सीपी जोशी/भजन लाल मुख्यमंत्री, किरोड़ी मीणा और दीया कुमारी उपमुख्यमंत्री हो सकते है?

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जयपुर। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व में मुख्यमंत्री के चौंकाने वाले नाम घोषित किए हैं । उससे लगता है कि राजस्थान में भी इसी तरह से कोई नया नाम होगा। इन सबके बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है । बताया जा रहा है कि राजस्थान में भी 70 साल से कम आयु के निर्विवाद व्यक्ति को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया जाएगा। 70 वर्ष का राइडर लगाने के चलते बहुत सारे नेता मुख्यमंत्री की दौड़ से स्वत: ही बाहर हो गए। बीजेपी ने मध्य प्रदेश में ओबीसी चेहरे पर दाव खेला है मोहन यादव को मुख्यमंत्री घोषित किया है । दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए हैं जगदीश देवड़ा और राजेश राजेंद्र शुक्ला उपमुख्यमंत्री बनाया गया है । छत्तीसगढ़ में वहां की आबादी के अनुसार आदिवासी समाज से आने वाले विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया है । इससे लगता है कि राजस्थान में अब कोई ब्राह्मण चेहरा ही मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे होगा या ब्राह्मण को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा ।ब्राह्मण समाज भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा वोट बैंक है । पूरे देश भर में कांग्रेस से छिटककर ब्राह्मण समाज बीजेपी के साथ जुड़ गया है । अब कांग्रेस के साथ दो प्रतिशत ब्राह्मण भी नहीं रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि राजस्थान में किसी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो पूरे देश पर में मैसेज जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मणों के वोट ही नहीं ले रही है ,बल्कि उन्हें मान सम्मान में दे रही है। हालांकि दूसरा सवाल यह आता है कि सीपी जोशी विधायक नहीं है तो फिर उन्हें कैसे बनाया जाएगा ,तो 3 दिन पहले ही केंद्रीय नेतृत्व का एक बयान आया था की जरूरी नहीं है कि विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए । आवश्यकता पड़ने पर किसी बाहरी व्यक्ति को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। बाहरी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा में रहे अश्विनी वैष्णव, ओम माथुर और ओम बिरला । अश्विनी वैष्णव का नाम सबसे तगड़ा चला ।लेकिन अश्वनी वैष्णव जाति से बैरागी समाज से आते हैं और बैरागी समाज राजस्थान में ओबीसी वर्ग में आता है। इसलिए उनका नाम अब मुख्यमंत्री की सूची में नहीं है ।जहां तक बात है ओमप्रकाश माथुर की तो वह 70 के लगभग है 70 से ज्यादा ही है इसलिए उनका भी मुख्यमंत्री की दौड़ से अपने आप ही नाम बाहर हो गया । जहां तक ओम बिरला की बात है वह अभी भी रेस में बने हुए हैं । लेकिन वह वैश्य वर्ग से हैं । माहेश्वरी समाज से आते हैं, ऐसे में उनका नंबर भी आता हुआ नजर नहीं आता है । जहां तक ब्राह्मण की बात करते हैं तो ब्राह्मण चेहरे के नाम पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सबसे पहली पसंद हो सकती है । क्योंकि सीपी जोशी अभी तक किसी भी तरह की गुटबाजी से दूर रहे हैं । यहां तक की वसुंधरा राजे भी उनके नाम का विरोध नहीं कर सकेगी । दो बार सांसद रह चुके हैं एक बार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। और जब से प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से वह लगातार अपने तरीके से कम कर रहे हैं । केंद्रीय नेतृत्व में पीएम मोदी अमित शाह और जेपी नड्डा की पसंद भी है । आज तक उन्होंने किसी तरह का विवादास्पद बयान तक भी जारी नहीं किया। ऐसी स्थिति में सीपी जोशी का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। ब्राह्मण चेहरों की बात करें तो दूसरी पसंद के नाम पर भजनलाल शर्मा का नाम भी चर्चा में है। भजन लाल शर्मा लंबे समय से संगठन में काम कर रहे हैं और संघ की पसंद भी है ऐसे में यदि भाग्य काम करें तो भजनलाल शर्मा का नंबर भी मोहर लग सकता है ।गोपाल शर्मा के नाम को लेकर भी चर्चा है गोपाल शर्मा भी संघ परिवार से अपनी नजदीक क्योंकि आधार पर दावेदारी कर रहे हैं। 12 दिसंबर को शाम 4:00 बजे भाजपा विधायक दल की बैठक भाजपा मुख्यालय में बुलाई गई है और इस बीजेपी मुख्यालय में आयोजित होने वाली बैठक में पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और अन्य पर्यवेक्षक सभी विधायकों के राय जानेंगे। इस राय के बाद में नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाएगा । यदि किसी कारणवश सीपी जोशी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है। तो भजनलाल शर्मा ,राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और दिया कुमारी को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन जैसा कि हमने बताया आपको प्रदेश के तीन राज्यों में अभी राजपूत मुख्यमंत्री पहले से ही है । हिमाचल में भी राजपूत मुख्यमंत्री थे। भाजपा के हालांकि वहां चुनाव हार गए और अब दो स्टेट में राजपूत मुख्यमंत्री है । ऐसी स्थिति में राजस्थान में राजपूत को मुख्यमंत्री बनाया जाना संभव नजर नहीं आ रहा है । इसलिए यहां पर सीबीएसई का दावा मजबूत हो जाता है । सबसे बड़ी बातें की वह केंद्रीय नेतृत्व की पसंद भी है। उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने से पूरे देश में ब्राह्मण समाज का वोट बीजेपी को जाएगा और ब्राह्मण समाज भी कह सकेगा की कि बीजेप मैं उनके मान सम्मान में कमी नहीं रखी है। बीजेपी ने जाट समाज से आने वाले जगदीप धनखड़ को देश का उपराष्ट्रपति बना दिया है। इसलिए राजस्थान में जाट भी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। जहां तक एससी ,एसटी की बात करें तो डॉक्टर किरोडी लाल मीणा को राजस्थान का उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है । दीया कुमारी या राज्यवर्धन में से एक किसी को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग की भी पहली बार 32 में से 22 सिम बीजेपी ने जीती है ,तो अनुसूचित जाति वर्ग को भी सरकार में महत्वपूर्ण स्थान मिलने की संभावना है। क्योंकि जब-जब बीजेपी सरकार में आई तब तक एससी एसटी की 75 पीस दी से ज्यादा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत कर आए हैं । इस बार भी 59 में से 38 उम्मीदवार बीजेपी के जीत कर आए हैं, तो ऐसा माना जा सकता है कि अब अनुसूचित जाति वर्ग और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए भी भाजपा दूसरी पार्टी नहीं है। जब-जब भाजपा ने टिकटों का सही वितरण किया है तब तक भाजपा को इसका लाभ ही मिला है । इसलिए माना जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे के नाम पर सीपी जोशी को या किसी अन्य ब्राह्मण नेता को राजस्थान की कमान सौंप जा सकती है ।जिससे पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है । हालांकि वसुंधरा राजे के पास 40 से 45 विधायकों का समर्थन है। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जब 40-35 विधायक वसुंधरा राजे के साथ है तो 75 विधायक पार्टी के साथ भी है। निर्णय तो विधायकों कोई करना है और जीत बहुमत की होती है, ऐसी स्थिति में वसुंधरा राजे को पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशों की पालन करना ही होगा। पार्टी का नेतृत्व जैसे ही किसी का नाम मुख्यमंत्री के लिए तय करेगा तो जो आज वसुंधरा राजे के साथ नजर आ रहे विधायक है ,वह भी दमन छुड़ाकर भाग जाएंगे । यह पार्टी भली बातें जानती है । इसलिए सभी को मंगलवार को होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक का इंतजार करना चाहिए। इस बैठक में कितने विधायक मौजूद रहते हैं और विधायक किसके सर पर मुख्यमंत्री का तक रखते हैं सभी को इसका इंतजार है।

