लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
इकलेश शर्मा की रिपोर्ट
खेड़ली ,अलवर। कस्बे के राजकीय उपजिला अस्पताल में भारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच 10 बेड के बावजूद 71 महिलाओं की नसबंदी कर दी गई, जिसमें मात्रा 10 महिलाओं को ही बेड नसीब हुए 61 महिलाओं को जमीन पर ही ठंड में सोना पड़ा। नसबंदी के बाद 61 महिलाएं बेड के अभाव में फर्श पर ठंड में तड़पती रही लेकिन एनजीओ का मन नहीं पसीजा ,न तो महिलाओं को कंबल और रजाई उपलब्ध कराई और न, ही उनका किसी तरह का ख्याल रखा गया। बाद में परिजनों ने ही अपने स्तर पर उनकी व्यवस्था की। इससे परिजनों में भारी नाराजगी देखी गई। सबसे खास बात है की एनजीओ के द्वारा महिलाओं के नसबंदी किए जाने पर सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है, इसी राशि को लेने के लिए स्वयंसेवी संस्थाएं बढ़ चढ़कर महिलाओं की नसबंदियां करते हैं और केवल पैसा कमाने की और ध्यान रखते हैं ।यही कारण है कि जो नसबंदी कराने महिलाएं आती है, जिससे कई बार लोग नसबंदी कराने से भी बचते हैं।
एफआरएसएच नाम की एनजीओ द्वारा आयोजित नसबंदी शिविर में सरकारी नियमों को पुरी तरह से ताक पर रख दिया गया और खुलेआम मनमानी की गई ।
स्थानीय चिकित्सालय प्रशासन को भी अंधेरे में रखा गया।
जानकारी अनुसार खेड़ली रैफरल अस्पताल जों कि 30 बैड का है। उपजिला अस्पताल में क्रमोन्नत हों चुका है लेकिन उपजिला अस्पताल के समान सुविधाएं अभी नहीं है ।
10 बैड के अस्पताल में कर दिए 71 ऑपरेशन
अस्पताल में केवल 30 बैड है, तथा जिसमें 20 बैड जरनल वार्ड के मरीजों के लिए है । इन सबकी जानकारी होते हुए भी एनजीओ द्वारा 71 महिलाओं के रजिस्ट्रेशन तथा नसबंदी आपरेशन कर ़दिए गए। मात्र 10 महिलाओं को बैड नसीब हुआ, बाकी 61 महिलाओं को जमीन पर भरी सर्दी में फर्स पर लिटाया गया । जिससे महिलाएं ठंड सर्दी से ठिठूरती रही । एनजीओ द्वारा महिलाओं को ठंड से बचने के लिए कम्बल रजाईयां भी उपलब्ध नहीं कराई गई थी । आखिर परिजनों ने अपने साथ लाएं शाल चद्दरों से उन्हें उढाया गया ।
एनजीओ को टारगेट और कमाई से मतलब
एनजीओ के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को इनकी परेशानी से कोई मतलब नहीं था ।उन्हें तों केवल अधिक से अधिक आपरेशन करने थे ,चाहे नियमों की धज्जियां उडे ,या किसी महिला के साथ अनहोनी हो जाएं ।
सारी मानवता तथा संवेदनशीलता को भुला बैठे थे एनजीओ संचालक ।इतनी लापरवाही से एनओसी का पेट नहीं भरा, आपरेशन के बाद अर्द्ध बेहोशी की हालत में परिजन अपनी महिलाओं को बिना व्हील चेयर के पैदल ही साधनों तक ला रहे थे । वहीं बहुत से लोग अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों को भी साथ लाएं थें जों भारी ठंड में अपनी मां के इंतजार में परिजनों की गोद में थे ।
एनजीओ की भारी अव्यवस्थाओ और लापरवाही से महिलाओं के परिजन दुखी और नाराज़ दिखाई दिए।
इस लापरवाही के संबंध में जब मीडिया ने एनजीओ के चिकित्सक डॉ अशोक जैन से बातचीत की तो वो बचते नज़र आएं तथा कहा कि आगे से लापरवाही नहीं बरती जाएगी तथा अभी सर्दी नहीं है ।जबकि स्वयं डॉ अशोक जैन तथा एनजीओ स्टफ स्वेटर जैकेट जर्सी कोट पहने हुए थे ।