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मां और पत्नी प्रमुख पदों पर , खुद को चाहिए विधायक का टिकट?

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जयपुर। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी में टिकटो को लेकर घमासान मचा हुआ है। भाजपा से टिकट मांगने वालों को लगता है कि टिकट मिल जाए तो जीत पक्की है। लेकिन भाजपा मुख्यालय में आजकल चर्चाओं का दौर जारी है और खास तौर पर टिकट बंटवारे को लेकर टिकट प्रक्रिया को लेकर कई तरह के सवालिया निशान उठ रहे हैं। पार्टी एक तरफ परिवारवाद और वंशवाद की खिलाफत की बात करती है दूसरी ओर भाजपा के कई नेता अपने बेटा, बेटी, पत्नी ,पति या फिर रिश्तेदार को टिकट दिलाने के जुगाड़ में लगे हैं। ताजा मामला पूर्वी राजस्थान के एक नेताजी का आ रहा है । बताया जा रहा है कि पूर्व राजस्थान के नेताजी की पत्नी और मां दोनों बड़े पदों पर है लेकिन पार्टी की चयन समिति ने उनका नाम विधायक पद के लिए दिल्ली भेज दिया। जैसे ही इस बात की जानकारी स्थानीय कार्यकर्ताओं को लगी स्थानीय लोगों ने नेताजी का जोरदार विरोध किया और पार्टी के सीनियर लोगों तक भी अपना विरोध पहुंचा दिया। बताया जा रहा है कि इन नेताजी की पैठ पार्टी मुख्यालय में बैठने वाले दो बड़े नेताओं से है । जिन्होंने उनकी पुरजोर तरीके से न केवल पैरवी की, बल्कि सारे नियम कार्यों को ताक पर रखकर सिंगल नाम भेज दिया । जबकि भेजने थे 3 नाम । जबकि उनका काम था इस मामले में पारदर्शिता बरतते हुए पार्टी की नीतियों सिद्धांतों के अनुसार तीन नाम की सिफारिश करना। लेकिन पार्टी मुख्यालय में बैठने वाले इन नेताओं को लगता था कि हमारी बात को कौन टालेगा। इसलिए इन नेताओं ने एक विधानसभा सीट से सिंगल नाम भेज दिया। सिंगल नाम भेजते ही जयपुर से लेकर दिल्ली तक बवाल मच गया और जयपुर बैठे हुए दोनों बड़े नेताओं को सफाई तक देनी पड़ गई। हालांकि बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व बताया कि यह सिंगल नाम ऐसा है जो उसे सेट को जीत सकता है इसीलिए हमने जितने की संभावना के चलते सिर्फ सिंगल नाम भेजा है। लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने इस मामले में फटकार लगाइ है। अब आगे क्या होगा इसकी किसी को जानकारी नहीं है लेकिन एक बार तो नेताजी को टिकट मिलते मिलते अटक गया। यह केवल एक मामला नहीं है ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां पर चयन समिति में मौजूद नेताओं ने अपने कद और पद का दोनों का भरपूर फायदा उठाया है उन्होंने ने पार्टी की नीतियों की परवाह की नीतियों की परवाह की और नए ही पीएम मोदी के द्वारा निर्देशित किए गए नियम कायदों की परवाह की।

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