अजमेर। जिस पर किया गुस्सा, उसी से मिली नई पहचान:आठ साल पहले जला दी अपनी कहानियां व कविता; सावर की सिलिस्ती अब फिल्मों व टीवी सिरीयल के लिए लिखेंगी स्क्रिप्ट, कहा-सामाजिक बुराईयां खत्म करना मकसद। सिलिस्ती करुरिया अब तक लेखन के दम पर कई अवार्ड जीत चुकी है। हाल ही में नॉवेल ‘चमडे़ का लुटेरा’ पर उन्हें मिला है रिमार्केबल वुमन अवार्ड। कहानियों व कविताओं में अपने ज्यादा इंटरेस्ट को करियर में बाधक मानकर आठ साल पहले इतना गुस्सा आया कि बचपन से लिखी इन कविताओं व कहानियों को जला दिया। लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उसका यही इंटरेस्ट एक दिन कई अवार्ड के साथ उसे एक नई पहचान देगा। अजमेर जिले के सावर कस्बे की सिलिस्ती करुरिया अब फिल्मों व टीवी सिरीयल के लिए स्क्रिप्ट लिखेंगी। वनस्थली विद्यापीठ से माइक्रोबॉयलोजी में PhD कर रही सिलिस्ती के लिखे गए नॉवेल ने कई अवार्ड जीते। हाल ही उन्हे अपने नॉवेल ‘चमडे़ का लुटेरा’ के लिए रिमार्केबल वुमन अवार्ड भी मिला और मुंबई की एक नामी कंपनी ने स्क्रिप्ट राइटिंग के लिए उनका चयन भी किया है। सिलिस्ती ने कहा कि समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करना उनका मकसद है और इसके लिए अपनी लेखन की कला का उपयोगी करेगी।
सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में असफल होने पर जला दी खुद की लिखी कहानी कविताएं
सिलिस्ती ने बताया कि जब उसने BSc कर लिया और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी और सिविल सेवा के प्री में पास हो गई और मेन में रह गई तो उसका मानना था कि कहानियों व कविताओं में रूचि के कारण वह पढ़ाई व करियर पर ध्यान नहीं दे पाई और ऐसे में गुस्सा होकर उसने तब तक लिखी गई कहानियों व कविताओं को जला दिया।
ऐसे हुई फिर लेखन की ईच्छा
MSc जूलॉजी के लिए वनस्थली विद्यापीठ निवाई में एडमिशन लिया। इसके साथ ही भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगी। इसी बीच उन्हें सामाजिक कुरितियों के बारे में पढ़ने व सुनने का मिला। ऐसे में पढ़ाई में रूचि होने लगी और रात रात भर हॉस्टल में जाग कर उसके लिए सोचने लगी। दिमाग में कई आइडिया आए और तय किया कि इन सामाजिक बुराइयों के बारे में वह लिखेंगी।
चमड़े का लुटेरा नॉवेल हुआ हिट
समाज की कई बुराइयों को टॉरगेट करते हुए एक छात्रा और समाज विशेष के लड़के की थीम पर एक नॉवेल लिखा, जिसका शीर्षक था चमड़े का लुटेरा। जो काफ़ी चर्चित हुआ। इस नॉवेल को लिखने में छह माह लगे। 127 पेज के इस नॉवेल को अप्रैल 2018 में छत्तीसगढ़ की इवैंस पब्लिकेशन से प्रकाशित कराया। वर्ष 2020 में दा मिरेकल स्टोरी अवार्ड से नवाजा गया, जिस पर उसे नकद पुरस्कार और सर्टिफिकेट मिला। देश में इसे टॉप 100 डेब्यू नॉवेल के रूप में चुना गया।
फिर जीता गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड
4 फरवरी 2020 को लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लिया। यहां से और कुछ लिखने की सोची। 23 जून 2020 को एक शॉर्ट स्टोरी नॉवेल ‘दा ब्रोकन सीप’ लिखा। 25 पेज की शॉर्ट स्टोरी का कोरोना के चलते ऑनलाइन प्रकाशन हुआ। जिस पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब जीता। इसकी थीम छोटे से बच्चे की काल्पनिक दुनिया को बताने की कोशिश थी। इसके बाद शॉर्ट फिल्म बेबसी लिखा जिसकी थीम लॉक डाउन में लोगों की ओर से भुगती कई परेशानियां थी।
रूढ़वादी परम्परा से बाहर निकले महिलाएं
सिलिस्ती ने कहा कि महिलाए समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परम्पराओ को तोड़कर जब तक अपने आप को बाहर नहीं निकालेगी, तब तक सामाजिक बुराइयों से छुटकारा नही मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता, बस लक्ष्य के मुताबिक पूरे जज्बे व मेहनत के साथ करना होता है। उनका मुख्य ध्येय है कि वे अपनी लेखन के आधार पर सामाजिक बुराइयों को खत्म करें। करुरिया ने बताया कि उनके पिता लादूराम बलाई, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आलोली में प्रिंसिपल है और मां मंजू बलाई, राजकीय माध्यमिक विद्यालय कुशायता में वरिष्ठ अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। बड़ा भाई नवदीप करुरिया, वर्तमान में अमेरिका की यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में PhD कर रहे हैं। सिलिस्ती ने सावर से 12वीं तक की पढ़ाई की और उसके बाद BSc केकड़ी से की। सिलिस्ती को पेंटिंग का भी शौक है और वह कपड़े और दीवार पर ब्रश से किसी भी व्यक्ति का हूबहू चित्र बना सकती है। आगामी 5 सितंबर को व्रन्दावन की अर्पिता फाउंडेशन की ओर से डॉ राधा कृष्ण अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।