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125 साल से अधिक पुराने चिलवाली सरोवर की दुर्दशा

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लोक टुडे न्यूज़ नेटवर्क

— 50 लाख रुपए खर्च, नहीं निखरा स्वरूप
— जनता भी सफाई को लेकर नही सतर्क, फैला कचरा


किशनगढ़ रेनवाल। (नवीन कुमावत) शहर के तहसील भवन के पास मनोरम स्थल करीब 125 सालों से अधिक पुराने चिलवाली सरोवर की दिनोदिन दुर्दशा होेती जा रही है। इसके स्वरूप को निखारने के लिए नगर पालिका ने वर्ष 2018 में जल स्वावलंबन योजना के तहत करीब 50 लाख रुपए से अधिक खर्च किया था। इसके बाद भी ना तो ये कभी जल से पूरा भर पाया और ना ही इसका सही से रखरखाव हो पाया। यहां तक की यहां पहुंचने को सड़क तक नहीं बन पाई। इस प्राचीन सरोवर पर सुबह घूमने आने वाले लोग यह चारों ओर फैले कचरे और गंदगी को देखकर मन मसोस कर रह जाते हैं।


यहां सुबह भ्रमण के लिए आने वाले भूपेंद्र कुमावत का कहना है कि नगरपालिका प्रशासन ने तो रुपया औने पौने तरीके से खर्च करके इतिश्री कर ली है। अब यहां कई नशेड़ी, और असामाजिक तत्व आते हैं जो प्लास्टिक की थैलियां, खाली बोतल आदि इधर उधर फेंक जाते हैं। जिससे यह कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं। यहां एक प्याऊ और मंदिर भी है। कई धार्मिक और सहयोगी प्रवृत्ति के लोग यहां सेवाभाव रूप से जनहितार्थ कार्य भी करते हैं। मवेशी यहां सरोवर में अपनी प्यास बुझाते हैं। पवित्र माने जाने वाले इस सरोवर पर वन सोमवार पर वनविहार को एवं तीज गणगौर आदि पर महिलाएं यहां आती हैं। यहां जलझूलनी एकादशी पर श्रीठाकुर जी का जल नौका विहार कार्यक्रम भी होता है। ऐसे में इस प्राचीन पवित्र सरोवर की ओर प्रशासन द्वारा रखरखाव एवं देखभाल पर ध्यान ना देना जनभावनाओं को देखते हुए उचित नहीं है।

कई जागरूक लोगों व संगठनों ने किया है पौधारोपण :
अमृता प्रकृति संवर्धन अभियान के तहत भाटी चेरिटेबल ट्रस्ट के संयोजक रणजीत सिंह भाटी के नेतृत्व में चिलवाली सरोवर के पास ट्रस्ट एवं आरएसएस ने संयुक्त रूप से पौधारोपण किया। इसके अलावा गौ मित्र मंडल ने भी यहां पौधारोपण किया है।

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