जयपुर। राज्यसभा चुनावों से पूर्व बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की नाराजगी जग जाहिर है। दरअसल जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाने के लिए 19 विधायक जब माणेसर जाकर बैठ गए थे । तब बसपा और 16 निर्दलीय विधायक ही थे जिन्होंने सरकार को बचाया था। उस समय भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा विधायकों को उचित मान- सम्मान देने की बात कही थी।
बसपा विधायकों को नहीं मिला सम्मान
मुख्यमंत्री जी वादे के मुताबिक पार्टी आलाकमान के निर्देश के चलते चाहते हुए भी बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को वो मान- सम्मान दिलाने में सफल नहीं हुए जिसके वे हकदार थे। एक तरह से सरकार बचाने का तोहफा उन्हें नहीं मिला। किसी भी निर्दलीय विधायक को भी वो उचित प्लेटफार्म नहीं मिला। इसके पीछे कांग्रेस के दूसरे विधायकों का ये दबाव था कि जब बसपा से कांग्रेस में शामिल हो गए तो ये विधायक अब कांग्रेस के है। अत अब इनसे कैसा सौदा।
मुख्यमंत्री दिलाएंगे अब कांग्रेस का टिकट
जब मुख्यमंत्री बसपा से कांग्रेस में शामिल विधायकों को उचित सम्मान नहीं दिला सके तो विधायकों की नाराजगी जग- जाहिर हो चुकी है। इस स्थिति से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया। सचिन पायलट भी अब परिपक्कव नेता हो चुके है। उऩ्हें आगामी विधानसभा चुनाव दिख रहे है। जिसके चलते वे एक्टिव है लेकिन विवादास्पद नहीं है। लेकिन गहलोत और बसपा से आए विधायक ये जानते है कि उनके टिकट के रोड़ा सचिन ही बन सकते है। इसलिए अब मुख्यमंत्री गहलोत ने पार्टी आलाकमान से इस बात की हरि झंडी ले ली है कि जब भी विधानसभा चुनाव होंगे बसपा से आए सभी विधायकों को कांग्रेस पार्टी टिकट देगी। कुछ निर्दलीय विधायकों को भी कांग्रेस पार्टी टिकट दे सकती है। इन 6 विधायकों को टिकट देने से पार्टी आलाकमान को भी कोई एतराज नहीं है। तो सचिन भी विरोध नहीं करेंगे।
बसपा विधायकों ने किया सही समय पर वार
बसपा विधायकों ने सही समय पर उचित वार किया। उन्हें पता है कि इसके बाद सत्ता में कौन बैठेगा। इसलिए पार्टी में सही समय पर वैकूम पैदा किया गया। मुख्यमंत्री जी को भी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक पहुंचाने का अवसर मिला। पार्टी ने भी बसपा विधायकों को साथ देने का भरोसा दिलाय़ा। इससे साफ है कि बसपा विधायक यूं ही नहीं माने है। उनकी नाराजगी दूर करने में मुख्यमंत्री जी की भूमिका सराहनीय रही।