जयपुर। कांग्रेस राजस्थान में फिर से सत्ता वापसी के सपने तो देख रही है। लेकिन यदि कांग्रेस ने नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया अधिकांश मंत्रियों और विधायकों के टिकट नहीं काटे तो कांग्रेस पार्टी का चुनाव जीतना मुश्किल नजर आता है। कांग्रेस पार्टी को मौजूद अधिकांश विधायकों और सभी मंत्रियों के टिकट बदलने होंगे। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को साधना होगा। कांग्रेस पार्टी में मौजूदा मंत्रियों को लेकर खासी नाराजगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा अपने मंत्रियों को सीने से चिपकाकर रखते है। वे कभी भी मंत्रियों के टिकनट काटने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यही कारण है कि जब भी चुनाव हुए सत्ता में रहते हुए कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बार गहलोत मौजूदा मंत्रियों के ही नहीं मौजूदा विधायकों के भी टिकट काटने के मूड में रहेंगे। जिन लोगों को पिछली बार विधानसभा चुनावो में टिकट मिले और जिनकी हार 10 हजार वोटों से ज्यादा हुई उन्हें पार्टी इस बार टिकट नहीं देने का मन बना रही है।
कई विधायकों के भी कटेंगे टिकट
कांग्रेस पार्टी चुनावों से पूर्व कई स्तर पर सर्वे करा रही है। जिन विधायकों की रिपोर्ट नेगेटिव रहेगी। या जिनकी ग्राउंड लेवल पर फरफोरमेंस जीरी रही है उन्हें अपने बोरिया बिस्तर समेट लेने चाहिए। जिससे दूसरों को और खास तौर पर युवाओं को मौका मिल सके। क्योंकि कई विधायक भी जिनके टिकट कटने तय है। यूं माना जा रहा है कि इस बार सत्तर फीसदी विधायकों के टिकट कटेंगे। नए लोगों को टिकट मिलेंगे। जिससे पार्टी की जीत की संभावना बढ़ जाएगी।
मंत्रियों पर है आरोप
विधायकों ने सबसे ज्यादा मंत्रियों की छवि खराब करने का काम किया। मंत्री जनता से संवाद कम रखते है। साथी विधायकों से भी कन्नी काटते है। अधिकारी मंत्रियों की सुनते नहीं है। ऐसी स्थिति में कई मंत्री नक्कारा साबित हो रहे है। इन मंत्रियों के सौ फीसदी टिकट काटने पड़ेंगे। कई विधायक मंत्री बनने के बाद इलाके के लोगों से कट गए। कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा हो रही है। ऐसे में लोगों ने मंत्रियों को निपटाने की पूरी कार्ययोजना तैयार कर रखी है। इसलिए मंत्रियों के टिकट बदलने ही होंगे। यदि मंत्रियों के टिकट नहीं बदले गए तो कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा।
गहलोत और पायलट का निपटारा
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट में से कौन होगा अगला मुख्यमंत्री इसको लेकर कांग्रेस के साथ- साथ कार्यकर्ताओं और जनता में भी सवाल है। गहलोत और पायलट दोनों के ही समर्थक इस बात पर अड़े है कि पार्टी को अपना फंडा क्लियर कर देना चाहिए। लेकिन अंदरखाने कांग्रेस के बड़े नेता और खुद गहलोत और पायलट चाहते है कि चुनावों से पूर्व अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसका खुलासा नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो इसका नुकसान होगा। इसलिए पार्टी को विधायकों की राय पर छोड़ देना चाहिए। वहीं सचिन पायलट गुट तो इस बात पर अड़ा हुआ है कि चुनावों से पहले ही पायलट को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। जिससे अगला चुनाव आसानी से जीता जा सके।