सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर से मुलाकात करता आम कार्यकर्ता जगदीश छिंपा और उनकी बेटिया

जयपुर। (नीरज मेहरा) सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर का मंगलवार को जयपुर के बिड़ला सभागार में नागरिक अभिनंदन किया गया था। इस ,समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा , पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, डिप्टी सीएम दिया कुमारी, डॅा. प्रेम चंद बैरवा, राज्य मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य , विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पार्टी के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। नामचीन लोगों के साथ कई पुराने पत्रकार भी सिर्फ उन्हें देखने और सुनने पहुंचे। इनमें बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने बस ओम जी के आगमन की बात सुनी और पहुंच गए। मंगलवार को जब ओमजी भाई साहब का नागरिक अभिनंदन चल रहा था। उसी भीड़ में एक कोने में पत्रकार दीर्घा के पास एक व्यक्ति अपनी बेटी के साथ में ओम माथुर जी को उनकी स्कैच की हुई तस्वीर देने के लिए खड़ा था। लिस्ट नाम नहीं था. ना किसी समाज की लिस्ट में भी नहीं और न पदाधिकारियों की लिस्ट में । लेकिन वह अपनी बच्ची के साथ पूरे कार्यक्रम में दूसरे लोगों की तरह ही खड़ा रहा। लगभग पौन घंटे बाद जब नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में लोगों की भीड़ छंटी तब वह अपनी बच्ची के साथ मंच पर पहुंचा। मंच पर पहुंचते ही उस व्यक्ति ने ओम जी के पांव छूकर प्रणाम किया और उन्हें उनकी स्कैच की हुई तस्वीर भेंट की। तस्वीर भेंटकर जब वह लौटने लगा तो मंच से ही ओम जी उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए पीए से उससे बात करने को कहा। मौके पर मौजूद विजय शर्मा जी ने उससे नाम पूछा और जानकारी जुटाई तो उसने बताया की उसका नाम जगदीश छिंपा है और वह ओम जी भाई साहब जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे तब कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ का प्रदेश महामंत्री था। पार्टी ने करीब दो दर्जन ऐसे ही प्रकोष्ठों का गठन कर उन्हें पार्टी मुख्यालय में ही छोटे- छोटे कार्यालय दे रखे थे। जगदीश छिंपा और प्रदेश अध्यक्ष छंगाणी भी वहीं प्रकोष्ठ के कार्यालय में बैठते थे। उनके अध्यक्ष पद से हटने के बाद बहुत सारे संगठन और प्रकोष्ठों का फिर से किसी को जिम्मेदारी दी नहीं गई। जगदीश छिंपा भी दूसरे कार्यकर्ताओं की तरह ओम जी भाई साहब का उस समय से ही मुरीद था। जैसे ही ओम जी ने इतनी भीड़ के बीच उसे पहचाना तो अपने घर बुला लिया।

राज्यपाल ओम माथुर से मिलकर जगदीश छिंपा और बेटी हुए गदगद

जैसे ही ओम माथुर जी ने अपने पीए के माध्यम से मंगलवार को सवेरे घर आने का कहा तो जगदीश और उनकी बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दोनों पिता और बेटी सुबह ही ओम जी माथुर के घर पर पहुंच गए। वहां पर लोगों की बड़ी भीड़ थी। जैसे ही ओम जी भाई साहब के पीए रतिश चतुर्वेदी तक जगदीश ने मैसेज पहुंचाया तो उन्होंने राज्यपाल ओम जी माथुर को ये जानकारी दी, ओम जी ने तुरंत जगदीश छिंपा और उनकी बेटी को बुलाया। दोनों से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम पूछी, घर परिवार की जानकारी ली, बेटी को ढ़ेर सारा आशीर्वाद दिया। करीब पांच मिनिट तक उन्होंने दोनों बाप – बेटी से बातचीत की तो जगदीश के खुशी के आसूं छलक गए। भाई साहब से मिलकर बाहर निकलकर जगदीश के बहुत देर तक खुशी के आसूं नहीं रुके। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । जगदीश के मूंह से निकल गया। ऐसे ही हर कोई नेता नहीं बनता ओम जी भाई साहब। क्योंकि आजकल तो नेता कार्यकर्ताओं से सीधे मूंह बात तक नहीं करते। जब चुनाव आते है तो सोचते है पार्टी के दम पर जीत जाएंगे… कार्यकर्ताओं को क्यों मूंह लगाए। अब जब ओम जी भाई साहब राज्यपाल बन चुके हैं। राजस्थान में भी व्यस्तता के चलते बहुत कम आना- जाना होता है । इस दौरान प्रोटोकॅाल भी रहता है। अब तो और ज्यादा है लेकिन फिर भी वे अपने एक छोटे से कार्यकर्ता को नहीं भूले। कल मंच पर ज्यादा बात नहीं हो सकी तो आज घर बुलाकर उससे मुलाकात की।जिससे आम कार्यकर्ता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा….. जगदीश ही नहीं इसलिए तो लोग उन्हें आज भी कहते ऐसे ही हर कोई नहीं बनता ओम जी भाई साहब……. ऐसे ही लाखों जगदीश छिंपा जैसे समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता ओम जी भाई साहब ने तैयार किए है जो भी उनके प्रति समर्पित है।

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