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कन्यादान में शगुन का ₹1 लेकर किया विवाह

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जयपुर । आए दिन देशभर में दहेज लोभियों की खबरों के बीच हुड़ला परिवार ने दहेज नहीं लेकर समाज में एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। बैरवा समाज के युवक लोकेश ने दहेज में शगुन के नाम पर सिर्फ ₹1 लेकर विवाह किया। अखिल भारतीय बैरवा महासभा के प्रदेश प्रचार मंत्री हीरालाल हुड़ला के भाई रामस्वरूप बैरवा के बेटे लोकेश ने विवाह कर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। दरअसल जयपुर के सांगानेर स्थित रघुनाथपुरी में रहने वाले लोकेश का विवाह जयपुर के आगरा रोड, बगराना , माली की कोठी निवासी लक्ष्मण लाल की पुत्री उपाशिका उर्फ ईशा बैरवा तय हुआ था। शादी के वक्त बच्ची के परिजन दहेज को लेकर काफी चिंतित और परेशान थे। लेकिन जब उन्हें हुड़ला परिवार ने किसी भी तरह का दहेज लेने से इंकार कर दिया तो सब दंग रह गए।

दूल्हे ने दहेज लेने से इंकार किया

दूल्हे बने लोकेश शेहरा ने अपने माता पिता की सहमति से किसी भी तरह का दहेज लेने से साफ इंकार कर दिया। इसमें बच्चे के माता पिता का रोल भी अहम रहा जिन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया।

भात में कपड़े नहीं लिए

यही नहीं लड़के के पिता रामस्वरूप ने भारत के दौरान भी अपने ससुराल वालों से कपड़े नहीं लिए। उन्होंने अपने भाई बंधुओं के लिए भी सिर्फ सुकून स्वरूप नगद राशि सिबोलिक ही ली। उन्होंने समाज में प्रचलित भात में 70- 80 लोगों के कपड़ों के स्थान पर मात्र परिवार के लिए ही शगुन के तौर पर नगद पैसे लिए। जिससे कि ससुराल पक्ष पर भी कोई आर्थिक भार नहीं पड़े।

बैरवा समाज में भी कुछ सालों में बड़ा दहेज का चलन

बैरवा समाज के लोगों का कहना है कि समाज में कुछ समय से दहेज का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। खासतौर पर जब लड़का सरकारी सेवा में हो तो उसकी और उसके परिवार की दहेज लेने की भूख ज्यादा ही बढ़ गई है । बाबू से लेकर अफसर तक की धेजनकी रेट तय है। हालांकि समाज मे नौकरी पेशा लोगों की संख्या नगण्य है लेकिन इसके बावजूद भी दहेज मांगकर लेने का चलन बढ़ गया है। जिसके चलते बहुत सारे गरीब परिवारों के सामने तो अपनी बच्चियों का विवाह करने तक का संकट खड़ा हो गया है, ऐसे समय में हुडला परिवार द्वारा दहेज नहीं लेना और शगुन के तौर पर ₹1 लेना सभी दहेज लोभियों को एक संदेश है, कि बगैर दहेज के भी विवाह हो सकता है।

बुद्ध धर्म के अनुसार किया

बौद्ध धर्म में साधारण तरीके से वरमाला डालकर ही विवाह संपन्न हो जाता है। जिसकी सबने सराहना की। हालांकि कुछ लोगों ने नाराजगी भी जताई ,लेकिन फिर भी हुड़ला परिवार ने साफ कर दिया कि वे बुद्ध धर्म के अनुसार ही विवाह करेंगे। इसके बाद दूल्हे दुल्हन ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई ओर विवाह समन्न हो गया। सभी ने हुड़ला परिवार की पहल की सराहना की ओर दोनों परिवारों को इस नेक कार्य के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी।

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