केंद्रीय नेतृत्व नहीं झुकेगा नए चेहरे को बनाएगी मुख्यमंत्री
जयपुर। राजस्थान कौन होगा मुख्यमंत्री इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से मिल रहे संकेत के अनुसार माना जा रहा है कि इस बार राजस्थान में भी नए चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी दी जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा । वसुंधरा राजे 2 दिन तक दिल्ली में डेरा डालकर आ गई और वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व पर राजस्थान में उन्हीं को मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव भी बनाया। लेकिन जिस तरह से आज छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया है और पूर्व में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह को दरकिनार किया गया है । जाहिर सी बात है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तीनों राज्य में मुख्यमंत्री नए लोगों को बनाएगा, जो आयु में भी 70 वर्ष से कम हो और संघ की पसंद का हो और जिससे आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को लाभ मिल सके। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की तीन बार मुख्यमंत्री रहते हुए पकड़ भी अच्छी थी । छत्तीसगढ़ को विकास के मार्ग पर आगे भी किया था । उन्होंने विकास करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी ।पिछला चुनाव जरूर हारे थे लेकिन पिछले 5 साल से लगातार सक्रिय थे। यही कारण है कि इस बार भाजपा की फिर से सरकार बन गई । वहां के लोगों को भी उम्मीद थी कि रमन सिंह ही स्वाभाविक उम्मीदवार है और उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा । लेकिन हुआ उल्टा छत्तीसगढ़ में पहला आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया गया है। जो वहीं का स्थाई निवासी है । आदिवासी समाज से आता है और भारतीय जनता पार्टी ने यह संदेश दे दिया कि हमारे यहां पर जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। राजस्थान में यदि वसुंधरा राजे को जिम्मेदारी देनी होती तो चुनाव से पूर्व ही वसुंधरा राजे को भाभी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाता । लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने पहले दिन तय कर लिया था कि इस बार राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों ही प्रदेशों में नए मुख्यमंत्री बने हैं। पुराने चेहरों को कमान नहीं सौंपकर , पूरा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया। अब जब राजस्थान में 115 सीट जीतकर आई है तो वसुंधरा राजे और उनके समर्थक विधायक लगातार पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं । कई विधायकों ने खुलकर बयान भी दे दिया कि वह मुख्यमंत्री के तौर पर केवल वसुंधरा राजे को चाहते हैं। इसके अलावा कोई मंजूर नहीं है। बताया जा रहा है कि 40 से 50 विधायक एक तरफा वसुंधर राजे के समर्थन में है कोई इनकी संख्या साठभी बता रहा है और कुछ लोगों का ना कि भारतीय जनता पार्टी की जो बाकी जीत कर आए हैं वह भी वसुंधरा राजे में ही विश्वास जाता रहे हैं ूढऐवसुंधरा राजे ने चुनाव परिणाम आने के दूसरे दिन भी शक्ति प्रदर्शन किया था तब उन्होंने कहा कि लोग शिष्यचर मुलाकात करने आए हैं ीढअब दो दिन बाद वसुंधरा राजे जब जयपुर आई है दिल्ली से लौटकर तब उनके आवास पर आज सुबह से ही नवनिर्वाचित विधायकों के आने जाने का सिलसिला जारी है और सत्ता के गलियारों में इस शक्ति प्रदर्शन का ही नाम दिया जा रहा है हालांकि जब विधायकों से पूछा जाता है कि यदि केंद्रीय नेतृत्व में कोई नया नाम तय कर दिया । तब वह क्या करेंगे क्या तब भी वे वसुंधरा राजे के साथ बने रहेंगे तो इस पर अधिकांश विधायकों का कहना था कि वे पार्टी के निर्देश पर काम करेंगे यानी कि यदि पार्टी ने कोई नई नया चेहरा राजस्थान के लिए घोषित कर दिया तो वसुंधरा राजे के साथ जाने वालों की संख्या बहुत कम हो जाएगी । १
इस बात को खुद वसुंधरा राजे भी जानती है और पार्टी का नेतृत्व अभियंता है हालांकि वसुंधरा राजे ने किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव बनाने से इनकार किया है उनका कहना है कि यह सब लोग शिष्टाचार वस्त्र मिलने आए हैं और हम वही बात मानेंगे जो पार्टी का नेतृत्व चाहेगा वैसे तो आज पर्यवेक्षकों को आना था लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में आपसी सहमति नहीं बनने के कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दो अन्य पदाधिकारी नहीं आ पाए माना जा रहा है कि अभी मंगलवार को आएंगे और उसे दिन विधायकों की बैठक करेंगे और उसी दिन मुख्यमंत्री कौन होगा इसकी घोषणा कर दी जाएगी इसके साथ ही राजस्थान में वसुंधरा राजे अलर्ट हो गई है उन्होंने अपने अपने विधायकों को सतर्क कर दिया है और वे सभी विधायक वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाने की प्यार भी भी कर रहे हैं जहां जिसको जैसा मौका लगेगा वह वैसा ही वसुंधरा राजे की पेरवी भी करेगा। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व भी यह जानता है कि यदि वसुंधरा राजे बगावत करती है तो राजस्थान में पार्टी को नुकसान करता है इसलिए भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व फूंक फूंक कर कदम उठा रहा है । भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व यह जानता है कि यदि वसुंधरा राजे नाराज होती है तो उसे लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है लोगों का तो यहां तक कहना है कि फिर तो वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में भी कोई समझौता हो सकता है और जोड़-तोड़ करके कोई भी सरकार बन सकता है हालांकि वसुंधरा राजे भी से इनकार कर रही है और अशोक गहलोत भी स्वीकार कर रहे हैं लेकिन जयपुर में विधायकों को एक साथ बुलाना बातचीत करना बैठक करना यह तमाम बातें शक्ति प्रदर्शन की श्रेणी में ही आते हैं और यदि केंद्रीय नेतृत्व इसे अपने खिलाफ चलेंगे मन लगा तो टेमैन लीजिए कि फिर वसुंधरा राजे किसी भी कीमत पर कम नहीं बन सकती मेरी यह बात भली-भांति जानती है कि यदि उसने किसी तरह की गड़बड़ी की तो नुकसान करना पड़ सकता है इसीलिए राजे भी फूंक कर कदम रख रही है। और पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तय कर चुका की राजस्थान में किसी नए चेहरे को मौका दिया जाएगा पुराने चेहरे यानी वसुंधरा राजे को राजस्थान का कम नहीं बनाया जाएगा और उसके बाद से वसुंधरा राजे समर्थकों में भगदड़ मची हुई है खलबली मची हुई है और सब लोग चाहते हैं कि केंद्र पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही बनाया जाए अब देखना यह है कि केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे के दबाव में आता है या फिर किसी एक चेहरे की घोषणा करके सबको उसका सपोर्ट करने के लिए दबाव बनाता है। क्योंकि यह लड़ाई सीधी वसुंधरा वर्सेस मोदी और अमित शाह के बीच की है वसुंधरा जी के रावण नेता रही है दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुकी है दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी है पांच बार सांसद रह चुकी है 6 बार विधायक रह चुकी है ऐसी स्थिति में वसुंधरा राजे को कमजोर आंकना गलत होगा। देखना यह है कि पार्टी नेतृत्व वसुंधरा राजे के आगे झुकता है या फिर अपनी पसंद के व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री बनता है और जिस तरह से छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के होते हुए नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया गया है।