— राखी की दुकानों एवं बसों में भीड़ नजर आई
किशनगढ़ रेनवाल। (नवीन कुमावत, वरिष्ठ संवाददाता )। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व विशेष योग- संयोगों के बीच मनाया गया। सुबह से अपने अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनें उत्सुक नजर आईं। भाई भी रखी बंधवाने के लिए अपनी बहनों से मिले। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। वहीं भाइयों ने भी अपनी बहनों को हर परिस्थिति में साथ, सहयोग देने और रक्षा करने का वचन दिया।
रक्षाबंधन के दिन दोपहर 1.30 बजे से रात करीब 8 बजे शुभ मुहूर्त होने के कारण बसों एवं अन्य यातायात के साधनों में सवारियां खचाखच भरी नजर आई। बाजारों में राखी एवं मिठाइयों की दुकानों पर भारी भीड़ नजर आई।
विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित जितेंद्र जोशी का कहना है कि कई बार यह देखने में आता है कि कुछ भाई राखी बंधने के थोड़ी देर बाद या फिर कुछ घंटे बाद अपनी कलाई से राखी को उतार देते हैं। जबकि ये गलत और अशुभ मानते हैं। विद्वानों, शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार भाई को कम से कम 21 दिन या जन्माष्टमी तक अपनी कलाई से राखी नहीं उतारना चाहिए। उतारने के बाद भी इसे अगले वर्ष तक सहेज कर रखना चाहिए।