मोदी जी ने राजस्थान का चेहरा प्रचार के दौरान बता दिया था

वैसे लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री का फेस तो पीएम मोदी और अमित शाह ने उसे दिन ही तय कर दिया था ,जब पीएम मोदी रोड शो में प्रदेश के सभी नेताओं को छोड़कर सिर्फ अपने साथ कर में सीपी जोशी को बैठाया था। क्योंकि यदि उन्हें किसी और के चेहरे पर मुख्यमंत्री का ताज रखना होता तो पीएम मोदी के रोड शो में उनको भी उचित स्थान मिलता । लेकिन पीएम मोदी और राष्ट्रीय नेतृत्व के जेहन में शायद यह बात चल रही होगी कि इस बार किसी नए चेहरे को मौका देना है। यही कारण है कि जितनी भी राजस्थान में चुनावी सभाएं हुई और जितने भी रोड शो पीएम मोदी के हुए ,अमित शाह के हुए, उनमें उनके साथ रथ पर प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ही सवार थे । जाहिर सी बात है कि जिस सांकेतिक की भाषा में सीएम का चेहरा चुनाव प्रचार के दौरान ही घोषित हो गया था। रही सही आधिकारिक रूप से घोषणा वह 12 दिसंबर शाम 4:00 बजे होने वाली बैठक में हो जाने की उम्मीद है । अंतिम निर्णय तो भारतीय जनता पार्टी के विधायकों और राष्ट्रीय नेतृत्व को ही किया जाना है। यह तो सिर्फ विश्लेषण के आधार पर कयासबाजी है।

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