अजमेर। सरकारी आवास यानी सर्किट हाउस में ठाठ बाठ से रहकर….. वहां पर बेहतर सुविधाओं का उपयोग करने से लेकर खाने पीने के बकाया तक नहीं चुकाते….. मंत्री हो या फिर जनप्रतिनिधि या अधिकारी सभी केवल बकाया छोड़कर चले जाते है। अजमेर सर्किट हाउस में भी ऐसे कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम शामिल है। जिनका बकाया चल रहा है। बड़ा नाम है लालू प्रसाद यादव ओर पूर्व सीएम सहित कई बड़े नेताओं के नाम भी शामिल है। जिनका पिछले कई सालों से बकाया है | ऐसे में सवाल उठता है क्या इनके मौज मस्ती के पैसे भी जनता के ऊपर है । हो सकता है इनमें से कई नेता सरकारी काम काज से यहां रूके हो लेकिन बिल भुगतान करना उनके विभाग का काम था जो उन्होंने करना उचित नहीं समझा। हालात ये है कई नेता ईश्वर को प्यारे हो गए लेकिन उनके नाम से बकाया आज तक चल रहा है। ये आरोप हम नहीं लगा रहे लेकिन ये खुलासा हुआ है आरटीआई रिपोर्ट में। हालांकि जब कुछ आर टी आई कार्यकर्ताओं ने बकायादारों को नोटिस भेजा तो दो या तीन नेताओं ने अपना बकाया चुकाया है |
सफ़ेद कागज़ पर श्याही से उभरे हुए नाम जिनको शायद ही कोई होगा जो नहीं जानता होगा लेकिन ये नाम उन बकायादारों के है जो सरकारी आवासों में ठहरते है और बिना चुकता करके चले जाते है । अजमेर के कुछ आर टी आई कार्यकर्ताओं ने सूचना के अधिकार के तहत ऐसे बकायादारों की लिस्ट मांगी तो उसमे लालू प्रसाद यादव से लेकर कई बड़े नेता व अधिकारियों के नाम सामने आये है । ऐसा नहीं की ये बकाया हाल ही का हो बल्कि ये तो दस बीस और किसी का तो तीस साल से है । ऐसे में सवाल उठता है कि जो नेता व अधिकारी इस बकाया को नहीं चुकाते है वो भार जनता कैसे चुकाए । ये ही कारण है कि प्रदेश के गेस्टहाऊस बंद होने के कगार पर है। आरटीडीसी की होटलें भी इसी कारण बंद हुई।आर टी आई कार्यकर्ता तरुण ने बताया की लिस्ट में ऐसे और भी नाम है जो शायद अब इस दुनिया में नहीं रहे ,लेकिन उनका नाम यहाँ बकायादारों की सूचि में जरूर चिन्हित है । हालांकि कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर नेताओं और अधिकारियों को बकाया भरने के लीगल नोटिस भिजवाए है जिनसे दो या तीन नेताओं ने अपना बकाया भरा है। जिन नेताओं के यहाँ बकाया है उनमे कोई भारी रकम नहीं है सेंकड़े के आंकड़े में ये बकाया है , लेकिन अगर सबके बकाया को जोड़ा जाए तो ये राशि बहुत संख्या में पहुँचती है | इसलिए जिनके नाम ऐसी लिस्ट में शामिल है उनको यह राशि चुकता करनी चाहिए जिससे जनता का पैसा जनता के काम आये । सबसे खास बात है कि इन नेताओं और अफसरों से पैसा वसूलने के प्रयास भी बहुत कम किया गया। या सबने बस अपनी नौकरी बचाई।