विवाहित महिला – पुरुषों को भी लिव इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार- राज. हाईकोर्ट

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राजस्थान हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर को लैंडमार्क जजमेंट दिया


बदलते तेज रफ्तार जमाने के साथ नए दौर में स्वतंत्रता से जीवन जीने का अधिकार

जोधपुर।राजस्थान हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर बुधवार को बड़ा फैसला दिया है। इसके अनुसार शादीशुदा महिला पुरुष को लिव इन रिलेशनशिप में साथ रहने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने इस मामले में मुहर लगाते हुए कहा कि पति और पत्नी के रहते हुए भी अपने किसी और साथी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में बिना तलाक रह सकते है। बदलते तेज रफ्तार जमाने के साथ नए दौर में स्वतंत्रता से जीवन जीने का अधिकार पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

लिव इन रिलेनशिप को लेकर न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की बैंच ने दिया निर्णय

अदालत का कहना है कि वेस्टर्न कल्चर लिव इन रिलेशनशिप को भारतीय संविधान में तो मान्यता दी है। लेकिन देश में ऐसे कई प्रदेश है जहां पर जाति बाहुलीय समाज के रूढ़िवादी सोच वाले लोग इसे स्वीकार नहीं करते। समाज में होने वाले प्रेम विवाह को भी स्वीकार नहीं किया जाता है। प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे के साथ जीवन जीने के लिए संविधानिक अधिकार तो है। लेकिन उन्हें अपने जीवन की सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ती है। राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के न्यायधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की बेंच ने लिव इन रिलेशनशिप व लाइफ ऑफ प्रोटेक्शन के मैटर को हाईलाइट करके आज के जमाने में महिला व पुरुष जो भी लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं ,लेकिन वो शादीशुदा भी हैं । उस को मद्देनजर रखते हुए ऑन टेबल हाईकोर्ट ने दोनों पक्षकारों को राइट टू लिबर्टी एक्ट अंडर आर्टिकल 21 कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया जहां पर भारतीय संविधान में हर भारतीय नागरिक को अपनी डिग्निटी और लिबर्टी के आधार पर अपनी मर्जी से किसी के साथ भी रहने का संविधान में अधिकार दिया है।

लिव इऩ रिलेशनशिप बदलते दौर में स्वतंत्र जीने का अधिकार

इस तर्क को अधिवक्ता गजेंद्र पवार ने खंडपीठ के सामने रखा और कहा कि लिव इन रिलेशनशिप एक बदलते हुए दौर और भारतीय संविधान उसको स्वीकार करता है। सरकारी अधिवक्ता की दलीलों को मध्य नजर रखते हुए दोनों पक्षकारों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारी को आदेश दिए की पक्षकारों के संविधान के अधिकारों का हनन ना हो, उसकी समीक्षा कर उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस आर्डर में अधिवक्ता गजेंद्र कुमार ने पक्षकारों के हित में कई जजमेंट का भी उल्लेख करते हुए पक्षकारों को उनके संविधानिक अधिकारों का पालन करवाया । जो कि आने वाले दशक में एक लैंडमार्क जजमेंट की तौर पर हॉनरेबल हाईकोर्ट जोधपुर ने आदेश पारित किया है। हालांकि कोर्ट के फैसले से समाज में नैतिक पतन होगा ।

कोर्ट के फैसले से समाज में नैतिक पतन को बढ़ावा मिलेगा

कोर्ट के इस फैसले से शादीशुदा महिला – पुरुष अपने बीवी बच्चों के रहते हुए किसी भी महिला या पुरुष के साथ रह सकते है। इससे सामाजिक और नैतिक पतन जरुर होगा। अब तक जिस पर कोर्ट या पुलिस का डर था उसे कोर्ट का संरक्षण मिल जाएगा। हो सकता है आने वाले दिनों में इस विषय पर बड़ी बहस छिड़ जाए। क्योंकि इसे तलाक होने तक किसी भी विवाहित महिला – पुरुष को दूसरे के साथ रहने का अधिकार देना कहीं न कहीं नैतिक पतन को जरुर बढ़ावा मिलेगा। लोग इसे अपनी स्वच्छंदता समझकर खुलकर और खुले आम करेंगे। जिसे सही तो नहीं कहा जा सकता।

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