विद्यालय क्रमोन्नति का कैसा खेल? न कमरे, न शिक्षक, छात्रों का भविष्य अधर में!

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मांडलगढ़। (केसरी मल मेवाड़ा वरिष्ठ संवाददाता) राजनीतिक पार्टियों के लोग प्रदेश की जनता से वोट की खातिर वाहवाही लूटने के चक्कर मे क्रमोन्नति वाला कार्ड खेलकर सत्ता में काबिज हो जाती है लेकिन आम जनता इस चक्कर मे पड़कर हमेशा ही पिसती आई है। हम बात कर रहे है मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उन गांवो की जहां राज्य सरकार ने पंचायत को नगरपालिका, तहसील,या उपतहसील, प्राथमिक चिकिसालय को सामुदायिक,प्राथमिक विद्यालय को उच्च प्राथमिक आदि-आदि सरकारी उपक्रम जिनको प्रदेश की सरकारों द्वारा क्रमोन्नत कर वाहवाही लूटी जाती है लेकिन क्रमोन्नत होने के बाद ये सरकारें इन संस्थाओं की आवश्यक सुविधाओं पर फोकस नही करती है जिसके चलते आमजन को सरकारों की रही खामियों का सामना समस्याओं को झेलकर करना पड़ता है। इसकी बानगी पर बात करे तो मांडलगढ़ नगर पालिका क्षेत्र के जापरपुरा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जो साल 2016 में प्राथमिक विद्यालय से उच्च प्राथमिक विद्यालय में राज्य सरकार द्वारा क्रमोन्नत कर दिया गया। उस समय की सरकार द्वारा इस विद्यालय का नाम बड़ा कर इतिश्री कर ली गई। विद्यालय में उच्च प्राथमिक विद्यालय वाली सुविधाएं वर्तमान समय तक भी उपलब्ध नही हो पाई है जिसका खामियाजा इस विद्यालय में अध्ययनरत छात्र भुगत रहे है। विद्यालय जब पांचवी तक था आज भी विद्यालय में उस स्तर की ही बिल्डिंग उपलब्ध है लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय क्रमोन्नत करने के बाद स्कूल में छात्रों की संख्या लगभग चार गुणा बढ़ गई है ऐसे में सभी प्रकार के संसाधनों का विद्यालय में संकट उत्तपन्न हो गया है। वर्तमान में विद्यालय में 123 छात्र अध्यनरत है जिनके शिक्षार्जन हेतु पर्याप्त भवन नही है जिसके अभाव में स्कूल के छात्रों को विद्यालय के बाहर खुले में शिक्षा प्राप्त करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। यह समस्या बारिश के समय और भी बढ़ जाती है बारिश काल के दौरान छात्र खुले में अध्ययन नही कर पाते है व पर्याप्त कमरों के अभाव में छात्रों को शिक्षकों द्वारा मजबूर घर भेजने के लिए विवश होना पड़ता है। वही दुसरी ओर स्कूल क्रमोन्नत हुए सालों बीत गए लेकिन वर्तमान समय मे विद्यालय में स्थाई शिक्षक केवल मात्र एक ही है व इस शिक्षा के रथ को आगे के लिए खींचने के लिए दो शिक्षक वैकल्पिक रूप से लगा रखे है ऐसे में आठ क्लास वाले इस क्रमोन्नत हुए स्कूल में आठ शिक्षक जरूरी है लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान दिया ही नही है केवल विद्यालय को क्रमोन्नत कर छोड़ दिया गया है। साल 2007 में निर्मित इस विद्यालय की बिल्डिंग नकारा हो चुकी है आए दिन छात्रों पर प्लास्तर गिरता रहता है व बारिश के समय मे कमरों में पानी भरने लग जाता है व छात्रों के बैठने लायक उपलब्ध कमरे नही रह जाते है। वर्तमान में स्कूल में किचनसेड का अभाव है स्कूल की बिल्डिंग में केवल 4 कमरे उपलब्ध है जिनकी हालत दयनीय है इन कमरों में एक कमरा संस्थाप्रधान,एक कमरा किचन के लिए व अनाज इत्यादि सामग्री के लिए व बचे दो कमरे जिनमे दो क्लास बैठ कर अध्ययन कर रही है। बाकी छ क्लास कहा बैठेंगी,कैसे अध्ययन करेगी,उन्हें कौन शिक्षा देगा,उनका क्या भविष्य होगा सब भगवान भरोसे है।विद्यालय के खेल मैदान की बात करे तो स्कूल के पास 5 बिगा जमीन का पट्टा है लेकिन स्कूल के पास बसे लोगो ने खेल मैदान पर अतिक्रमण कर इसे छोटा कर दिया गया है इस खेल मैदान पर कच्चे-पक्के अतिक्रमण ने घर कर लिया है। स्कूल के निर्माण से अब तक चारदीवारी नही बनी है। स्कूल परिसर में हाईटेंशन बिजली लाइन के साथ अन्य बिजली के पोल व तारो का जाल पसरा हुआ जो कभी भी बड़े हादसे को जन्म दे सकते है। विद्यालय पर अभिभावकों का जुड़ाव अपेक्षा से कम रहा है जिसके चलते विद्यालय का पूर्ण विकास सम्भव नही हो पा रहा है। विद्यालय की संस्थाप्रधान शीला खटीक ने बताया कि विद्यालय की सभी समस्याओं से उच्च व सक्षम अधिकारियों को कई बार लिखित व मौखिक रुप से अवगत कराए जाने के बाद भी विद्यालय में सभी ज्वलन्त समस्याए ज्यो की त्यों खड़ी हुई है फिर भी जैसे तैसे करके विद्यालय की सभी गतिविधियों को निरन्तर गति देने के लिए विद्यालय का स्टाफ दृढ़ संकल्पित है।

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