शगुन का समय, बदलाव की धारा
भारतीय परंपरा में “ग्यारह” को शुभ अंक माना जाता है। यही वजह है कि किसी भी मंगल कार्य में ग्यारह रुपये का शगुन दिया जाता है। इस सांस्कृतिक प्रतीक के आलोक में देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्यारह वर्षों के शासनकाल को एक “शगुन काल” की तरह देखा जा सकता है—एक ऐसा दौर जिसमें भारतीय राजनीति, शासन प्रणाली, और सामाजिक धारा में व्यापक परिवर्तन देखने को मिले।
1. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: भाजपा का 2 से 282 तक का सफर
1984 में महज दो लोकसभा सीटों तक सीमित भाजपा, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन आम चुनावों में सत्ता में बनी रही। यह न केवल राजनीतिक रणनीति की सफलता थी, बल्कि एक स्थायी वैचारिक लहर का भी संकेत था। 2014, 2019 और 2024—तीनों ही चुनावों ने यह साबित किया कि जनता ने मोदी की कार्यशैली में एक भरोसेमंद विकल्प देखा।
2. दो पीढ़ियों का नेता: युवा प्रेरणा, बुजुर्गों का विश्वास
मोदी ऐसे नेता हैं जिनकी स्वीकार्यता केवल युवा पीढ़ी में ही नहीं बल्कि बुजुर्गों में भी व्यापक रही है। इसका प्रमुख कारण है उनकी संप्रेषण कला। वे तकनीक का प्रभावी उपयोग करते हुए आम जन से सीधे जुड़ते हैं—”मन की बात”, सोशल मीडिया इंटरफेस, डिजिटल शासन, और भावनात्मक राष्ट्रवाद इसके उदाहरण हैं।
3. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: सबसे बड़ी उपलब्धि
मोदी सरकार के ग्यारह वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि किसी बड़े घोटाले की सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है, खासकर तब जब देश की राजनीतिक परंपरा में भ्रष्टाचार एक स्थायी चिंता रही है।
बड़े घोटालों का अभाव
राजनेताओं और अधिकारियों पर एक समान सख्ती
ईडी, सीबीआई, आईटी जैसे तंत्रों की सक्रियता
हालांकि, यह भी सच है कि इस प्रक्रिया में नौकरशाही पर अत्यधिक निर्भरता बढ़ी है, जिससे कुछ मामलों में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम भी हुई है।
4. तंत्र में बदलाव: कार्यसंस्कृति में अनुशासन
मोदी शासनकाल का सबसे बड़ा परिवर्तन यह रहा कि सरकारी कार्यसंस्कृति में अनुशासन, उत्तरदायित्व और समयबद्धता का समावेश हुआ है। चिनाब पुल के उद्घाटन समारोह में उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी—”जब यह परियोजना शुरू हुई, मैं आठवीं में था, अब मैं 55 वर्ष का हूं”—यह दर्शाता है कि परियोजनाएं कितनी देर से पूरी होती थीं। लेकिन मोदी युग में ऐसे कई अधूरे कार्य पूरे हुए, यह प्रणाली में परिवर्तन का प्रमाण है।
5. जन-आकांक्षाओं की ऊँचाई और चुनौतियाँ
दस साल में जनता की उम्मीदें बहुत ऊँचाई पर पहुँचीं। जब आकांक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं, तो उनका पूर्णतः संतुष्ट होना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि 2024 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। यह हार नहीं, बल्कि जनादेश में सशक्त समीक्षा का संकेत है।
6. गुजरात मॉडल से भारत मॉडल तक
2014 में मोदी का “गुजरात मॉडल” राष्ट्रीय उम्मीदों का केंद्र बना। 2019 में यह उम्मीदें विश्वास में बदलीं। इन ग्यारह वर्षों में मोदी ने उस गुजरात मॉडल को भारत मॉडल में बदलने की कोशिश की:
जनधन योजना से आर्थिक समावेश
स्वच्छ भारत अभियान से सामाजिक आंदोलन
उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना से गरीब-केन्द्रित विकास
7. आलोचना और आत्ममंथन की आवश्यकता
जहाँ एक ओर उपलब्धियाँ हैं, वहीं नौकरशाही की केंद्रीकृत शक्ति, स्वतंत्र संस्थाओं की स्वायत्तता पर सवाल, और राजनीतिक विपक्ष को दबाने की आलोचनाएँ भी उठती रही हैं। यह आवश्यक है कि अब, ग्यारह वर्ष पूर्ण होने पर, मोदी सरकार अपने अगले चरण के लिए लोकतांत्रिक संतुलन और संस्थागत पारदर्शिता को प्राथमिकता दे।
यह सिर्फ ग्यारह साल नहीं, एक युग है
मोदी सरकार के ग्यारह वर्ष केवल सत्ता का कालखंड नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति का एक नया अध्याय हैं। यह काल विकास, नवाचार, राष्ट्रवाद, और नई कार्यसंस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह युग भारतीय राजनीति में एक स्थायी स्मृति बन चुका है, जिसे इतिहास “शगुन काल” के रूप में याद करेगा।