लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर । (विशेष संवाददाता) जब अपने आलाधिकारियों से न्याय की बजाय फटकार, बेज्जती ,सस्पेंशन और गाली गलौज मिली तो भांकरोटा में तैनात हेड कांस्टेबल बाबूलाल बैरवा ने सुसाइड कर लिया । लेकिन सुसाइड करने से पूर्व बाबूलाल बैरवा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम एक चिट्ठी लिखी, सुसाइड नोट लिखा और सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को संबोधित करते हुए ही पुलिस महकमे के तीन अधिकारियों और एक पत्रकार का नाम उल्लेखित किया की, इन चारों की वजह से मैं आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा हूं। आत्महत्या से पहले ही मृतक ने अपना सुसाइड नोट वायरल कर दिया । जब तक पुलिस वाले पहुंचते तब तक वह अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुका था ।लेकिन मरने से पहले मुख्यमंत्री के नाम छुट्टी लिखते समय बाबूलाल बैरवा को यह यकीन था कि इस चिट्ठी को किसी और के नाम लिखूंगा तो हो सकता मुझे न्याय मिले या नहीं मिले ,मेरे परिवार को सम्मान मिले या नहीं मिले ,लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम छुट्टी लि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही भी होगी और मुझे न्याय में मिलेगा परिवार को परेशान नहीं होना पड़ेगा लेकिन 5 दिन होने के बावजूद भी अभी तक सरकार की तरफ से मृतक के परिजनों को और डेड बॉडी के साथ धरने पर बैठे लोगों के साथ को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है कि अब तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिनिधि मृतक के परिवार से वार्ता करने नहीं पहुंचा है अब तक धरने प्रदर्शन पर बैठे हुए लोगों की और उनके परिजनों की जो भी बातचीत हुई है पुलिस कमिश्नर से ही हुई है। जाहिर सी बात है कि इस तरह के मामलों में मुख्यमंत्री स्तर पर ही फैसला होना होता है लेकिन राजधानी जयपुर में इतना बड़ा घटनाक्रम होने के बावजूद में तो मुख्यमंत्री जी की तरफ से नए चीफ सेक्रेटरी की तरफ से ना दोनों मुख्यमंत्री की तरफ से कोई भी संवेदना तक का संदेश नहीं आया है। मृतक की पत्नी बेटी और बेटा सहित परिजन और हजारों के संख्या में लोग जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की नर्सरी के बाहर धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी भी कोई उन्हें भरोसा दिलाने वाला नहीं पहुंचा है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भाजपा विधायक जितेंद्र गोठवाल पहुंचे धरने पर
हेड कांस्टेबल की आत्महत्या के चौथे दिन धरना स्थल पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक टीकाराम जूली, कांग्रेस के विधायक अमीन कागजी और इंदिरा मीणा धरना स्थल पर पहुंची। इसके अलावा कांग्रेस के नेता यहां पहुंच कर श्रद्धांजलि दी । चौथे दिन ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री बीजेपी के विधायक जितेंद्र गोठवाल श्री धरना स्थल पर पहुंचे। विधायक ने परिवार से बातचीत करके भरोसा दिलाया कि सरकार से मिलकर जो भी अच्छा होगा करने की कोशिश करेंगे ।इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा कि आप चौथे दिन आए हो और अभी भी सरकार से बात करने की बात कह रहे हो, आखिरकार अब तक क्या किया आपने सवालों के बौछार भी कर दी । अपना गुस्सा भी जाहिर किया उसके बाद गोठवाल ने वहां लोगों को संबोधित भी किया और कहा कि इसके लिए प्रयास होना चाहिए। मैं मुख्यमंत्री से बात करके जो भी होगा जल्दी घोषणा कराऊंगा। लेकिन अभी तक भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया ।