पादू कलां ,नागौर। राकेश शर्मा
पादू कलां। कस्बे सहित आस पास के ग्रामीण आंचल में गुरुवार को बहुला चतुर्थी धुमधाम से बनाई।सुहागिन महिलाओं ने सोलह श्रृंगार से अंलकृत होकर अपने पत्ति की दीर्धायु की कामना के लिए बहुला चतुर्थी भगवान गणेशजी महाराज की पुजा अर्चना व कथा सुनकर तथा चद्रमा को अर्ग देकर अपने पत्ति से आर्शीवाद प्राप्त किया और सुहागिनें अपने पत्ति की लम्बी उम्र की कामना की और अपने परिवार की भी कुशल कामना की। मंदिर व अपने घरों के बहार आंगन में महिलायें एकजुट होकर के मंगल गीत गाती हुई बहुला चतुर्थी भगवान गणेशजी महाराज की पुजा अर्चना की। पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत करवा चौथ है। कथावाचक देवकी देवी बोहरा व सुमनदेवी उपाध्याय ने बताया कि बहुला चतुर्थी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कहा जाता है। यह तिथि बहुला चौथ के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। वर्ष की प्रमुख चार चतुर्थियों में से एक यह भी है। इस दिन व्रत रखकर माताएँ अपने पुत्रों की रक्षा हेतु कामना करती हैं। बहुला चतुर्थी के दिन गेहूँ एवं चावल से निर्मित वस्तुएँ भोजन में ग्रहण करना वर्जित है। गाय तथा शेर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करने का विधान प्रचलित है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का बहुत ही महत्त्व है। विधिण्विधान से प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की पूजा की जाती है। रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर उन्हें अध्र्य दिया जाता है। कई स्थानों पर शंख में दूध , सुपारी , गंध तथा अक्षत चावल से भगवान श्रीगणेश और चतुर्थी तिथि को भी अध्र्य दिया जाता है। इस प्रकार इस संकष्ट चतुर्थी का पालन जो भी व्यक्ति करता हैए उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। जो व्यक्ति संतान के लिए व्रत नहीं रखते हैंए उन्हें संकट विघ्न तथा सभी प्रकार की बाधाएँ दूर करने के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। रात को महिलाऐ चद्रमा को अर्ग देकर भोजन की ।