जयपुर। शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उत्कृष्ठ सेवा के लिए शिक्षकों का सम्मान किया। वहीं उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जब सभागार में मौजूद शिक्षकों से पूछा कि उन्होंने सुना है शिक्षकों को तबादलों के लिए पैसे देने पड़ते है। इस पर सभागार में मौजूद टीचर्स ने एक स्वर में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के सामने ही इस बात पर जोर से हामी भर दी। मुख्यमंत्री ने फिर पूछा तो फिर से टीचर्स का जवाब हां में ही था। सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने शिक्षक दिवस समारोह में शिक्षा महकमें पर तबादलों के नाम पर पैसे लगने का आरोप लगना बड़ा गंभीर मामला है। इससे पूर्व गहलोत ने कहा था कि आज जिस तरह से गोविंद सिंह डोटासरा भाषण दे रहे है उससे लगता है ये शिक्षा मंत्री के तौर पर उनका आखिरी भाषण हो। ये बार- बार दिल्ली जाकर भी कहते है कि एक व्यक्ति एक पद का सिद्दांत लागू हो। आज की इनका भाषण भी ऐसा ही लग रहा है। मुख्यमंत्री के एक सवाल ने सारे जवाब एक साथ दे दिया। हो सकता है गहलोत जी इस भ्रम में हो की हो सकता है टीचर्स उनके सामने इस बात को नकार दे कि उन्हें तबादलों के पैसे नहीं देने पड़ते। लेकिन डोटासरा के सामने सभागार में मौजूद सभी शिक्षकों ने एक स्वर में कह दिया कि उन्हें तबादलों के लिए पैसे देने पड़ते है। वाकई में ये बहुत गंभीर मामला है। ऐसे में अब डोटासरा को एक पल भी शिक्षा मंत्री के पद पर रहने का अधिकार नहीं है। क्योंक इससे ज्यादा गंभीर आरोप कोई हो नहीं सकता। पीठ पीछे आरोप लगना अलग बात है लेकिन सामने आरोप लगना दूसरी बात है। मुख्यमंत्री जी का मजाक के अंदाज में पूछा गया सवाल ही डोटासरा और पूरे शिक्षा विभाग को कठघरे में खड़ा कर गया!
भरी सभा में मुख्यमंत्री ने पूछा क्या तबादलों के पैसे देने पड़ते हैं?, शिक्षकों ने डोटासरा के सामने बोला हां!
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