अग्निवीर भर्ती पर देश भर में बवाल, युवा आक्रोशित, कई स्थानों पर आगजनी

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देशभर में उग्र प्रदर्शन के बाद सरकार ने आयु सीमा 2 वर्ष बढ़ाई

नई दिल्ली । सेना भर्ती में शॉर्ट टर्म भर्ती की अग्निपथ योजना का देशभर के बेरोजगार युवाओं ने विरोध किया है। देश के अलग-अलग इलाकों में युवा सड़कों पर उतर गए । कई स्थानों पर आगजनी की, तोड़फोड़ की और उसके बाद देर रात केंद्र सरकार ने अग्निवीरों की भर्ती की आयु सीमा इस वर्ष के लिए 21 से बढ़ाकर 23 साल की । लेकिन सबसे बड़ा सवाल क्या अग्निवीर 24 साल की आयु के बाद फिर से रोजगार के लिए सड़क पर आएगा ? फिर उसके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा । हालांकि सरकार का कहना है कि 10 में से तीन लोगों को सेना में नियुक्ति मिल जाएगी और अन्य लोगों को दूसरी सेवाओं में प्राथमिकता मिल जाएगी ।जो युवा 4 साल सेना भर्ती में रहकर जब 24 साल की आयु में सेना से निकल कर आएगा । उसके पास नए सिरे से नौकरी करने के लिए, फिर से तैयारी की तलाश करना और फिर से स्टार्ट करना यह उसके लिए बड़ा अहम सवाल है। क्योंकि जब फौज में जब एक युवा की नौकरी लगती है तो उसकी शादी- हो जाती है । अब वह जो अग्निवीर बनेगा वह भी ट्रेनिंग के माध्यम से बनेगा तो फिर ऐसी स्थिति में यदि से 24 साल की उम्र में 1200000 रुपए देकर सरकार उसे घर भेज देती है । तो युवाओं का सवाल यह है क्या 1200000 रुपए में एक 24 साल का जवान पूरी जिंदगी निकाल सकता है ? जिस जवान ने सेना भर्ती के लिए पूरी ताकत लगाई ,परीक्षा दी ,फिजिकल टेस्ट दिया और वह सेना भर्ती में शामिल हो जाता है । वह 24 साल के बाद में फिर सड़क पर उसी हालात में हो जाता है । क्योंकि उसके पास नौकरी नहीं होती है और इसकी शुरुआत जीरो से शुरुआत करनी पड़ेगी। भले ही सरकार इस बात का दावा कर रही हो कि जो 24 साल की उम्र में अग्नि वीर सेना से बाहर होंगे उनको सरकारी सेवाओं में वरीयता मिलेगी।

पूर्व फौजियों को कितनी नौकरी मिलती है सबको पता है

आज भी सरकारी सेवाओं में पूर्व फौजियों को वरीयता मिलती है । वहां गिनती के ही पूर्व फौजी नौकरियां कर रहे हैं । अधिकांश तो जी होटल और सरकारी महकमों के गेट के बाहर दरबार की नौकरी करके टाइम पास करते है। लेकिन उनके 18 साल सेना में देने के बाद जब वह घर लौटता है तो उसके पास सरकार से मिला हुआ हैंडसम अमाउंट होता है सरकार से एक पेंशन मिलती है। कम से कम उसका जीबन यापन ठीक तरीके से हो जाता है।

1200000 में पूरी जिंदगी नहीं चल सकती

लेकिन अग्निवीर में जब तैयारी करके एक युवा भर्ती होगा उसे 24 साल होते ही 12 लाख रुपये देकर घर भेज दिया जाएगा ।तो उस युवा के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। क्योंकि जो 1200000 रुपए मिले हैं वह बहुत बड़ा अमाउंट नहीं होता और 24 साल की उम्र बड़ी उम्र नहीं होती। ऐसी स्थिति में जब वह 4 साल अग्निवीर के तौर पर सेना में सेवा देकर आता है ,तो उसकी पढ़ाई छूट जाती है। वह दूसरी सेवाओं की तैयारी करने में भी सक्षम नहीं रह जाता है। क्योंकि 17 साल की उम्र से वह सेना की तैयारी करता है। फिर उसका सेना में सिलेक्शन होता है और 24 साल की उम्र में उसे घर भेज दिया जाएगा ।तो फिर उसे अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए नए सिरे से काम की तलाश करनी पड़ेगी । युवा इसी बात को लेकर परेशान है। युवाओं का कहना है कि जब पूर्व में सेना भर्तियां 18 साल के लिए होती थी तो अब भर्तियां क्यों 4 साल के लिए की जा रही है। सरकार इस पर विचार करें ,क्योंकि यह युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात है ,उनके साथ अन्याय है। इसलिए अग्निवीर योजना का देश भर में युवा विरोध कर रहे हैं तो फिर और आगजनी कर रहे हैं।

