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जीरो बल्ब में पतंग, चरखी, गिल्ली, डंडा, सतोलिया, बोल व खिलाड़ी, डॉ. सक्का ने दिया एकता का संदेश

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

उदयपुर। मकर संक्रांति के अवसर पर स्वर्ण शिल्पकार सो विश्व रिकॉर्ड होल्डर डॉक्टर इक़बाल सक्का ने एक ऐसा अनोखा काम कर दिखाया है।
हमारे भारत देश में मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न प्रांतो में अलग-अलग तरह से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है किसी प्रांत में पतंग उड़ाई जाती है। कहीं पर गिल्ली डंडा खेला जाता है व कहीं पर सत्तोलिया व मारदडी खेल कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। डॉक्टर सक्का ने अपने हुनर से देश के सभी राज्यों के मकर संक्रांति के पारंपरिक खेलों को भारत के जीरो वालट के बल्ब को भारत का प्रतिबिंब मानकर बल्ब के अंदर विश्व के सबसे छोटे चांदी से बनाए गए मैदान पर उड़ती हुई पतंगे ,चरखी, गिल्ली डंडा ,सतोलिया, बोल व खिलाड़ी भारत के हर प्रांत के खेलों को चांदी सोना व कागज से बल्ब के अंदर बनाकर खिलाड़ियों द्वारा खेलते दर्शा कर भारत की एकता का परिचय देते हुए एक अनोखा प्यारा सा संदेश ,देशवासियों को दिया सुक्ष्म लेन्स से देखे जाने वाली भारत के जीरो वाट के बल्ब में छोटी-छोटी कागज से निर्मित आकाश में चरखी के धागे से पतंगबाज रंग बिरंगी पतंग उड़ते हुए सोने की गील्ली, डंडा, 9 सतोलिय, के साथ गेंद के साथ खेलते हुए 10 खिलाड़ी इन सब कलाकृतियों को लेंस की सहायता से देखा जा सकता है।
बल्ब के अंदर डॉक्टर सक्का द्वारा बनाई गई उड़ती हुई पतंग, गील्ली, डंडा ,चरखी, सतोलिया वह बोल की कलाकृतियां देश की एकता का परिचय दे रही है।

 

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