Home rajasthan सनातन संस्कृति का संरक्षण करना सबका दायित्व – महाथेरा

सनातन संस्कृति का संरक्षण करना सबका दायित्व – महाथेरा

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ज्ञान सरोवर में सर्व धर्म समेल्लन संपन्न

माउंट आबू। तुषार पुरोहित वरिष्ठ संवाददाता अखिल भारतीय बुद्धिस्ट मोंक सोसायटी जनरल सचिव भदन्त करुणाकर महाथेरा ने कहा कि सर्वोच्च सत्ता परमपिता शिव परमात्मा के विश्व कल्याण के कर्तव्य में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने जैसा पुनीत कार्य कर रहे संत निसंदेह ही जनमानस के लिए प्रकाश की तरह हैं। सनातन संस्कृति का संरक्षण करना हम सबका दायित्व बनता है। जाति पाति, सांप्रदायिक की संकुचित मनोभावनओं से ऊपर उठकर ब्रह्माकुमारी संगठन करुणा भाव से मानव की सेवा कर रहा है। वास्तविक धर्म की परिभाषा को समझने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा दिया जा रहा ज्ञान ही सार्थक साबित हो रहा है। यह बात उन्होंने ब्रह्माकुमारी संगठन के धार्मिक सेवा प्रभाग की ओर से सनातन संस्कृति का आधार अध्यात्म विषय पर आयोजित सम्मेलन के समापन सत्र में कही।


कोलकाता से आये महामंडलेश्वर श्री श्री 108 प्रफुल्ल रजंन हलदर ने कहा कि नये विश्व के निर्माण की नींव अध्यात्म है। भोगवाद की चपेट में आकर शोषण की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चुनौतीपूर्ण कार्य है । लेकिन ब्रह्माकुमारी संगठन का दार्शनिक शास्त्र समाज में असंतुष्टता, दु:ख, दरिद्रता, रोग, प्रतिशोध की भावना के अंधकार को समाप्त करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है।
ब्रह्माकुमारी संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी सुदेश दीदी ने कहा कि देह व देह के सर्व धर्मों के ज्ञान से ऊपर भी परमात्मा का ज्ञान है। जो परमात्मा का धर्म है वही हम सब का धर्म है। जो परमात्मा के संस्कार शान्ति, प्रेम, सत्यता, पवित्रता और आनंद के हैं यही हमारे संस्कार हैं। आत्मा सृष्टि चक्र में सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग में आत्मा पार्ट प्ले करते हुए अब वापस अपने ब्रह्मलोक में जाने की इच्छा रखती है इसलिए हर मानव का मन ऊपर की ओर से जाता है।
कटनी से आये आचार्य परमानंद महाराज ने अपने राजयोग के निरंतर अभ्यास करने के अनुभव साझा करते हुए कहा कि सृष्टि के नियंता परमपिता शिव परमात्मा की शिक्षाओं का अनुसरण करने से ही जीवन में स्थायी शांति मिलती है। अनेक प्रकार के मतमतांतरों के जाल से मुक्ति प्राप्त करने की शक्ति केवल परमात्मा से ही दे सकता है, कोई मनुष्य से नहीं मिलती।
लुधियाना से आये कथावाचक संत सुखविंदर सिंह ने कहा कि सनातन धर्म सबसे प्राचीन है। सनातन ज्ञान का अनुसरण करने से ही आत्मा की अनुभूति होती है। अविनाशी सतगुरू से मन का तार जोडऩे के लिए स्वयं को आत्मा समझना जरूरी है।
भरतपुर से आये महंत कदमखंडी हनुमान मंदिर के महाराज कैलाश गिरी ने कहा कि गौरवमयी भारत की संस्कृति का अनुसरण करने से ही भारत सोने की चिडिय़ा बनेगा, विश्व गुरू कहलायेगा। जीवन में संघर्षमय परिस्थितियों का सामना करने वाले ही मानसिक रूप से बलशाली बनते हैं।
चित्रकूट से आई वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके दुर्गेश बहन ने कहा कि एक संकल्प ही जीवन की दिशा को परिवर्तन कर देता है।
सहारनपुर से आई गुरूमाता अनीता महाराज ने कहा कि सारे विश्व में शान्ति का संदेश पहुंचाने के लिए ब्रह्माकुमारी बहनें पूरी नम्रतापूर्वक जो कार्य कर रही हैं वह निश्चित रूप से परमत्मा के भेजे हुए फरिश्ते हैं जो हर मानव को अपने असितत्व से रूबरू करवा रही हैं।
इन्होंने भी अपने विचार रखे
सहारनपुर से आये महामंडलेश्वर सुरेंद्र शर्मा, आचार्य कमल किशोर, रामकृष्ण सेवा आश्रम मंडला के संचालक सारदात्मानंद स्वामी, कोल्हापुर से आये भादौले रामकृष्ण मठ अध्यक्ष स्वामी सेवानंद, राजयोग प्रशिक्षिका बीके राजेश्वरी बहन, अयोध्याधाम से आये आचार्य जालेश्वर दास महाराज, वृन्दावन से आये कथावाचक संत युवराज महाराज, त्यागी महाराज, योगी रामेश्वरम नाथ, पुष्पेंद्र महाराज, हिरेन भाई पांचाल, स्वामी सचिदानंद महाराज, प्रभाग के जोनल कॉर्डिनेटर बीके नारायण, राजयोग प्रशिक्षिका बीके कमल बहन आदि ने भी विचार व्यक्त किये।

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