जयपु। दीपावली के पावन पर्व पर सभी सनातन धर्म प्रेमियों कुछ दिनों से पत्र-पत्रिकाओं में दीपावली पूजन की तिथियों एवं मनाने को लेकर विवाद एवं असमंजस की स्थति बनी हुई हैं, कोई 31 अक्टूबर को तो कोई 1 नवम्बर को दीपावली होने की बात कह रहे हैं।
इस विषय पर अध्ययन करने के पश्चात आचार्य जैनेंद्र कटारा ने कहा कि मै इस बात को प्रमाणिकता के साथ कह रहा हूँ कि दीपावली का पर्व शास्त्र प्रमाण के आधार पर 1 नवम्बर शुक्रवार के दिन ही मनाया जाना प्रमाणिक एवं सर्वश्रेष्ठ हैं। निर्णय सिंधु ग्रँथ के प्रथम परिछेद के पृष्ठ 26 पर लिखित हैं कि जब अमावस्या 2 दिन प्रदोष वेला में रहें,उस समय दूसरे दिवस की अमावस्या को ही पूजन-यजन मान्य होता हैं। दीपावली महापर्व का पूजन स्वाती नक्षत्र में श्रेष्ठ माना जाता हैं।
निर्णय सिंधु ग्रँथ के द्वितीय परिछेद के पृष्ठ300 पर स्पष्ठ लिखा है कि दूसरी अमावस्या प्रदोष व्यापनी ही मान्य है। सूर्यअस्त के एक घटी से अधिक व्यापनी होने पर सम्पूर्ण दिवस एवं सम्पूर्ण रात्रि दीपावली पूजन हेतु सर्वश्रेष्ठ एवं मान्य है। इस आधार पर 1 नवंबर शुक्रवार को ही दीपावली पर्व मनाया जाएगा। इस आधार पर विभिन्न- विभिन्न मुहर्त पर अपनी सुविधानुसार पूजन-यजन करें।
1 नवंबर 2024 के दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त
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प्रातः 7:30 बजे से 10:30 बजे तक लाभ एवं अमृत का चोघड़िया,एवं 7:49 बजे से 10:08 बजे तक वृश्चिक स्थिर लग्न हैं, जिसमें दूकान, प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, ऑफिस की पूजा, पुनः 11:36 से 12:24 अभिजीत मुहर्त के साथ साथ 12:00बजे से1:30तक शुभ का चौघड़िया के पश्चात पुनः सांय 4:30बजे से7:30 बजे तक गौधूलि प्रदोष वेला एवं दिन में ही 1:54 बजे से 3:13 बजे तक कुंभ लग्न समिल्लित होने से पूजन का श्रेष्ठ समय हैं। रात्रि 9:00बजे से 10:30बजे तक लाभ का चौघड़िया के साथ साथ 6:18बजे से 8:13 बजे तक वृर्षभ लग्न, मध्य रात्रि12:00बजे से3:00 बजे तक शुभ एवं अमृत का चौघड़िया साथ ही 12:54 से 3:13 बजे तक सिंह लग्न,के बाद ब्रह्म मुहूर्त की पूजा 4:30 बजे से 6:00बजे तक (2 नवंबर ), विभिन्न मुहूर्तों के आधार पर दीपावली पर्व को सर्व दिवस एवं सम्पूर्ण रात्री पूजन हेतु मान्य एवं श्रेष्ठ है।
अति सभी विवाद एवं असमंजस से हट कर शुक्रवार 1 नवम्बर को दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाये एवं पूजन करें। पुनः सभी सनातन धर्म प्रेमियों को शुभाशीष एवं हार्दिक शुभकामनाएं।