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सवाई माधोपुर ।(लोकेश टटवाल वरिष्ठ संवाददाता) नगर परिषद की बोर्ड बैठक में वर्षो पूर्व में आर यू डी पी व आई एच ऐफ योजना के तहत सरकार द्वारा बनाए गए करीब 300 सरकारी क्वार्टरो कब्जा मुक्त करने का निर्णय लिया गया इसकी पालना में आज इन सभी 300 सरकारी क्वार्टर में रह रहे लोगों को बाहर निकाल कर कब्जे लिए गए इस दौरान कई लोग अपना आशियाना सुनने से रोने लगे। प्रशासन की शक्ति के साथ-साथ प्रकृति का भी कहर गरीबों पर टूटा । क्योंकि इसी दौरान बरसात आ गई जिसके चलते छोटे-छोटे बच्चे और गरीब महिलाएं बच्चियों रोने लगी।
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नगर परिषद का जाप्ता पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचा और श्याम वाटिका के पीछे बनी 150 क्वार्टर को पूर्व में जिन लोगों को आवंटित किया गया था उनके दस्तावेज चेक किए गए और जिन क्वार्टर में अवैध रूप से लोग रह रहे थे उनको खाली कराया गया । नगर परिषद ने अपना ताला लगाया ऐसे में करीब 100 से अधिक क्वार्टरो में अवैध रूप से रह रहे लोग पाए गए ।कुछ क्वार्टर को किराए पर देने की बात भी सामने आई व कुछ लोगों ने उन सरकारी क़वार्टरो को ओने पौने दामों में खरीद कर अपना कब्जा करना पाया । जबकि नियम अनुसार आवंटित क्वार्टर को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता।
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पीढ़ी दर पीढ़ी आवंटन का नियम इसमें बनाया गया है, ऐसे में गरीब लोगों से कुछ लोगों ने पैसे ऐठ कर फर्जी तरीके से उन्हें बेच दिया ,जिसके एग्रीमेंट भी होना सामने आया। जिस पर भी कार्रवाई करते हुए नगर परिषद टीम ने उनको खाली करवाया और अपना ताला लगाया। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि अब से 15 वर्ष पूर्व यह क्वार्टर फॉरेस्ट एरिया में रह रहे शहर के कुछ लोगों को दिए गए थे। लेकिन उनमें से कुछ लोग वर्तमान में रह रहे हैं । वहीं कुछ लोगों ने अपनी क्वार्टर को अन्य को बेच दिया व कुछ लोगों ने अभी भी क्वार्टर किराए पर दी हुई है । इसी प्रकार कुछ क्वार्टर को खाली देखकर बेसहारा गरीब तबके के लोग उनमें आकर रहने लगे । लंबे समय से इस पर नगर परिषद आंखें बंद कर हुए बैठा हुआ था । 24 जून को बोर्ड बैठक में इन क्वार्टरों को लेकर निर्णय लिया गया।
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लेकिन मानवीय दृष्टिकोण की बात करें तो कुछ लोग ऐसे भी क्वार्टर में रहते हुए पाए गए जिनमें आगे पीछे परिवार के कोई भी सदस्य नहीं है । अकेले अनाथ लोग हैं ।बेसहारा विकलांग जो कमाने में असमर्थ है, कुछ बहुत ही गरीब तबके के लोग जो उन क्वार्टर में रहकर अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं। वे लोग भी आज उन क्वार्टरों से बेदखल कर दिए गए । बरसात के चलते एक तरफ नगर परिषद की ओर से कृष्णकांत मीणा ने क्वार्टर खाली करवाने की कार्रवाई जारी रखी । वहीं प्रकृति का सितम भी उन गरीब लोगों पर होने लगा और क्वार्टर खाली करने के दौरान तेज बरसात से उन लोगों के सामान सड़क पर भीगता रहा। हालांकि पूर्व में इनको नगर परिषद द्वारा नोटिस दिया जा चुका था। कुछ लोगों ने क्वार्टर खाली कर दिए थे तो कुछ लोगों ने अभी भी क्वार्टर खाली नहीं की।
लेकिन जहां केंद्र व राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत गरीब लोगों को भवन भूखंड देने की बात कहती है ।उसकी भी पोल खुलती नजर आई । ऐसा नहीं है कि इन लोगों द्वारा प्रार्थना पत्र नहीं दिए गए हो या इनको भी भवन मिले इसकी खानापूर्ति इनके द्वारा नहीं की गई हो ,लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंचने ही कौन देता है। यह सब लोग उसी का शिकार है। अगर इनके प्रार्थना पत्र पर कार्रवाई की जाती तो शायद आज ये उनके मलिकाना हक उनके पास होता । नगर परिषद चाहती तो कब्जा सुधार लोगों से कवकों का पैसा वसूल करके उन्हें नियमित भी कर सकती थी जिससे यह लोग टैगोर भी नहीं होते और नगर परिषद को भी आम आदमी हो जाती है लेकिन परिषद में ऐसा नहीं किया इसके चलते यहां रह रहे सैकड़ो लोग बेघर हो गए उनके सामने बरसात के मौसम में अब सिम पाने को भी जगह नहीं है ऐसे मैं चिंता से बात की सता रही है कि वह आखिर अब जाए तो जाए कहां । अब नगर परिषद ने अधिकांश क्वार्टर खाली करवा लिए हैं लेकिन ये क्वार्टर शराबी जुआरी और अय्याशी का अड्डा नहीं बन जाए इस बात से भी लोग चिंतित है। पूर्व में भी जब इन क्वार्टरों में भी कोई नहीं रहता था तब भी इन क्वार्टर में अपराध पनपता हुआ देखा गया। करीब चार मर्डर भी उस दौरान हो चुके और शराब सहित अवैध मादक पदार्थ भी बेचने की सूचनाओं वहां पर मिलती रही। नगर परिषद अपनी संपत्ति की सार संभाल करता तो न तो कहीं पर कब्जा करता और नगर परिषद को भी निश्चित आमदनी होती । इन पर गरीबों को बसाया जा सकता है। आज इन क्वार्टरों को खाली करवाने की कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पड़ती । ऐसे में राजस्थान सरकार कुछ नियमों योजनाओं के तहत प्रदेश भर में ऐसे खाली पड़े भूखंड या अवैध कब्जा किए हुए भूखंड गरीब तबके के लोगों को दे तो उनको उनके बेसहारा बच्चों को सरकार छत देने का काम कर सकती है ।