किरोड़ी लाल मीना ने सूर्योदय के साथ किया आमागढ़ का किला फतह

0
- Advertisement -

मीनेश भगवान का झंडा फहराया

विशेष संवाददाता
जयपुर। घुप्प अंधेरा। आसमां में छाए बादलों से लगातार रिसती बारिश। बूंदों से बनी फिसलन भरी राह। पहाड़ पर चढ़ना धोरी दुपहरी में ही आसान नहीं होता। ऐसे में रात के धुप्प अंधेरे में पहाड़ी पर चार किलोमीटर चढाई करना कितना मुश्किल रहा होगा? लगातार पानी के लुढ़कते रहने के कारण पहाड़ों के पत्थर काफी चिकने हो जाते हैं। ऐसे में चढ़ाई करते वक्त सांप-डेंडू के खतरे के साथ-साथ सबसे ज्यादा डर पैर फिसलने का रहता है। एक बार पांव फिसला तो लफाड़ी राजनेता या आसाराम जैसे कुसंत की भांति पल भर में व्यक्ति जमीन पर आ गिरता है।
इन सारी ‘विपरीत परिस्थितियों’ को ‘संकल्प साधना’ के ‘अनुकूल’ बनाने के साथ-साथ सबसे कठिन चुनौती थी-‘पुलिस के त्रिस्तरीय सुरक्षा चक्रव्यूह को भेदना’। जी हां! जयपुर के निकट बना आमागढ़ किला 31 जुलाई की रात पुलिस के पहरे में इस तरह जकड़ा हुआ था कि कोई चिड़िया भी पर नहीं मार सके। एक अगस्त को संभावित किसी भी घटना से निपटने के लिए चाक चौबंद पुलिस बल रात में भी पूरी तरह चौकन्ना था लेकिन आपातकाल से ही पुलिस की आंखों में धूल झौंकते रहे राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने शम्भू पुजारी के शव को लेकर महवा से जयपुर पहुंचने के अंदाज में एक बार फिर सरकार के खुफिया तंत्र को ठेंगा दिखाते हुए एक दिन पहले उद्घोषित अपने संकल्प को सूर्योदय होने से पहले ही पूरा कर दिखाया।
डॉ. मीणा ने जो कहा, वह कर दिखाया। चाहे उन्हें इसके लिए पूरी रात जागना ही क्यों ना पड़ा। आमागढ़ को लेकर ओछी राजनीति कर रहे लोग जब खर्राटों की चादर ओढ़े सो रहे थे, तब डॉ. किरोड़ीलाल आमागढ़ दुर्ग के शासक के वंशजों के साथ रात लगभग दो बजे तो आमागढ़ किले की तकरीबन चार किलोमीटर ऊंची चढ़ाई आरम्भ कर चुके थे। सत्तर से पार की उम्र….. शरीर पर लदा नाना प्रकार की बीमारियों का लवादा……बावजूद इसके इस शख्स ने भोर होने का इंतजार नहीं किया। दुर्गम चढाई के वक्त कई बार हांफनी आई। फैफड़ों में धौकनी चली। पैर भी कई मर्तबा डगमगाए लेकिन संकल्प की सौगंध और आमागढ़ के शासक के वंशजों की शपथ ने आखिर मंजिल तक पहुंचा ही दिया।


उन्होंने कल ही चौड़े-धाड़े कहा था कि बीते दिनों अचानक सुर्खियों में आए आमागढ़ किले पर वह एक अगस्त को मीणा समाज की ऐतिहासिक धरोहर होने की मोहर लगाएंगे। उन्होंने जो कहा, वह चौबीस घंटे के भीतर कर दिखाया। विरासत को कुदृष्टि से बचाने के लिए डॉ. मीणा ने ठीक एक अगस्त को सूरज उगने से पहले ही आमागढ़ दुर्ग की प्राचीर पर बतौर मीणा समाज की विरासत जय मीनेश भगवान का झंडा गाड़ दिया। मीणा समाज धवल-ध्वज लहराते देख चारों ओर तैनात पुलिस बल भौचक्का रह गया। पुलिस अधिकारी पहुंचे। हल्की तनातनी भी हुई। डॉ. मीणा मंदिर में पूजा-अर्चना करने की जिद लिए धरने पर बैठ गए। अंततः पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके जयपुर ले गई। अब वह पुलिस हिरासत में हैं लेकिन उन्हें गिरफ्तार होने का कोई अफसोस नहीं है बल्कि चेहरे पर प्रसन्नता का भाव पसरा पड़ा है। उन्हें खुशी है कि समूचे राजनैतिक जीवन में सर्व समाज के लिए पुलिस की लाठियां खाने के साथ-साथ वह अपने स्वसमाज की उम्मीदों की कसौटी पर भी आज खरे उतरे।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here