राजनीतिक पार्टियां SC के लोगों को आज भी समझती है गुलाम जैसे- मेघवाल

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भीलवाड़ा- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल जुबान पर कभी-कभी कड़ी सच्चाई सामने आ जाती है 89 साल के कैलाश मेघवाल ने एक कार्यक्रम में कहा कि आजादी से लेकर आज तक भी राजनीतिक पार्टियां अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को गुलाम की तरह सी१ती है ।उन्हें गुलामों की और चापलूसी की जरूरत है उन्हेंएऊ मुंह खोलकर बोलने की आजादी नहीं होती है और यदि कोई मुंह खोलकर बोलता है उसका टिकट कट जाता है उसका कद घटा दिया जाता है।

यह बात मेघवाल ने रविवार को भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा कस्बे में में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही । हालांकि मेघवाल के इस बयान को लेकर चर्चा है कि इस बार भाजपा 70 प्लस के सारे नेताओं के टिकट काटेगी, और जो लोग दो से ज्यादा बार जीते चुके हैं उन्हें भी टिकट नहीं दिया जाएगा। नए चेहरों को मौका दिया जाएगा । इसलिए मेघवाल का बयान सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने शाहपुरा की जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा कि वे शाहपुरा की जनता का विश्वास कभी नहीं तोडेंगे और उनकी सेवा करते रहेंगे। शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र एससी वर्ग के लिए आरक्षित हो गया।

भाजपा में 70 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं के टिकट की बात आएगी तो फिर पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ,कालीचरण सराफ , पब्बाराम राम विश्नोई, घनश्याम तिवारी नंदलाल मीणा किरोड़ी लाल मीणा सहित कई नेता इस रेस से बाहर हो जाएंगे ऐसे में उनका बयान सियासी हलकों में चर्चा में है।

हकीकत आई जुबां पर

कैलाश मेघवाल का बयान सियासी लाभ के लिए है, लेकिन हकीकत में राजनीति में और यदि सरकारी उपक्रमों में एससी, एसटी ,ओबीसी का आरक्षण नहीं होता तो शायद ही उन्हें इसका लाभ मिल पाता । राजनीतिक दलों में भी जितनी सीटें आरक्षित है, वहां पर उस वर्ग के लोगों को टिकट देना राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी बन जाता है । लेकिन पिछले 70 साल में देखा जाए तो एससी वर्ग का कोई भी ऐसा नेता उभर कर सामने नहीं आया । जिसने कभी सामान्य सीट से चुनाव लड़कर जीता हो । किसी भी राजनीतिक पार्टी ने आज तक किसी सामान्य सीट से एससी वाले को टिकट नहीं दिया है । राजनीतिक दलों में आरक्षित वर्ग के लोगों को टिकट देना ,मंत्री बनाना ,यह उनकी संवैधानिक मजबूरी है ,वरना तो कैलाश मेघवाल जी जो कह रहे हैं इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। मेघवाल जी भी उम्र के इस दौर में पहुंच चुके हैं कि वह सच्चाई बयां कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें टिकट मिले या नहीं मिले यह दूसरी बात है लेकिन उन्हें इस बात का एहसास कई बार हुआ है और जब तक जिंदा है तब तक होता भी रहेगा। लेकिन हकीकत में इसका एहसास उस आम आम आवाम को ज्यादा है जिसके पास में पावर है ना पैसा है ना पॉलिटिक्स है ना शरीर में जान है इसलिए कैलाश मेघवाल के बयान का कई लोगों ने समर्थन किया है ।

खुले विचारों के लोगों ने बढ़ाया आगे ऐसे लोगों की कमी नहीं

उनका कहना है कि वाकई में आज भी उनके लोगों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। कुछ खुलकर करते हैं ,कुछ दबी जुबान करते हैं लेकिन समाज में खुली विचारधारा के लोगों की भी संख्या कम नहीं है। जिन्होंने कैलाश मेघवाल को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें राज्य का गृहमंत्री भी बनाया हीराकसीस. मंत्रिमंडल में भी वह रहे विधानसभा में भी रहे सांसद भी रहे और विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष के पद को भी वह सुशोभित कर चुके हैं। तो ऐसा नहीं है कि कैलाश मेघवाल को सारे उनकी खटिया खड़ी करने वाले ही मिले ।उन्हें बढ़ाने वाले भैरों सिंह जी शेखावत जैसे नेता भी रहे ,जिन्होंने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचाया। हो सकता आने वाले समय में भी एससी कोटे में किसी राज्य के राज्यपाल हो सकते हैं।

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