यानी कि सरकार इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। कांग्रेस पार्टी के विधायक नेता प्रतिपक्ष ने इस दौरान जमकर भारतीय जनता पार्टी सरकार पर प्रहार किया और मुख्यमंत्री जी से मांग की कि मृतक के परिवार की जो मांगे हैं, इस पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करने, आरोपियों को सजा देने, सहित तमाम मांगों पर सकारात्मक विचार करते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दें । इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार के साथ है और चाहते कि दोषियों खिलाफ एक्शन होना चाहिए। लेकिन अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है और पीड़ित परिवार और दूसरे संगठनों के लोग धरने पर बैठे हैं। आरएलपी के सांसद और संस्थापक हनुमान बेनीवाल आज धरना स्थल पर आ सकते हैं। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को लेकर सरकार की निंदा की है ।साथ ही सरकार से मांग की है कि पीड़ित परिवार की मांगों पर पुनर्विचार करें और मांगों को पूरा करें। उन्होंने कोई खजाना नहीं मांग लिया है ,इससे पहले भी सरकारों ने इस तरह के मामलों में बड़ी-बड़ी रहते घोषणा की है।
मुख्यमंत्री चाहे तो सेकंड में उठ जाएगा धरना
धरने पर मौजूद लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री चाहे तो यह धरना 10 मिनट में उठ सकता है, क्योंकि उन्हें वही कुछ घोषणा करनी है जो अब से पहले होती आई है । कुछ बढ़ा दे तो अपनी ओर से और बेहतरीन हो सकता है लेकिन राजस्थान में ही अब तक यदि किसी पुलिस थाने में भी कोई अपराधी सुसाइड कर लेता है ,तो पूरा का पूरा थाना बर्खास्त हो जाता है । यहां तो एक पुलिस का हेड कांस्टेबल थाने पुलिस चौकी में सुसाइड किया हैआ। सुसाइड नोट में उसने अधिकारियों के नाम लिखे हैं तो ऐसी स्थिति में क्यों नहीं सरकार उन तीनों को बर्खास्त करती है और पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई करती ।जहां तक मुआवजे क की बात है तो मोब लिंचिंग जैसे मामले में भी सरकार एक करोड रुपए दे देती है सरकारी नौकरी दे देती है तो फिर बाबूलाल बैरवा के मामले में सरकार आखिरकार क्यों नहीं पहल कर रही है , क्यों नहीं इस मामले पर पहल कर रही है।
सामाजिक संगठनों में आक्रोश
मुर्दाघर के बाहर बैठे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं सामाजिक संगठन के लोगों का लगातार सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि इस सरकार में दलित ,आदिवासी की मौत की कोई कीमत नहीं है । सरकार ने राजधानी जयपुर में इस तरह के घटनाक्रम पर भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है। यहां तक की अभी तक किसी तरह का कोई प्रेस नोट जारी कर भी इस बात के संकेत नहीं दिए। इस मामले को गंभीरता से ले रही है । जाहिर सी बात है कि भाजपा नेताओं के मन मे दलित आदिवासियों के प्रति कोई खास जगह नहीं है। यदि कोई व्यक्ति दबंग ,जाति विशेष का होता तो अब तक उसके लिए सरकारी खजाने के मुंह खुल चुके होते। लेकिन यहां मामला एक दलित की मौत का है उसका किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
राजस्थान में सर्वाधिक एससी-एसटी के विधायक
इस बार राजस्थान विधानसभा में एससी और एसटी के दोनों पार्टियों से और निर्दलीय जीतकर आने वाले विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा है। यह आरक्षित वर्ग के विधायक अपने-अपने स्तर भी स्तर पर भी मुख्यमंत्री से बातचीत करते तो अब तक पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकता था । एक शव को 5 दिन तक अपने अंतिम संस्कार के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता। धरना स्थल पर लोगों ने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बेरवा और बेरवा समाज के साथ विधायकों के खिलाफ जमकर नरेगा डिप्टी सीएम के खिलाफ देखा गया । धरने को सर्व समाज के लोगों ने समर्थन दे रखा है और सर समाज के लोग भी धरने पर बैठे हैं। सर्व समाज के लोगों ने एससी, एसटी के खिलाफ भी नारेबाजी की । ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि वह पहल करें और तुरंत जो भी मांगे है परिवार की उन पर विचार करके घोषणा करें जिससे आंदोलन भी खत्म हो और एक मृत व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार हो सक सके।