सवाल 24 साल के भविष्य का है

युवाओं का कहना है कि 24 साल बाद जब सेना की नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा ,तो वह भी रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में या तो अपराध की दुनिया में जाएगा, या फिर किसी होटल या किसी के दरबार में हाजिरी बजाता मिलेगा। जो एक भारतीय सैनिक के लिए उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है । यही कारण है कि देश का युवा केंद्र सरकार की योजना का विरोध कर रहा है । बिहार में युवाओं में सबसे ज्यादा गुस्सा देखा गया , युवाओं ने 5 ट्रेनों में आग लगा दी ।भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ की ,विधायक की गाड़ी पर हमला कर दिया ,वही हरियाणा में भी देखा गया एक सचिन नामक युवा ने आत्महत्या कर ली। सचिन के घरवालों का आरोप है कि उसकी उम्र 22 साल हो चुकी है अब वह सेना में भर्ती नहीं हो सकता था इसलिए उसने सुसाइड कर लिया । जबकि उसका फिजिकल हो चुका था मेडिकल हो चुका था लेकिन सरकार ने भर्ती नहीं निकाली इसलिए वह अपनी जान दे रहा है।

सरकार का तर्क

दूसरी ओर अग्निवीर के समर्थन में उतरे सरकार उनके समर्थकों का अलग ही तर्क है। सरकार के समर्थक लोगों का कहना है कि अग्निवीर हर साल चुने जाएंगे। उनका असिस्टेंमेंट ट्रेनिंग से ही शुरू हो जाएगा। हर साल मूल्यांकन होगा, 4 साल बाद सेना के प्रमोशन के लिए नियमित टेस्ट होंगे। जैसे अभी होते हैं जो 25% अग्निवीर प्रमोशन पा लेंगे वे सेना में बने रहेंगे । एक बटालियन में अमूमन 1000 लोग होते हैं इनमें से 14 से 18 अफसर है होते हैं ।अफसरों की भर्ती अग्निपथ से नहीं होती बल्कि नियमित परीक्षा के माध्यम से होती है । एक बटालियन में 7 सैनिक होते हैं जिनमें अलग-अलग रैंक के होते हैं ।जैसे नायक, सूबेदार आदि लेकिन इस योजना के जरिए ही भरे जाएंगे। 4 साल बाद जवानों में से 25% के प्रमोशन होंगे जो आगे चलकर सूबेदार नायब सूबेदार पहुंचेंगे जो आगे चलकर रेगुलर फौजी कहलाएंगे । इसके अलावा जवान ,क्लर्क, चालक, रसोइए आदि होते हैं इनकी नियुक्ति भी अग्नीवीर योजना से ही होगी। इस हिसाब से देखें तो पूरी बटालियन में आने वाले वर्षों में 700 सैनिक अग्नीवीर योजना वाले होंगे ।रेजीमेंट को सैनिक उनके मापदंडों के अनुरूप अग्नीपथ योजना से मिलेंगे।

अग्निवीर योजना में लोचा

युवाओं का कहना है कि जब एक युवा सेना में भर्ती होता है तो वह सेना के सभी मापदंडों की पूर्ति करता है । उसकी शारीरिक परीक्षा को पास करता है और उस परीक्षा को पास करने के बाद ही वह अग्निवीर बनेगा ।जिसे फौजी या जवान कहते हैं ।जब एक युवा सेना में भर्ती होने के लिए सारे मापदंड पूरे करता है तो फिर 4 साल बाद में उनमें से 3 लोगों को सेना में रखना और 7 लोगों को बाहर करना ,जाहिर सी बात है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं होगी। सरकार को पहले दिन से ही पता है कि 10 लोगों की भक्ति में से रात को बाहर करना है और 3 को रखना है । उनमें से 3 लोगों को ही फिर नियमित जवान के तौर पर फौज में 18 साल तक रखेगा ।यही सरकार की सबसे बड़ी बेईमानी दिख रही है। क्योंकि जब सब का सिलेक्शन एक प्रोसेस के तहत, एक नियम और कायदे के तहत हो रहा है तो फिर यह 10 में से 7 लोगों को बाहर निकालने और 3 लोगों को नियमित सेना में रखने का कोई औचित्य नहीं है । सेना में भी समय-समय पर परीक्षाएं होती है , फिजिकल टेस्ट होते हैं ,उसके आधार पर प्रमोशन होते हैं, जो पूर्व में होते थे ,सरकार को सेना भर्ती के पूर्व के नियम कायदों पर ही इसे जारी रखना चाहिए। उन्हें अग्निवीर जैसी किसी योजना को लागू करने की जरूरत नहीं है, इसीलिए युवा इसका विरोध कर रहे हैं।

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