अगर हम शरीर को ही स्वस्थ रहना माने तो शरीर तो त्वचा, हड्डी, मांस, मज्जा का ही बना है। उसको तो चाहे देशी दवा दो या विदेशी उसे तो ठीक होना ही है लेकिन अगर खुद को शरीर न मान कर शरीरी यानी में शरीर नही हूँ माने तो मांसाहार नुकसानदेय है।

किसी भी आद्यात्मिक व्यक्ति से पूछेंगे तो वह यही कहेगा कि शाकाहारी बनें। पर क्यों?

क्योंकि ,जैसे ही आपकी आद्यात्मिक यात्रा प्रारंभ होती है आप देह की वासना से मुक्त होने लगते है। देह को विषय भोग से हटा कर सात्विक भोजन की तरफ मुड़ जाते है। फिर आपको छोटी मोटी बीमारी तंग नही करती।

हाँ जो पूर्वजों से डीएनए के द्वारा बीमारी आई है उसको तो आपको इलाज करना ही पड़ेगा। चूंकि आध्यात्मिक बनते ही आपको देह से मोह ही नहीं तो उस देह की चिकित्सा के समय क्या शरीर खा रहा है ये आपको महसूस नहीं होगा।

अगर लोग सात्विक भोजन करेंगे तो चित्त विषय भोग में कम लगेगा। फिर बीमार होने की संभावना भी कम हो जाएगी और हमें इन इंग्लिश दवाओं को लेना ही नही पड़ेगा। जब शरीर से भोगों के प्रति वासना नही रहेगी तो शरीर ऊर्जावान होने लगता है। मोदी जी की ऊर्जा देखिए। यह ब्रह्मचर्य की ही ताकत है। में खुद भी जब नाई के पास जाता हूँ तो वह कहता है बाउजी आपके पुट्ठे काफी सॉलिड है। इस उम्र में भी क्या खाते हो तो में कहता हूं कि मूंग और चने की दाल।

लौकी का ज्यूस घटाता है बीपी और कोलेस्ट्रॉल

अभी मैंने एक अनुभव किया। मैं बीपी की गोली 15 साल से लेता हूँ सरकारी नोकरी में टेंशन तो रहती ही है । जो सरकारी नौकरी मन से करेगा तो अधिक कार्य भी मिलेगा। फिर उसकी टेंशन भी। पिछले सर्दियों में पराठे अधिक खाने से कोलोस्ट्रोल बढ़ गया था। डॉक्टर ने खून को पतला करने की और कोलोस्ट्रोल को कम करने की दवा दी। उससे मुझे आराम मिला। फिर मेने सुबह सुबह चूंकि अभी गर्मी है मैने एक छोटी लोकी का जूस पीना प्रारंभ कर दिया। 15 दिन बाद मैने टेस्ट कराया तो टोटल कोलोस्ट्रोल 80 ही रह गया। डॉक्टर ने कोलोस्ट्रोल की गोली बंद कर दी।

यानी लोकी में इतनी ताकत है कि वह गर्मी कम करती है विटामिन बढ़ाती है। खून को पतला करती है। कोलोस्ट्रोल को कम करती है जिससे बीपी भी कम हो जाता है। यानी हमारी सात्विक भोजन से बीमारी पास ही नही आती।

मांस मदिरा से होता है ब्लड गाढ़ा

समस्या यह है कि हमने विदेशी आहार मांस, मदिरा, तामसी प्रकृति अपना ली। उससे शरीर मे शुगर, बीपी, कोलोस्ट्रोल की बीमारी पनप रही है। फिर इनके लिये हम अंग्रेजी दवा लेने लगते है फिर इनके आदी हो जाते है।

हमारी बीमारियों की जड़ हमारा अम्लीय भोजन है। क्षारीय भोजन हम कम करते है इससे ही बीमारी बढ़ती है।

कृपया ध्यान रहे कि लौकी की तासीर ठण्डी होती है यह क्षारीय पदार्थ है। तथा यह तेजी से शुगर और बीपी कम करती है अतः इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें तथा सर्दियों में सेवन न करें। लोकी का सूप हृदय के ब्लॉकेज को भी कम करता है।

डा पीयूष त्रिवेदी- आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी प्रभारी राजस्थान विधान सभा जयपुर।

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