधारित ऑटोमेशन उपकरण भी लगाया है।

यह उपकरण ऐतिहासिक डेटा पर प्रशिक्षित एक बुद्धिमान मॉडल के माध्यम से उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए जिंक डस्ट, सोडियम सल्फेट, चूना, सीमेंट जैसे कच्चे माल के उपयोग को बेहतर बनाने के लिए एआई एमएल आधारित सिफारिश मॉडल का उपयोग करता है। इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के मुख्यकार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा कि, तकनीक हमारी व्यवसाय प्रक्रिया का मूल है। हम ऐसी पहली तकनीकें इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं जो हमारे उत्पादन को बेहतर बनाती हैं और संसाधनों का सही इस्तेमाल करते हुए अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने में मदद करती हैं। ऐसी तकनीकों को अपनाने से, हम अपने पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम कर रहे हैं और सभी के लिए एक जैसा कार्य करने का अनुभव दे रहे हैं।

हम तेजी से एक प्रौद्योगिकी कंपनी बन रहे हैं, क्योंकि तकनीक अब हमारे धातु उत्पादन का जरूरी हिस्सा है। एआई एमएल, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन को तेजी से अपनाकर हम उद्योग और देश को आगे बढ़ा रहे हैं। हिंदुस्तान जिंक ने अपने संचालन में रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकों और नवाचारों को शामिल किया है। हाल ही में कंपनी ने अपने परिचालन में एक उन्नत एआई-आधारित कैमरा निगरानी प्रणाली लगाने की घोषणा की। यह नया समाधान कार्यस्थल की सुरक्षा, परिचालन दक्षता और नियमों का पालन सुनिश्चित करता है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है।

इसके अलावा, कंपनी ने उच्च तापमान पर स्मेल्टर्स में रोबोटिक ऑटोमेशन का इस्तेमाल किया है, जिससे सटीकता बढ़ी है, धातुकर्म वर्कफ्लो सुव्यवस्थित हुआ है और उत्पाद की गुणवत्ता लगातार बनी हुई है। हिन्दुस्तान जिंक भूमिगत खदानों की मैपिंग की सटीकता बढ़ाने और अयस्क निकालने की योजना को बेहतर बनाने के लिए एलाआईडीएआर सक्षम ड्रोन-आधारित स्टॉप स्कैनिंग शुरू करने की तैयारी में है।

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