जयपुर । राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को 115 सीटे जीतने के साथ पूर्ण बहुमत मिल गया है लेकिन राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा । चुनाव जीतने के साथी भाजपा में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है और इसमें नए-नए नाम सामने आ रहे हैं हालांकि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे सबसे प्रबल दावेदार है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व कहीं ना कहीं नए चेहरे को राजस्थान की बागडोर सौपना चाहता है ।और इस कड़ी में राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी , पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी ओम माथुर ,दीया कुमारी ,बाबा बालक नाथ ,अश्विनी वैष्णव केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और डॉक्टर किरोडी लाल मीणा नाम सामने आ रहा है। इसके साथ ही वसुंधरा राजे खेमे में हलचल तेज हो गई और आज शाम तक तीन दर्जन से ज्यादा विधायक जयपुर वसुंधरा राजे के आवाज पर पहुंच गए। सभी विधायकों ने राजे से मुलाकात कर बधाई और शुभकामनाएं दी । राजा ने भी सभी विधायकों को बधाई और शुभकामनाएं दी। राज्य के आवास पर पहुंचने वाले विधायकों में प्रताप सिंह सिंघवी प्रेमचंद बैरवा राम अवतार बैरवा गोपीचंद मीणा कालीचरण पुष्पेंद्र सिंह बाली राम साईं वर्मा लालाराम बैरवा राधेश्याम बैरवा , बालमुकुंद आचार्य, महेंद्र पाल मीणा, जवाहर सिंह बैडम, जगत सिंह मानसिंह किनसरिया सहित अन्य विधायक पहुंचे।
इनके अलावा भी अधिकांश विधायक वसुंधरा राजे समर्थक मारे जाते हैं यदि किसी भी दृष्टि में केंद्रीय नेतृत्व में किसी दूसरे नेता को राजस्थान का मुख्यमंत्री ठोकने का प्रयास किया या कोशिश की तो राजस्थान में भी भारतीय जनता पार्टी में बगावत हो सकती है इसके अलावा वसुंधरा राजे के कई निर्दलीय और बाकी भी समर्थन चुनाव जीतकर आए हैं ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इस मामले में सोच समझकर ही निर्णय करना होगा नहीं तो वसुंधरा राजे इस मामले में इसमें खेल कर सकती है और केंद्रीय नेतृत्व को एक बार फिर मत खानी पड़ सकती है। क्योंकि इससे पूर्व एक बार जब उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया गया था और गुलाब सिंह कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया था तब वसुंधरा राजे ने अपने साथ समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली कुछ कर दिया था और जयपुर में मुंह पर सफेद पट्टी निकालकर प्रदर्शन भी किया था यह बात सब अच्छी तरह जानते हैं कि वसुंधरा राजे के पास इस समय भी विधायक अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल है ऐसी स्थिति में भाजपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव को देखते हुए किसी भी तरह का रिस्क नहीं उठाएगी लेकिन इस समय जिस तरह के हालात बने हुए हैं ऐसी स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व किसी भी तरह की तरह का कदम उठाने की स्थिति में भी है इसलिए केंद्रीय नेतृत्व का विरोध करना किसी भी विधायक या पार्टी के बड़े नेता को भारी पड़ सकता है।