जयपुर।( लोक टुडे संवाददाता) कनोडिया महिला महाविद्यालय गांधी सर्किल जयपुर में आज प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय की किताब पर्सनल इज पोलिटिकल का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण करने वालों मे योजना आयोग की पूर्व सदस्य साईदा हमीद भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एन के सिसोदिया, उच्चतम न्यायालय की वकील वृंदा ग्रोवर, लेखन से लम्बे समय से जुड़ी ममता जेटली, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता नोरती बाई, फेमिनिस्ट कार्यकर्ता आभा भैया, मानव अधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव आदि रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत एवं संचालन मानव अधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने अरुणा रॉय के जीवन के बारे में बात करते हुए अपने विचार रखे जिसमें उन्होंने कहा कि किस प्रकार उनकी पहली मुलाकात इसी कनोडिया कॉलेज में हुई और उसके बाद फिर समाज कार्य एवं अनुसंधान केंद्र तिलोनिया में गए, जब उनकी कोई राजनीतिक और सामाजिक समझ नहीं थी। उसके बाद अरुणा राय से प्रेरित होकर कविता श्रीवास्तव ने भी अपना पूरा जीवन मानव अधिकार और सामाजिक संघर्ष के लिए समर्पित कर दिया। किताब के बारे मे अपनी बात रखते हुये अरुणा राय ने कहा इसमे बहुत लोगों का योगदान और जो सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों है। कैसे इसे बाहर निकालूं बड़ा संकोच मन में था लेकिन ये बाहर आया है। उन्होंने कहा कि ये किताब पढ़कर लोग सोचने को मजबूर होंगे ऐसा मुझे लगता है । उन्होंने कहा मुझे गाँव के लोगों ने बहुत सिखाया है, जिसमें से आज यहाँ पर नोरती बाई, बीला आज हैं और भी बहुत लोग है। प्रसिद्ध स्कॉलर साईदा हमीद ने किताब पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह किताब अरुणा के न केवल जीवन बल्कि उसके साथ-साथ और महिला आंदोलन की भी झलक इसके अंदर दिखाई देती है। फेमिनिस्ट कार्यकर्ता आता भैया ने किताब के बारे में बोलते हुए कहा कि यह किताब फेमिनिस्ट पर्सपेक्टिव से लिखी गई है जिसमें प्रक्रियाएं हैं कहानियाँ है। ममता जेटली कहा कि किताब में सब कुछ है।
कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय की वकील वृंदा ग्रोवर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस किताब में बहुत सारी चीज हैं जो हर वर्ग को सिखाने वाली है जिसमें विद्यार्थियों से लेकर समाज का हर वर्ग किस किताब से सीख सकता है।. पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और अरुणा रॉय के बैचमेट एन के सिसोदिया ने कहा कि हम सभी एक बात गर्व के साथ कह सकते हैं कि हम अरुणा रॉय के बैचमेट हैं ।इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि हमें हमेशा गर्व होता है बातचीत करते हैं तो कि हमारे बीच से कोई एक साथी जाकर के इस तरीके का संघर्ष पूर्ण जीवन जिया और वंचित तबके के लोगों की आवाज बनकर और उनकी आवाज को और बुलंद कर रहा है। नोरती बाई ने कहा कि शुरू में अरुणा जी हमारे गांव में आई उन्होंने महिलाओं के साथ मीटिंग की और पहले उन्होंने हमको संगठित करने में रुचि दिखाई , बहुत कुछ महिलाओं से सीखा और उसको बहुत आगे तक बढ़ाया ।
अरुणा रॉय के साथी शंकर सिंह ने किताब के बारे में बोलते हुए कहा कि यह किताब पहले अभ्यास की गई है पहले इस तरह का जीवन जिया गया है और उसके बाद यह किताब लिखी गई है। यह जो संघर्ष मजदूर किसान शक्ति संगठन कठिन परिस्थितियों में कर रहा है उसमें साथी जुड़े चाहे वे जिस भी रूप में जुड़ सकें।
अंत में प्रोफेसर मोहम्मद हसन एवं प्रसिद्ध पत्रकार ने कहा कि यह किताब सबको जागरूक करने वाली है और हकीकत को दिखाती है।