जयपुर की कला व शिल्प की अमूर्त विरासत का परिचय पाएं आईएचसीएल के साथ

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जयपुर। पुराने समय से भारतीय विरासत की संरक्षक मानी जाने वाली भारत की सबसे बड़ी हॉस्पिटल सिटी कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी आईएचसीएल भारत की समृद्ध संस्कृति के ताने-बाने में बेहद मजबूती से गुंथी हुई है। इसकी अगुवाई करते हैं पत्य के मूल्य जो कि आई एचसीएल का isg + फ्रेमवर्क है। यह उन शहरों में से एक है जिन पर आईएचसीएल खास ध्यान देती है। इसके तहत भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित ko बढ़ावा दिया जाता है। इस उद्देश्य के साथ आईएचसीएल ने यूनेस्को के साथ हाथ मिलाया है। इस गठबंधन के अंतर्गत आईएचसीएल के विभिन्न होटलों में ठहरने वाले यात्रियों को अनुभावात्मक पर्यटन कराया जाएगा । इन होटल्स में जयपुर का रामबाग पैलेस भी शामिल है ।रामबाग पैलेस के एरिया डायरेक्टर जनरल मैनेजर अशोक राठौड़ ने बताया कि रामबाग पैलेस बैठे हुए अतिथियों को आदिवासी गांव में वास्तविक कालबेलिया नृत्य देखने को मिलेगा। उन्हें ब्लू पॉटरी बनाने की बारीकियां सीखने का अवसर मिलेगा। स्थानीय कलाकारों के गांव जाकर हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में भी हाथ आजमा सकेंगे। यह सब कुछ जयपुर से कुछ ही दूरी पर मौजूद है।

ब्लू पॉटरी

ब्लू पॉटरी एक पूर्व पारसी उत्तर भरा है जिससे जयपुर से 15 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव सांगानेर की सरकारों ने जिंदा रखा है इसका नाम आकर्षक अल्ट्रा मरीन नीली डाय पर पड़ा है इसे कोबाल्ट ऑक्साइड से निकाला जाता है और बर्तनों को रंगा जाता है परंपरागत तरीके से इसे क्वार्टर से बनाया जाता है मैं चिकनी मिट्टी से हर एक चीज को हाथों से बड़ी मेहनत से बनाया जाता है।

बगरू कला छपाई

बगरू गांव में अत्यंत कुशल सरकार बसते हैं।उनके समुदाय को छिपा कहते हैं। उन्हें ब्लॉक प्रिंटिंग और कीचड़ से बेअसर प्रिटिंग तकनीकों के लिए जाना जाता है। आज से 500 सालों से भी ज्यादा समय से करते आ रहे हैं, । यह शिल्पकार शीशम की लकड़ी से बने ब्लॉक इस्तेमाल करते हैं।जिन पर हाथों से पेचीदा दुकानों की नक्काशी की जाती है। प्राकृतिक डाई में डूब वाया जाता है उसे भी यही लोग बनाते हैं उसके पश्चात टेक्सटाइल पर प्रिंट किया जाता है।

कालबेलिया नृत्य

कालबेलिया नृत्य उन लोगों की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है जो पहले सपेरे हुआ करते थे। यह अक्सर गांवों और नगरों के बाहर अस्थाई ढेरों में रहते हैं । इस जनजाति की महिलाएं मुख्यतः नृत्य करती है। नृत्य के जरिए सांप की गतिविधियां दर्शाई जाती है जो बीन की धुन पर मंत्रमुग्ध होकर नाचती है। पुरुषों द्वारा बीन बजाई जाती है। राजस्थान के पारंपरिक लोक वाद्यों पर महिलाएं सुंदरता के साथ अपने खास काले लहंगे और आभूषणों को लहराते में नृत्य करती है। इसे पदम श्री अवार्ड से सम्मानित कंगना नृत्यांगना गुलाबो ने पूरे विश्व पटल पर पहुंचाया।

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